Chhattisgarh : महिलाओं के लिए गौठान बन गए रोजगार हब

तीन महिला समूहों की तरक्की देख कर गौठान में मुर्गीपालन और मछलीपालन की तैयारी

Publish: Jul 04, 2020, 01:17 AM IST

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छत्तीसगढ़ में गौठान अब आजीविका केंद्र के रूप में विकसित हो रहे हैं। यहां महिलाएं आत्मनिर्भर हो रही हैं। महिलाएं इन गौठानों में जैविक खाद, पेवर-ब्लॉक और ट्री-गॉर्ड का निर्माण कर रही है। ये महिलाएं मुर्गीपालन और मछलीपालन करने की भी तैयारी में हैं।

छत्तीसगढ़ सरकार की महत्वाकांक्षी नरवा, गरवा, घुरवा, बारी योजना के तहत गांवों में निर्मित गौठान रोजगार-हब बनते जा रहे हैं। फसलों की सुरक्षा के साथ पशुओं की देखभाल के साथ ही गौठान आजीविका केंद्र का रुप ले रहे हैं।

छत्तीसगढ़ के गौठानों में स्वसहायता समूहों की महिलाएं स्वरोजगार कर रही हैं। इन कामों से महिलाओं की आर्थिक स्थिति तो सुधर ही रही है, वहीं गांव की अर्थव्यवस्था को मजबूती मिल रही है। गौरतलब है कि सरकार पशुपालकों की आय बढ़ाने के लिए जल्द ही गोधन न्याय योजना की शुरुआत करने वाली है। इसके तहत पशुपालकों से गोबर खरीदी कर जैविक खाद और अन्य उत्पाद तैयार होंगे।

राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के अंतर्गत रामपुरम में गठित स्वसहायता समूहों की महिलाएं जागरूक होकर स्वरोजगार में जुटी हैं। सुकमा जिले के रामपुरम में तीन स्वसहायता समूहों हैं। यहां की महिलाएं नाडेप और वर्मी कंपोस्ट, पेवर-ब्लॉक के साथ ट्री-गॉर्ड बनाने के काम में महिलाएं जुटी हैं। वहीं गीदम नाला स्थित गौठान में गांव की कुछ और स्वसहायता समूहों की महिलाएं मुर्गीपालन और मछलीपालन की तैयारी कर रही हैं। गौठान में मुर्गीपालन के लिए शेड और मछलीपालन के लिए टैंक निर्माण का काम लगभग पूरा हो गया है।

10 महिलाओं ने स्वसहायता समूह की शुरुआत की

रामपुरम में दुर्गा स्वसहायता समूह की दस महिलाओं ने जैविक खाद के निर्माण के साथ यहा काम करना शुरु किया था। अब तक इन महिलाओं ने 65 हजार रूपए से अधिक का वर्मी और नाडेप खाद तैयार किया है। इस खाद में से 30 हजार रूपए की खाद वन विभाग और उद्यानिकी विभाग ने खरीदी है।

राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन से महिलाओं को मिली मदद

वहीं रामपुरम गांव की गुलाब स्वसहायता समूह की महिलाएं गौठान में पेवर-ब्लॉक बना रही हैं। समूह की महिलाओं ने आपस में डेढ़ लाख रूपए जमा किए और राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन द्वारा तीन लाख रूपए की वित्तीय मदद से इस काम को शुरू किया है। गुलाब स्वसहायता समूह ने पेवर-ब्लॉक निर्माण के लिए साढ़े चार लाख रूपए की लागत से मिक्सर मशीन, वाइब्रेशन मशीन और कलरिंग मशीन खरीदी है। इस समूह की दस महिलाएं इस काम में लगी हैं। वे रोजाना करीब एक हजार पेवर-ब्लॉक तैयार करने में जुटी हैं।

रामपुरम गांव का एक और स्वसहायता समूह है शंकर। इस स्वसहायता समूह की महिलाएं ट्री-गार्ड बनाने के  काम में जुटी हैं।इनके बनाए ट्री-गार्ड वन विभाग ने 350 रूपए प्रति ट्री-गार्ड की दर से खरीदे हैं। ट्री-गार्ड बनाने के लिए बांस चीरने की मशीन वन विभाग की तरफ से स्वसहायता समूह को उपलब्ध कराई गई है।

इन तीनों स्व सहायता समूहों की तरक्की देखकर गांव की कुछ और महिलाएं गौठान में मुर्गीपालन और मछलीपालन की तैयारी कर रही हैं। मुर्गीपालन के लिए लिए शेड और मछलीपालन के लिए टैंक निर्माण का काम लगभग पूरा हो गया है। प्रदेश में कुपोषण खत्म करने के लिए स्कूलों और आंगनबाड़ियों में बच्चों को अंडे खिलाए जा रहे हैं। स्वसहायता समूह की महिलाएं अब स्कूलों और आंगनबाड़ियों में अंडे की आपूर्ति भी करने की तैयारी में हैं।