Income Tax: 6 सवालों में जानिए क्या है फेसलेस असेसमेंट और अपील

इनकम टैक्स विभाग में करदाताओं के लिए लागू की गई इस व्यवस्था के क्या हैं फायदे और नुकसान

Updated: Sep 27, 2020, 02:39 PM IST

Photo Courtesy: Certicom
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आयकर विभाग में करदाताओं के लिए फेसलेस असेसमेंट और फेसलेस अपील की प्रक्रिया लागू हो चुकी है। आइए जानते हैं इस नई व्यवस्था की खास बातें: 

1. कब से लागू है नया सिस्टम

इनकम टैक्स चुकाने वाले करदाताओं के लिए फेसलेस असेसमेंट की सुविधा 13 अगस्त 2020 से लागू की गई है। जबकि इनकम टैक्स अपील की प्रक्रिया को भी 25 सितंबर से फेसलेस कर दिया गया है। इन दोनों ही सुविधाओं का एलान अगस्त 2020 के महीने में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए किया था।

2. फेसलेस असेसमेंट का मतलब क्या है  

फेसलेस असेसमेंट में टैक्स देने वाले व्यक्ति को टैक्स ऑफिसर से मिलने या इनकम टैक्स ऑफिस जाने की कोई जरूरत नहीं है। पुराने सिस्टम में आयकर के किसी भी मामले को उसी शहर या ज़ोन के इनकम टैक्स अफसर देखते थे। लेकिन फेसलेस सिस्टम में देश के किसी भी कोने में बैठा अफसर किसी भी इलाके के आयकर के मामले को देख सकता है। कंप्यूटराइज्ड सिस्टम के जरिये तय होगा कि किसका टैक्स असेसमेंट कौन सा अफसर करेगा। असेसमेंट से निकला रिव्यू भी किस अफसर के पास जाएगा, किसी को पता नहीं होगा। पहले असेसमेंट का काम उसी क्षेत्र का टैक्स ऑफिसर करता था, जहां का मामला होता था। लेकिन अब किसी भी राज्य या शहर का अफसर किसी भी जगह के मामले की जांच कर सकता है।

3. फेसलेस अपील में क्या होगा

फेसलेस असेसमेंट के बाद इनकम टैक्स विभाग की तरफ से जारी किसी आदेश में आपको कोई खामी नज़र आती है या आप उसमें रखी गई टैक्स की मांग से सहमत नहीं हैं तो आपके उसके खिलाफ अपील भी ऑनलाइन कर सकेंगे। इसके लिए किसी आयकर अधिकारी से मिलने की ज़रूरत नहीं होगी। यह अपील देश के किसी भी इनकम टैक्स ऑफिस के अफसर को रैंडम तरीके से आवंटित की जा सकती है। अपील पर फैसला करने वाले अफसरों की पहचान भी जाहिर नहीं की जाएगी। किसी भी सवाल का जवाब इलेक्ट्रॉनिकली दिया जा सकता है। अपील में किए जाने वाले फैसले और रिव्यू टीम आधारित होंगे। हालांकि इनकम टैक्स कमिश्नर के स्तर तक होने वाली सारी अपील फेसलेस ही होगी, लेकिन कुछ मामलों में सीनियर अफसरों की मंजूरी के बाद वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए व्यक्तिगत तौर पर सुनवाई की इजाजत दी जा सकती है। इनकम टैक्स कमिश्नर के फैसले के खिलाफ अपील इनकम टैक्स अपीलेट ट्रिब्यूनल में और उसके बाद हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में की जा सकती है।

4. फेसलेस असेसमेंट/अपील से क्या फायदा होगा

इनकम टैक्स असेसमेंट और अपील को फेसलेस बनाने की नई व्यवस्था का सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि आयकर अफसर किसी करदाता पर दबाव बनाकर उससे कोई अनुचित मांग नहीं कर सकेंगे। इसी तरह करदाता भी किसी खास अफसर से जान-पहचान बनाकर, उसके साथ सांठगांठ करके या उस पर दबाव बनाकर उसका कोई गलत फायदा नहीं उठा सकेंगे। फेसलेस असेसमेंट और अपील में ऑनलाइन काम होने के कारण मामलों का निपटारा तेजी से होगा।

5. क्या फेसलेस असेसमेंट/अपील के कुछ अपवाद भी होंगे

एक अहम सवाल यह है कि क्या फेसलेस असेसमेंट/अपील का सिस्टम हर मामले में लागू होगा या इसके कुछ अपवाद भी होंगे - यानी ऐसे मामले जिनमें यह व्यवस्था लागू नहीं होगी। तो जवाब यह है कि कुछ मामले इस नई व्यवस्था के दायरे में नहीं आएंगे। मिसाल के तौर पर गंभीर धोखाधड़ी, बड़ी टैक्स चोरी, संवेदनशील जांच के मामले, अंतरराष्ट्रीय टैक्स चोरी के मामले, ब्लैक मनी से जुड़े मामले और बेनामी संपत्ति के मामले।

6. फेसलेस असेसमेंट/अपील में क्या परेशानियां हो सकती हैं

हालांकि आमतौर पर फेसलेस असेसमेंट और अपील को अच्छा माना जा रहा है, लेकिन कई जानकारों का मानना है कि इस व्यवस्था में कुछ दिक्कतें भी आ सकती हैं। मसलन, इनकम टैक्स से जुड़े किसी जटिल मामले को आमने-सामने बात किए बिना समझाना मुश्किल हो सकता है। यह आशंका भी जाहिर की जा रही है कि अगर किसी आयकर अधिकारी को किसी दस्तावेज को समझने में मुश्किल आई तो वो उसे खारिज कर सकता है या कोई एकतरफा राय बना सकता है। जबकि आमने-सामने की बातचीत में करदाता या उसके चार्टर्ड एकाउंटेंट के लिए स्पष्टीकरण देना आसान हो सकता है। एक डर यह भी है कि पुराने ढंग से बिज़नेस चलाने वाले लोगों को या सीनियर सिटिज़न्स को नए तौर-तरीके अपनाने में मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है। कई दूर-दराज इलाकों में रहने वाले करदाताओं को इंटरनेट कनेक्शन या कंप्यूटराइज्ड सिस्टम की क्वॉलिटी अच्छी न होने पर अपने दस्तावेज अपलोड करने में मुश्किल हो सकती है।