MP NHM SUMAN: मध्यप्रदेश में 'सुमन' रखेगी गर्भवती महिलाओं का ध्यान, मृत्यु दर कम करने का लक्ष्य

मध्यप्रदेश में जच्चा-बच्चा की मौत के आंकड़े लगातार बढ़ रहे हैं। इन्हीं बढ़ते हुए आंकड़ों को रोकने के लिए एनएचएम ने यह नई पहल चालू की है।

Updated: Oct 07, 2020, 10:09 PM IST

Photo Courtsey: dailyhunt
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भोपाल। मध्यप्रदेश में गर्भवती महिलाओं के स्वास्थ्य का पूरा डाटा रखने के लिए एनएचएम एक प्रदेश स्तरीय कंट्रोल रूम शुरू करने जा रहा है। गर्भवती महिलाओं का सुरक्षित प्रसव कराने के उद्देश्य से इसकी शुरुआत की जा रही है।ऐसा करने वाला मध्यप्रदेश देश का पहला राज्य होगा।

एनएचएम संचालक छवि भारद्वाज बताती हैं कि कंट्रोल रूम में प्रदेश की गर्भवती महिलाओं की सेहत की जानकारी और प्रसव की संभावित डेट का डाटा रखा जाएगा, ताकि प्रसव के दौरान उन्हें सही इलाज मिल सके। इसीलिए इस मिशन को सुरक्षित मातृत्व आश्वासन प्रोग्राम यानी 'सुमन'  का नाम दिया गया है। इस कंट्रोल रूम में गर्भवती महिलाओं की परेशानियां सुलझाने और सुरक्षित प्रसव के लिए 24 घंटे कर्मचारी मौजूद रहेंगे।

इस राज्य स्तरीय कंट्रोल रूम में 15 कर्मचारी अलग-अलग शिफ्ट में 24 घंटे काम करेंगे। हाई रिस्क गर्भवती महिलाएं, खासकर खून की कमी से जूझ रहीं महिलाओं के लिए आयरन शुक्रोज, ब्लड ट्रांसफ्यूजन और रेगुलर चेकअप की व्यवस्था की जाएगी। आशा, एएनएम के साथ ही कम्युनिटी हेल्थ ऑफीसर को उनके इलाकों की गर्भवती महिलाओं की लिस्ट दी जाएगी। इतना ही नहीं हाई रिस्क महिलाओं को प्रेगनेंसी के संभावित टेस्ट के 2 दिन पहले से ही ऐसे सरकारी हॉस्पिटल में भर्ती किया जाएगा जहां सिजेरियन डिलीवरी के साथ बच्चों के लिए अन्य सभी सुविधाएं मौजूद हो।

प्रेगनेंसी के दौरान अक्सर देखा गया है कि महिलाओं में खून और कैल्शियम की कमी हो जाती है। गर्भवती महिलाओं को हाई बीपी, शुगर, बॉडी पेन, मोटापा, डिप्रेशन जैसी बहुत गंभीर बीमारी भी हो सकती है। बहुत सी ऐसी महिलाएं होती है जिन्हें बहुत सारी बीमारियां घेर लेती हैं और प्रेगनेंसी के दौरान वे हाई रिस्क जोन में आ जाती है। जिस वजह से गर्भवती महिलाओं की प्रसव के दौरान या डिलीवरी के 24 घंटे के अंदर ही मौत हो जाती है। इतना ही नहीं हाई रिस्क जोन वाली महिलाओं के नवजात शिशु की मौत प्रसव के दौरान या जन्म के एक हफ्ते, कभी-कभी एक महीने के भीतर ही मौत हो जाती है। ऐसे में प्रेग्नेंट महिला का डाटा रख कर काम करने वाला प्रदेश स्तरीय कंट्रोल रूम बहुत ही उपयोगी साबित हो सकता है।

मध्यप्रदेश में मातृ और शिशु मृत्यु की स्थिती

मध्यप्रदेश में साल 2019 में जहां एक ओर 31 हजार से ज्यादा नवजात शिशु अपना पहला जन्मदिन भी नहीं बना पाए। वहीं दूसरी ओर इसी साल 2144 प्रसूताओ ने दम तोड़ दिया था। 

साल 2020 की बात करें मध्य प्रदेश में लगभग अब तक 11,350,24 प्रसव हुए है। जिनमें से रजिस्टर्ड प्रसव की संख्या 6,64,127 है। 3595 महिलाओं को आयरन डोज दिए गए हैं। 2,16,256 हायपर टेंशन और एनीमिया की महिलाएं हैं। मोड्रेट एनीमिया की शिकार की संख्या 86,649 हैं।