जियो के बाद टेक कंपनी गूगल की एयरटेल में निवेश की ख़बर, भारती एयरटेल की सेहत में सुधार की उम्मीद

दोनों कंपनियों के अधिकारियों में हो रही है बातचीत, डील से एयरटेल की वित्तीय सेहत सुधरने की उम्मीद

Updated: Aug 28, 2021, 07:21 AM IST

नई दिल्ली। मुकेश अम्बानी के रिलायंस जियो प्लेटफॉर्म में 34 हजार करोड़ के निवेश के बाद अमेरिकी बहुराष्ट्रीय प्रौद्योगिकी कंपनी, गूगल ने रिलायंस की प्रतिद्वंद्वी भारती एयरटेल में बड़ा निवेश करने का एलान किया है। सुंदर पिचाई की अगुवाई वाली गूगल कंपनी ने कहा है कि इस संबंध में एयरटेल के साथ बातचीत काफी आगे बढ़ चुकी है। एयरटेल में गूगल हजारों करोड़ रुपए निवेश कर  सकता है। इस समझौते के लिए दोनों कंपनियों के उच्च अधिकारी पिछले कुछ महीनों से लगातार बात कर रहे हैं।

हालांकि निवेश की इस खबरों पर गूगल और एयरटेल की ओर से प्रेस को कुछ भी बताया नहीं गया है। गूगल ने इसका भी भी कोई जवाब नहीं दिया है कि जियो की प्रतिद्वंद्वी एयरटेल में उसके निवेश पर जियो को कोई आपत्ति तो नहीं है। लेकिन अगर गूगल और एयरटेल के बीच ये डील हो जाती है तो सुनील मित्तल की अगुवाई वाली एयरटेल के लिए ये बहुत फायदे का सौदा होगा।

दरअसल मुकेश अम्बानी के जियो ने वॉयस कालिंग फ्री करके और इंटरनेट डाटा के रेट बहुत सस्ते करके इस सेक्टर के पूरे वित्तीय ढांचे में उथल पुथल मचा दी है। वॉयस कालिंग से इस सेक्टर को करीब 75 फीसदी तक रेवेन्यू मिलता था पर जियो ने कालिंग फ्री करके टेलिकॉम सेक्टर की अन्य कंपनियों वोडाफोन आईडिया और एयरटेल को दबाव में ला दिया है। जियो के आने के बाद से टेलीकॉम फील्ड में प्रतिस्पर्धा काफी बढ़ गई है।

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रविवार को होने जा रही एयरटेल के बोर्ड की बैठक में कम्पनी के लिए फण्ड जुटाने की योजनाओं पर चर्चा होगी। जून अंत तक एयरटेल पर करीब 16 लाख करोड़ रुपए का कर्ज है। इसके बावजूद कम्पनी अपने टैरिफ को बढ़ा नहीं पा रही है। सूत्रों का कहना है कि ऐसे में गूगल के साथ डील एयरटेल के लिए बूस्टर साबित होगी। गूगल के विज्ञापनों से कम्पनी की वित्तीय सेहत सुधरेगी। 

गूगल एयरटेल डील के बारे में विशेषज्ञों का कहना है कि एयरटेल में निवेश के पीछे गूगल के पास दमदार कारण होने चाहिए। इस डील में खतरा भी बहुत है। अगर इस डील के चलते भविष्य में कुछ भी गलत हुआ तो इसका असर निश्चित रूप से गूगल की विश्वसनीयता पर पड़ेगा। उसके मार्किट पर भी इसका असर होगा और अपने नाम को बचाने के लिए गूगल को सारी देनदारी चुकानी पड़ेगी क्योंकि एयरटेल इस स्थिति में ही नहीं होगा की वो इस वित्तीय दबाव को झेल सके।