अर्थव्यवस्था में सुधार के दावे फेल, लगातार नौवें महीने गिरी कोर सेक्टर की ग्रोथ रेट

नवंबर के महीने में अर्थव्यवस्था के 8 प्रमुख क्षेत्रों का उत्पादन 2.6 फीसदी गिरा, प्राकृतिक गैस, रिफ़ाइनरी, स्टील और सीमेंट जैसे अहम सेक्टर्स में मंदी जारी

Updated: Jan 01, 2021, 01:33 AM IST

Photo Courtesy : Business Standard
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नई दिल्ली। भारत के इतिहास की सबसे भयावह मंदी का सामना कर रही अर्थव्यवस्था के लिए एक और बुरी ख़बर है। इक़ॉनमी में रिकवरी के तमाम सरकारी दावों को ठेंगा दिखाते हुए देश के आठ कोर सेक्टर्स की ग्रोथ रेट में लगातार नौवें महीने गिरावट दर्ज की गई है। नवंबर के महीने में दर्ज की गई 2.6 फीसदी की इस गिरावट के लिए प्राकृतिक गैस, रिफ़ाइनरी, स्टील और सीमेंट जैसे अहम सेक्टर्स के उत्पादन में आई कमी ख़ास तौर पर ज़िम्मेदार है।

अप्रैल से नवंबर के आठ महीनों की बात करें तो आठ कोर सेक्टर्स में 11.4 फ़ीसदी की भयावह निगेटिव ग्रोथ रेट दर्ज की गई है। इसके मुक़ाबले पिछले साल की इसी अवधि के दौरान 0.3 फ़ीसदी की नगण्य लेकिन पॉज़िटिव ग्रोथ देखने को मिली थी।

वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय की तरफ़ से गुरुवार को जारी आँकड़ों के मुताबिक़ नवंबर 2020 में दर्ज की गई 2.6 फ़ीसदी की गिरावट यानी निगेटिव ग्रोथ के मुक़ाबले नवंबर 2019 के दौरान आठ कोर सेक्टर्स में 0.7 फ़ीसदी की बेहद मामूली बढ़त दर्ज की गई थी।

नवंबर के ताज़ा आँकड़ों के मुताबिक़ अर्थव्यवस्था के आठ अहम सेक्टर्स में सिर्फ़ तीन ही ऐसे हैं, जिनमें गिरावट नहीं आई है। ये तीन सेक्टर हैं, कोयला, फर्टिलाइज़र और बिजली। जबकि कच्चे तेल, प्राकृतिक गैस, रिफ़ाइनरी, स्टील और सीमेंट - इन सभी सेक्टर्स में निगेटिव ग्रोथ रेट की निराशाजनक स्थिति सामने है।

इन सेक्टर्स की अलग-अलग ग्रोथ रेट पर नज़र डालें तो कच्चे तेल में (-)4.9 फीसदी, प्राकृतिक गैस में (-)9.3 फीसदी, ऱिफाइनरी प्रोडक्ट्स में (-)4.8 फीसदी, स्टील में (-)4.4 फीसदी और सीमेंट में  (-)7.1 फीसदी की निगेटिव ग्रोथ यानी गिरावट देखने को मिली है। इसी दौरान कोयले में 2.9 फीसदी, बिजली में 2.2 फीसदी और फर्टिलाइज़र में 1.6 फीसदी की मामूली ग्रोथ दर्ज की गई है। देश के  औद्योगिक उत्पादन सूचकांक में आठ कोर सेक्टर्स का 40.27 फीसदी योगदान रहता है। इसके अलावा कोर सेक्टर को देश के औद्योगिक उत्पादन की बुनियाद भी माना जाता है। अर्थव्यस्था में हालत में सुधार के लिए इन क्षेत्रों की हालत सुधरना बेहद ज़रूरी है। 

चालू वित्त वर्ष की पहली और दूसरी तिमाही में लगातार गिरावट के बाद देश की अर्थव्यवस्था इतिहास में पहली बार तकनीकी रूप से मंदी के दौर में प्रवेश कर चुकी है। अप्रैल से जून की तिमाही में तो इकॉनमी में 23.9 फ़ीसदी की भयानक गिरावट दर्ज की गई थी, जबकि जुलाई से सितंबर यानी दूसरी तिमाही के दौरान भी इसमें 7.5 फ़ीसदी की भारी गिरावट देखने को मिली। दुनिया के बड़े देशों में ग्रोथ रेट के हिसाब से भारत की आर्थिक हालत फ़िलहाल सबसे ख़राब चल रही है। इतना ही नहीं, दक्षिण एशिया के देशों में भी भारत सबसे बुरी हालत में है।