छत्तीसगढ़ के जिलों में स्थानीय भाषा और बोली में पढ़ाई कर सकेंगे प्राइमरी स्कूल के छात्र, सरकार ने तैयार करवाई किताबें

शिक्षा विभाग ने लैंग्वेज लर्निंग फाउंडेशन से छत्तीसगढ़ी भाषाओं और हिंदी में किताबें तैयार करवाई हैं, मुख्यमंत्री ने स्थानीय बोलियों में पढ़ाई को बढ़ावा देने के लिए की थी घोषणा

Updated: Aug 18, 2021, 12:48 PM IST

Photo courtesy: scroll in
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रायपुर। छत्तीसगढ़ स्कूल शिक्षा विभाग ने छात्रों को स्थानीय बोलियों में कक्षा पांचवी तक शिक्षा देने की पूरी तैयारी कर ली है। इसके लिए किताबें तैयार करवा ली गई हैं। छत्तीसगढ़ के विभिन्न आदिवासी इलाकों में बोली जाने वाली सादरी, हल्बी, कुडुख, भतरी, दंतेवाड़ा गोंड़ी, कांकेर गोंड़ी, और उड़िया भाषा में किताबें तैयार हो चुकी हैं।

कक्षा 5वीं तक स्कूलों में पढाई को आसान और इंट्रेस्टिंग बनाने के लिए हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं। दरअसल बच्चों को  सरल, सहज भाषा में आसानी से सिखाने के उद्देश्य से स्कूल शिक्षा विभाग को स्थानीय बोलियों में कोर्स की किताबें तैयार करने को कहा गया था।

 मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने 26 जनवरी 2020 को गणतंत्र दिवस समारोह में इसका ऐलान किया था। जिसके बाद से युद्ध स्तर पर किताबें तैयार करने का काम किया जा रहा था।

स्कूल शिक्षा विभाग ने उन इलाकों के लिए किताबे भेज दी हैं, जहां छत्तीसगढ़ी बड़ी संख्या में बोली जाती हैं, ऐसे जिलों के चुनिंदा प्रायमरी स्कूलों में चित्र कहानियों की किताबें पहुंचा दी गई हैं। बताया जा रहा है कि सुरीली अउ मोनी, तीन संगवारी, गीता गिस बरात, बेंदरा के पूंछी, चिड़िया, मुर्गी के तीन चूजे और सोनू के लड्डू जैसी किताबों को शामिल किया गया है। लैंग्वेज लर्निंग फाउंडेशन ने ये किताबें हिंदी और छत्तीसगढ़ी भाषाओं में तैयार की हैं। बच्चों के लिए वर्णमाला चार्ट और रोचक कहानियों की किताबें तैयार करवाकर स्कूलों में भिजवा दी हैं। इसके अलावा छत्तीसगढ़ी, अंग्रेजी और हिन्दी में भी बच्चों के लिए पठन सामग्री स्कूलों को उपलब्ध कराई है।