क्रिप्टो करेंसी पर पाबंदी से आशंकित हुए निवेशक, बिटक्वॉइन सहित सभी क्रिप्टो करेंसी के गिरे भाव

मोदी सरकार क्रिप्टो करेंसी पर शिकंजा कसने की तैयारी कर रही है, इसके लिए संसद के आगामी सत्र में बिल पेश किया जाना है, यही वजह है कि हर तरह की डिजिटल करेंसी से लोग तेज़ी से पैसा निकालने लगे हैं

Updated: Nov 24, 2021, 09:56 AM IST

Photo Courtesy: India Tv
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नई दिल्ली। Bitcoin बिटक्वाइन समेत लगभग सभी क्रिप्टोकरेंसी के भाव में तेजी से गिरावट देखने को मिली है। मोदी सरकार द्वारा क्रिप्टोकरेंसी पर लगाम लगाए जाने की आशंका के बीच बिटकॉइन के भाव करीब ग्यारह फीसदी तक टूट गए हैं। बिटकॉइन के साथ साथ अन्य क्रिप्टोकरेंसी के भाव भी तेजी से नीचे आ रहे हैं। निवेशकों में आए इस अविश्वास की वजह से लोग धड़ाधड़ इसमें लगाए गए अपने पैसे निकालने में लगे हुए हैं। इस वजह से क्रिप्टो अपने भाव से नीचे आकर ४० लाख पर सिमट गया है।

बिटकॉइन के अलावा ईथेरम के भाव में करीब नौ फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है। जबकि doge का भाव भी ग्यारह फीसदी तक टूट गया है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक बिटकॉइन इस वक्त 40.5 लाख रुपए के नीचे तक गिर चुका है। वहीं ईथेरम तीन लाख रुपए तक के भाव पर बिक रहा है। जबकि Doge 16 लाख रुपए के भाव पर मिल रहा है। 

क्रिप्टो करेंसी के भाव में आई इस गिरावट के पीछे मोदी सरकार द्वारा आने वाले संसद सत्र में लाया जाने वाला एक बिल है, जिसके जरिए मोदी सरकार क्रिप्टो करेंसी पर शिकंजा कसने की तैयारी कर रही है। मोदी सरकार शीतकालीन सत्र में क्रिप्टो करेंसी को रेगुलेट करने के लिए 'द क्रिप्टोकरेंसी एंड रेगुलेशन ऑफ डिजिटल करेंसी बिल,2021'  लेकर आने जा रही है। इसके जरिए सरकार डिजिटल करेंसी पर नकेल कसने के साथ साथ आरबीआई की डिजिटल करेंसी लेकर आएगी।

भारत में क्रिप्टोकरेंसी के करीब 9-10 करोड़ निवेशक हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक अब तक करीब सत्तर हजार करोड़ से ज्यादा का निवेश डिजिटल करेंसी में हो चुका है। ऐसे में क्रिप्टो करेंसी बिल ने निवेशकों की परेशानी बढ़ा दी है। खुद प्रधानमंत्री मोदी अपने एक संबोधन के दौरान क्रिप्टोकरेंसी को खतरनाक बता चुके हैं। 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सिडनी डायलॉग को संबोधित करते हुए कहा था कि हम सभी लोकतांत्रिक देशों को यह सुनिश्चित करना होगा कि यह गलत हाथों में न जाए। इसके लिए हमें मिलकर काम करने की ज़रूरत है। अन्यथा यह हमारे युवाओं को बर्बाद कर देगा। वहीं आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास क्रिप्टोकरेंसी को देश के वित्तीय ढांचे पर खतरा करार दे चुका हैं। 

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संसद में बिल लाने की तैयारियों से पहले संसद की वित्तीय मामलों पर बनी समिति ने भी इस पर चर्ता की थी। संसदीय समिति के सुझाव के मुताबिक इस पर पूर्ण पाबंदी लगाना सरकार के लिए नुकसानदायक होगा, क्योंकि भारत के दस करोड़ ग्राहक पहले ही इससे जुड़ चुके हैं। यही नहीं, हाल ही में कर्नाटक में क्रिप्टोकरेंसी का सबसे बड़ा घोटाला भी बीजेपी सरकार के लिए परेशानी का सबब बना है। इन हालातों में मोदी सरकार ने इसे रेगुलेट करने का फैसला लिया है। लेकिन निवेशक अपने पैसे डूबने के डर से डरे हुे हैं।