कोरोना योद्धा : पुलिस डंडे ही नहीं मारती ...
संकट के इस दौर में पुलिस का अलग ही चेहरा सामने आया है। ये पुलिसकर्मी अपनी ड्यूटी के साथ मास्क बना रहे हैं, भूखों तक खाना पहुंचा रहे हैं यहां तक कि ड्यूटी कर रहे अपने ही साथियों को खाना बना कर खिला रहे हैं। डंडा मारने वाली पुलिस का यह दूसरा और सकारात्मक चेहरा है -

कोरोना से निपटने के लिए स्वास्थ्य और पुलिस विभाग के कर्मचारी रातदिन ड्यूटी कर रहे हैं। ये कर्मचारी मास्क सहित अन्य सुरक्षा संसाधनों की कमी का सामना कर रहे हैं। ड्यूटी पर रहने और संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए ये घर भी नहीं जा पा रहे और इस कारण उन्हें समय पर खाना भी नहीं मिल पा रहा है। संकट के इस दौर में पुलिस का अलग ही चेहरा सामने आया है।
मध्यप्रदेश पुलिस के जवान जहाँ 24 घंटे कोरोना योद्धा के रूप मुस्तैद रहकर कोरोना से लोहा ले रहे हैं, तो पुलिस परिवार की महिलाएँ, महिला आरक्षक, विभागीय टेलर व अन्य स्टॉफ ने भी मोर्चा संभाला हुआ है। ये कोरोना योद्धाओं को सुरक्षा कवच पहनाने के लिए उच्च कोटि के मास्क तैयार करने में जुटे हैं। पुलिस परिवार द्वारा 70 हजार से अधिक मास्क तैयार किए जा चुके हैं। पुलिस परिवार द्वारा हर दिन औसतन लगभग 5 हजार मास्क बनाए जा रहे हैं। जबलपुर पुलिस के आरक्षकों की पत्नियों व महिला आरक्षकों द्वारा अब तक 8 हजार मास्क बनाए जा चुके हैं। इसी तरह शहडोल पुलिस परिवार ने 6 हजार 300, रतलाम पुलिस परिवार ने 5 हजार 400, गुना पुलिस परिवार ने 5 हजार 600, मंदसौर पुलिस परिवार ने 3 हजार, इंदौर पुलिस परिवार ने 2 हजार से अधिक मास्क बनाए जा चुके हैं।
साथी मैदान में, खाने में बन रहा खाना
फील्ड पर तैनात अपने साथियों को समय पर खाना उपलब्ध करवाने के लिए राजधानी के निशातपुरा थाना परिसर में महिला पुलिसकर्मियों ने अपी रसोई शुरू कर दी है। इसमें प्रति दिन थाना स्टाफ समेत 115 जवानों के लिए खाना बनाया जा रहा है। थाना परिसर में ही रसोई की शुरुआत सब इंस्पेक्टर उर्मिला यादव व महिला पुलिसकर्मियों ने की है।
मुरैना क्राइम ब्रांच : सैलेरी से प्रदान कर रहे राशन
मुरैना जिले में लॉक डाउन के दौरान खाने पीने का संकट खड़ा हो गया है। दिहाड़ी मजदूरों और गरीब बस्तियों में समाजसेवी संस्थाएं राशन उपलब्ध करवा रही हैं। मुरैना की क्राइम ब्रांच टीम ने भी जरूरतमंद लोगों को राशन प्रदान किया। इसके लिए चंदा किसी और से नहीं मांगा गया बल्कि क्राइम ब्रांच टीम ने अपनी सैलरी से चंदा जुटा कर राशन खरीदा। चंदे की राशि से चावल, दाल व अन्य खाद्य सामग्री बस्तियों में बांटी गई।