Corona Effect : चीन से शुरू हो सकती है मंदी

China: गड़बड़ियों को देखते हुए नियामकों ने 17 जुलाई को कुल 171.5 अरब डॉलर सम्पत्ति वाली 9 कम्पनियों का नियंत्रण अपने हाथ में लिया

Publish: Jul 23, 2020, 03:57 AM IST

Photo Courtesy: zee news
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नई दिल्ली। साल 2008 में लेहमन ब्रदर्स के धराशाई होने के बाद वैश्विक आर्थिक मंदी की शुरुआत हुई थी। द इकॉनिमिक टाइम्स में लिखे अपने विश्लेषण में अंजनी त्रिवेदी और शुली रेन का मानना है कि अब 12 साल बाद एक नई आर्थिक मंदी के चीन से शुरू होने की आशंका है। उनका कहना है कि चीन के वित्तीय संस्थानों की हालत खस्ता है और 2008 में आई आर्थिक मंदी के बाद वाल स्ट्रीट ने जहां एक तरफ जोखिम भरे कारोबार को कम कर दिया था, वहीं दूसरी तरफ चीन में ये बदस्तूर जारी है। 

विश्लेषण के मुताबिक चीन ने अपने बैंक और बीमा कंपनियों को एक तरह से शहीद कर दिया है। चीन उनसे जरूरतमंदों को कर्ज देने, मुनाफे भूल जाने और अपने खरबों डॉलर के शेयर बाजार की मदद करने के लिए कह रहा है। लेकिन दूसरी तरफ कोविड 19 की वजह से कर्ज चुकाए जाने की संभावना बहुत कम हो गई है। ऐसे में चीन में लेहमन ब्रदर्स के धराशाई होने जैसी घटना बहुत पास दिख रही है। यह आशंका इस तथ्य से और पुख्ता हो रही है कि पिछली 17 जुलाई को नियामकों ने नौ ऐसी कंपनियों को नियंत्रण में ले लिया है, जिनकी हालत खस्ता है। ये सभी नौ कंपनियां बिजनेस टाइकून शिआओ जिहुआ द्वारा नियंत्रित हैं और इनकी कुल परिसंपत्ति 171.5 अरब डॉलर है। ये चीन के इतिहास में अब तक का सबसे बड़ा सीजर है। शिआओ को तीन साल पहले चीनी अधिकारियों ने उठा लिया था और वे तब से सार्वजनिक तौर पर नजर नहीं आए हैं। 

दरअसल, चीन की बीमा कंपनियां 2017 से ही परेशानी में पड़ी हुई हैं। उनका कॉर्पोरेट गवर्नेंस स्कोर लगातार गिर रहा है। सीज की गई नौ कंपनियों में से एक हुआक्सिया लाइफ इंश्योंरेंस उन पॉलिसी को बेच रही है जिनमें नियमों का उल्लंघन किया गया है। साथ ही साथ यह कंपनी पॉलिसी लेने वालों के नाम भी गलत तरीके से उजागर कर रही है। इन नौ कंपिनयों का सीजर बोशांक बैंक कंपनी के सीजर के एक साल बाद हुआ है लेकिन दिवालिया संकट उस समय भी व्याप्त था। बोशांक बैंक कंपनी को सीज करने के बाद कहा गया था कि अब इस तरह की गड़बड़ियां नहीं होंगी, लेकिन उसके बाद भी ये जारी रहीं। यह भी पाया गया कि कंपनियां अपने फंडिग के सोर्स में हेराफेरी कर रही थीं और एक ही परिसंपत्ति पर कई लोन दे रही थीं। 

बोशांक बैंक कंपनी की घटना के बाद चीन की सरकार इन गड़बड़ियों पर रोक लगा सकती थी। चीनी सरकार बाजार को अपनी विफलता से उबरने का मौका दे सकती थी लेकिन ऐसा नहीं हुआ और अब हालात ऐसे हैं कि कोरोना के कारण अगर इन कंपनियों की परिसंपत्ति में थोड़ी सी भी गिरावट आती है तो कंपनियां पूरी तरह से बर्बाद हो सकती हैं। इसका एक बड़ा कारण बड़े-बड़े कर्ज को बट्टे खाते में डालना भी है। सीएलएसए के डेटा के मुताबिक बड़े कर्ज बट्टे खाते में डाल देने के कारण हुआक्सिया लाइफ इंश्योरेंस की बुक वैल्यू में तिमाही-दर-तिमाही के स्तर पर 23 प्रतिशत की कमी आई है। 

कहा जा रहा है कि चीन की वर्तमान वित्तीय स्थिति एक भगोड़े व्यापारी की पहले से ही आगे बढ़ चुकी बैलेंस शीट से भी आगे की है। 1995 के बाद से देश में केवल 12 कंपनियों को केंद्रीय बैंक और एजेंसियों ने सीज किया है। इनमें से आधे से अधिक कंपनियां पिछले एक साल में सीज की गई हैं। कुछ कंपनियां हाल के महीनों में अपने निवेशकों के मूलधन और ब्याज को चुकाने में असमर्थ रही हैं। 

बताया जा रहा है कि इन कंपनियों को सीज करने के बाद अधिकारी कुछ टीम भेजेंगे। ये टीम इन कंपनियों में हितधारकों, निदेशकों और प्रबंधकों का रोल अदा करेंगी। चीन की कुछ बड़ी बीमा कंपनियों को ट्रस्टी बनाया जाएगा। ये ट्रस्टी खस्ता हाल कंपनियों को खुद को समेटने और अपनी परिसंपत्तियों को बेचने के लिए मजबूर करेंगे। यही चीन का वित्तीय मॉडल है। किन कंपनियों को पूंजीगत मदद मिलेगी या नहीं, कंपनियां अपने लिए निवेशक खोज पाएंगी या नहीं, यह अभी साफ नहीं है। चीन की करीब 11 बड़ी कंपनियां बहुत कठिन रास्ते पर चलने के लिए मजबूर हैं। 

चीन अब तक वित्तीय बाजार में परेशानी का सबब बनने वाले कारोबारों से निपट नहीं पाया है। दो साल पहले जब न्यू यॉर्क के वॉल्डॉर्फ अस्टोरिया इंश्योंरेंस ग्रुप को सीज किया गया था, तब से लेकर अब तक इस समूह की परिसंपत्तियों को बेचना और इसके लिए रणनीतिक निवेशक खोजना एक दर्द भरी और लंबी प्रक्रिया रही है। चीन के लिए शायद अब समय आ गया है कि वो अपने डर का सामना करे और कुछ कंपनियों का नुकसान भी होने दे। ऐसा करते हुए, चीन ऐसा काम कर सकता है जो सच में जरूरी है।