Corona Pandemic: कोरोना महामारी में एक तरफ बेरोजगारी और गरीबी, दूसरी तरफ अरबपतियों की संपत्ति में 10 खरब डॉलर का इजाफा

UBS Report: स्विट्जरलैंड के यूबीएस बैंक की रिपोर्ट में हुआ खुलासा। अर्थशास्त्रियों ने कहा विफल हो गया पूंजीवाद।

Updated: Oct 07, 2020, 05:09 PM IST

Photo Courtesy: The Guardian
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नई दिल्ली। कोरोना वायरस महामारी के समय जहां एक ओर करोड़ों लोगों ने अपना रोजगार खो दिया, करोड़ों लोग गरीबी और भूखमरी के चंगुल में फंस गए, वहीं दूसरी ओर विश्व के सबसे अमीर लोगों की संपत्ति में 10.2 खरब डॉलर की वृद्धि हुई। स्विट्जरलैंड के यूएबीएस बैंक ने यह रिपोर्ट दी है। कुछ अर्थशास्त्री इसे पूंजीवाद की विफलता बता रहे हैं। उनकी आशंका है कि जल्द ही इन अमीरों के खिलाफ एक बड़ा विद्रोह हो सकता है। 

रिपोर्ट में कहा गया है कि दुनिया के सबसे अमीर लोगों की संपत्ति में हुई यह बेतहाशा बढ़ोतरी, उनके द्वारा ग्लोबल स्टॉक मार्केट की रिकवरी पर दांव खेलने का नतीजा है। रिपोर्ट में कहा गया है कि 2017 के मुकाबले ना केवल अमीरों की संपत्ति बढ़ी है बल्कि अरबतियों की संख्या में भी वृद्धि हुई है। 

यूएसबी के ग्लोबल फैमिली ऑफिस के प्रमुख जोसेफ सैडलर ने मीडिया संस्थान द गार्जियन को बताया कि अमीरों की संपत्ति में यह बेतहाशा वृद्धि इसलिए हुई क्योंकि वे महामारी के दौरान जोखिम उठाने से डरे नहीं। उन्होंने कहा कि महामारी के दौरान टेक्नॉलजी कंपनियों के शेयर में तेजी से बढ़ोतरी हुई। इन कंपनियों के मालिक दुनिया भर के सबसे अमीर लोग ही हैं। 

दूसरी तरफ हाई पे सेंटर थिंकटैंक के कार्यकारी निदेशक ल्यूक हिलयार्ड का कहना है कि कुछ चंद लोगों के पास इनती अधिक संपत्ति का इकट्ठा हो जाना ना केवल नैतिक रूप से गलत है बल्कि यह आर्थिक-सामाजिक ढांचे को बर्बाद करने वाला है। उन्होंने कहा कि इन लोगों के पास इतना पैसा है कि कई कई पीढ़ियां भी अगर विलासिता भरी जिंदगी जिएं तो भी यह खत्म ना हो। 

उन्होंने कहा कि इतनी अधिक संपत्ति के मालिक ये लोग आसानी से अपने कर्मचारियों का वेतन बढ़ा सकते हैं, जिनकी सहायता से वे यह संपत्ति कमाते हैं। या फिर अधिक टैक्स देकर आम लोगों के लिए सार्वजनिक सेवाओं में योगदान दे सकते हैं। 

हिलयार्ड ने आगे कहा कि यह रिपोर्ट बताती है कि दुनिया के सबसे अमीर लोग और अमीर हो रहे हैं, पूंजीवाद काम नहीं कर रहा है। हालांकि, दूसरे अर्थशास्त्रियों का मानना है कि पूंजीवाद ठीक ऐसे ही काम करता है। 

सैडलर ने कहा कि उन्होंने तीन साल पहले चिंता जताई थी कि वैश्विक अमीरों के खिलाफ विद्रोह हो सकता है। तब से लेकर अब तक अमीरों की संपत्ति में 70 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है।