साधन को साध्य के पीछे रखने की बुद्धिमानी

बहुत से लोग सुखमय जीवन बिताने के लिए धन कमाने चलते हैं पर यह बात भूल जाते हैं कि साधन कभी साध्य नहीं हो सकता

Publish: Jul 18, 2020, 12:15 PM IST

जीवन की अनेकों जटिल समस्याओं का निर्माण अपने अविचार से हम स्वयं करते हैं। यदि मनुष्य अपने उद्देश्य और उसकी प्राप्ति के उपाय का सही निर्धारण कर ले और मानसिक आवेगों से मुक्त होकर वही करे जो उसके उद्देश्य की सिद्धि का वास्तविक उपाय है तो बहुत सी समस्याओं का हल सहज ही निकल सकता है। काम, क्रोध, लोभ,मद,मोह,ईर्ष्या,दम्भ, द्वेष आदि के प्रभाव से बुद्धि को मुक्त करके ही ऐसा किया जा सकता है।

भूल यह है कि पहले तो हम अपने उद्देश्य को ही स्थिर नहीं रख पाते और यदि उद्देश्य का विस्मरण न भी हो तो उपायों को छोड़कर अपायों को आचरण में लाने लगते हैं।

उदाहरण के रूप में समझ सकते हैं।

बहुत से लोग अपने पारिवारिक जीवन में सामंजस्य लाना चाहते हैं,यह भी जानते हैं कि हमारे इष्ट मित्र, सगे सम्बन्धी हमारे प्रतिकूल न बने,पर उनसे ऐसा व्यवहार बन जाता है, जिससे सबका सब बिगड़ जाता है।जब दूसरों की प्रतिक्रिया सामने आती है तब हम कभी तो पश्चात्ताप करके उसको सुधारने का प्रयत्न करते हैं तो कभी सोच ही नहीं पाते कि ग्रन्थि कौन सी है और खोलने के लिए क्या करना चाहिए? इसी से बहुतों का दाम्पत्य-जीवन पारिवारिक शांति और सामाजिक जीवन अस्त-व्यस्त हो जाता है। सब लोग कर्म करते हैं। जब उनसे पूछा जाए कि काम क्यूं करते हो? तो उत्तर मिलता है कि खाने के लिए। पूछा जाए कि खाते क्यूं हो? तो कहते हैं जीने के लिए और अगर पूछा जाए कि जीते क्यूं हो तो व्यक्ति इस प्रश्न के उत्तर में अटक जाएगा।

बहुत से लोग सुखमय जीवन बिताने के लिए धन कमाने चलते हैं पर तृष्णा इतनी बढ़ जाती है कि उसके लिए अपना स्वास्थ्य और सुख शांति सब चौपट कर लेते हैं। यह बात भूल जाते हैं कि शरीर के लिए धन है न कि धन के लिए शरीर है। साधन कभी साध्य नहीं हो सकता। उसको साध्य से पीछे रखने में ही बुद्धिमानी है।

इसी क्रम से यदि हम विचार करते चलें तो हम अपने जीवन की मूल समस्या का भी हल खोज सकते हैं। यही हमारे सदगुरु का संदेश है।

             *नर्मदे हर*

        *अखिल भारतीय उभय*

         *भारती महिला आश्रम*

         *राष्ट्रीय हिंगलाज सेना*

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