वायु प्रदूषण फसलों को कैसे चट करता है ?

– डॉ.सुनील शर्मा – अभी तक हम बढ़ते वैश्विक ताप की वजह से उत्पन्न जलवायु परिवर्तन के प्रभाव से फसलों की उत्पादकता में गिरावट को लेकर चिंतिंत थे। लेकिन अब वैज्ञानिक अध्ययन से स्पष्ट हुआ है कि बढ़ते वैश्विक ताप के साथ साथ बढ़ता हुआ वायु प्रदूषण भी फसलों की उत्पादकता को प्रभावित कर रहा […]

Publish: Jan 18, 2019, 01:03 AM IST

वायु प्रदूषण फसलों को कैसे चट करता है ?
वायु प्रदूषण फसलों को कैसे चट करता है ?
strong - डॉ.सुनील शर्मा - /strong p style= text-align: justify अभी तक हम बढ़ते वैश्विक ताप की वजह से उत्पन्न जलवायु परिवर्तन के प्रभाव से फसलों की उत्पादकता में गिरावट को लेकर चिंतिंत थे। लेकिन अब वैज्ञानिक अध्ययन से स्पष्ट हुआ है कि बढ़ते वैश्विक ताप के साथ साथ बढ़ता हुआ वायु प्रदूषण भी फसलों की उत्पादकता को प्रभावित कर रहा है। फसलों पर वायु प्रदूषण का बुरा प्रभाव हवा में घुलते प्रदूषक और फसलों की प्रजातियों के हिसाब से अलग अलग स्तर पर देखा गया है। फसलों पर वायु प्रदूषण का यह असर वैश्विक है। अमेरिका के अल्बामा ए.एच.एवं अर्वन विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों के मुताबिक अमेरिका में फसल सजावटी पौधों एवं वनस्पति पर वायु प्रदूषण की मार से हर वर्ष लगभग एक बिलियन डालर का नुकसान हो रहा है। अभी हाल ही में भारत के संदर्भ में किए गए अध्ययन से खुलासा हुआ है कि वर्ष 1980 से 2004 के दौरान भारत में गेहू की उपज में 36 फीसदी की वृद्वि हुई थी लेकिन इसके बाद घनी आबादी वाले राज्यों में वायु प्रदूषण की वजह से गेहू की उपज में 50 फीसदी तक की गिरावट आई है।गेंहू के अलावा धान के उत्पादन में 20 फीसदी की गिरावट और सोयाबीन उत्पादन में 12 फीसदी गिरावट देखी गई है। यह तो हम जानते हैं कि वायु प्रदूषण अस्थमा श्वसन तंत्र के रोग कैंसर एवं विभिन्न प्रकार की एलर्जी के रूप में मानवीय स्वास्थ्य को कैसे प्रभावित कर रहा है। लेकिन अब वैज्ञानिको ने स्पष्ट किया है वायु प्रदूषण फसल एवं वनस्पतियो को कैसे चट कर रहा है? /p p style= text-align: justify इस संदर्भ में किए गए अध्ययन के मुताबिक कारखानों के आसपास एवं सड़क के किनारे के खेतों मे फसलों की उपज लगातार घट रही है क्योंकि वायु प्रदूषण के कारण पत्तियों पर धुल की मोटी पर्त जम जाती है जिससे पौधों में प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया प्रभावित होती है आहार के अभाव में पौधे छोटे रह जाते है पीले पड़ जाते है फल्लियाॅ और बालें सुखने लगती है प्रतीत होता है कि फसल पक गई है और फसल समय पूर्व तैयार हो जाती है जिसका सीधा प्रभाव उत्पादन में कमी के रूप में सामने आता है। हमारे देश में सर्दिंयों में गेंहू चना आलू तिलहन सहित अध्कितर फसलों की पैदावार होती है चूॅकि सड़क पर चल रहे वाहनों और कारखानों की चिमनियों से निकले धुएॅ की वजह से सर्दियों में छाया रहना वाला कोहरा और गहरा हो जाता है और कई दिनों तक छाया रहता है जिससे पौधे को सूर्य प्रकाश की पर्याप्त मात्रा नहीं मिल पाती है फलतः फसल को कमजोर हो जाती है। सड़क और कारखानों के निकले धुए से फसलों पर कुप्रभाव की यह स्थिति आसपास के खेतों तक ही सीमित नहीं है बल्कि अब यह धुआ आसपास के कई किमी के क्षेत्र को अपने दायरे में समेटने लगा है। /p p style= text-align: justify वैज्ञानिकांे के अध्ययन के मुताबिक वाहनों और कारखानों की चिमनियों से निकले धुए में नाइट्रोजन के आक्साइड कार्बन मोनो आक्साइड और अमोनियम कार्बोनेट वायुमण्डल की ओजोन को जहरीला बना रहें और यह जहरीली ओजान रोम कूपों के जरिए पौधो में अंदर और पत्तियों तक पहुंच जाती है जिससे प्रकाश संश्लेषण क्रिया प्रभावित होती है पत्तियों पर चित्तीदार धब्बे बन जाते है धीरे से पत्तियां सूखकर गिरने लगती है।कारखानों के धुए कोयला आधारित बिजली घरों और रिफायनरियों से निकले धुए में मौजूद सल्फर के आक्साइड ओजोन की भाति रोम कुपों के जरिए पत्तियों प्रवेश करते हैं और पौधे के उतक तंत्र को नुकसान पहुंचाते है जिससे पत्तिया पीली पड़कर सूखने लगती है।इसका सर्वाधिक दुष्प्रभाव मक्का जौं और दलहनी फसलों पर देखा जा रहा है। कोयला और जीवाष्म ईंधन के दहन सेरेमिक और कांच उद्योग से निकले धुएं में फलोराइड के सुक्ष्म कण शामिल रहते हैं और यह फलोराइड पौधों की पत्ती और तनों को विशेष क्षति पहुंचाते हैं फलारोइड आधारित प्रदूषक अंगूर खुबानी स्वीट कार्न जैसी फसलों को नुकसान पहुंचा रहें हैं। इनके अतिरिक्त कारखानों की चिमनियों से निकले धुएं और जल शुद्विकरण संयंत्रों से निकले क्लोराइड भी फसलों के लिए घातक है ये भी पत्तियों के रोमकूपों के जरिए पौधें में प्रवेश कर पौधें के उतकों को नष्ट कर पत्तियोंको सुखा देते है। इथिलीन गैस जो कि अपूर्ण दहन का प्रतिफल है वो पौधे के हार्मोन को प्रभावित कर फसलों की बढ़त को प्रभावित करती है। इसके अतिरिक्त धुएं में शामिल धातुओं के भारी कण पौधों की पत्तियों और फूलों पर पर्त बनाकर परागण एवं प्रकाशसंश्लेषण क्रिया को धीमा कर फसल उत्पादन को प्रभावित कर रहें है। बड़े औद्योगिक केन्द्रों के आसपास प्रदूषण वजह से एसिड रेन के मामले बढ़ रहे हैं और यह एसिड रेन फसल को नष्ट कर देती है। /p p style= text-align: justify वास्तव में अभी तक हमारा ध्यान केवल भूमंडलीय तापन के बढ़ने से फसल उत्पादन को हो रहे नुकसान पर ही केंद्रित था लेकिन अब हमें इस विषय पर भी चिंतन करना होगा कि औद्योगीकरण और जीवाष्म ईधन के दहन से भूमण्डल के तापमान बढ़ने के साथ साथ वायुप्रदूषण जैसी समस्या भी बढ़ रही है जिसका सीधा असर खाद्यान्न सुरक्षा पर भी होगा। हमारे देश के संदर्भ में यह और भी ज्यादा चिंतनीय है क्योंकि हमारे उद्योग और वाहन प्रदूषण नियंत्रण के मामले में वैश्विक मानकों में फिसड्डी है। /p