जेब पर बढ़ेगा बोझ, RBI ने बढ़ाया रेपो रेट, बढ़ जाएगी आपकी EMI, लोन लेना भी होगा महंगा

रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने आज अपनी मौद्रिक नीति समिति की बैठक के फैसलों का एलान कर दिया है और इसमें रेपो रेट में 0.50 फीसदी का इजाफा कर दिया है, यह लगातार तीसरी बार है जब आरबीआई ने रेपो रेट में वृद्धि की है

Updated: Aug 05, 2022, 01:02 PM IST

नई दिल्ली। देश के केंद्रीय बैंक आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने द्विमासिक मौद्रिक नीति समिति की बैठक के फैसलों का एलान कर दिया है। आरबीआई ने एक बार फिर रेपो रेट में बढ़ोतरी की हैं। इस बार आरबीआई ने रेपो रेट में 0.50 बेसिस पॉइंट का इजाफा कर दिया है। ऐसे में रेपो रेट 4.90 से बढ़कर 5.40 फीसदी हो गया है। इस फैसले के बाद आम लोगों के जेब पर बोझ बढ़ना तय है। 

रेपो रेट बढ़ने का अर्थ है कि आपकी ईएमआई इसके चलते काफी बढ़ने वाली है। साथ ही होम लोन लेना भी महंगा पड़ेगा। आज की बढ़ोतरी के बाद रेपो रेट कोरोना महामारी के पूर्व स्तर पर पहुंच गया है। यह लगातार तीसरा हाइक है।इसके पहले आरबीआई मई और जून में कुल मिलाकर 0.90 फीसदी की बढ़ोतरी कर चुका था। यानी कि पिछले चार महीनों में रेपो रेट में 1.4% की बढ़ोतरी हो चुकी है।

शक्तिकांत दास ने बताया कि भारतीय रिजर्व बैंक ने चालू वित्त वर्ष के लिए आर्थिक वृद्धि दर के अनुमान को 7.2 प्रतिशत पर कायम रखा है। केंद्रीय बैंक ने खुदरा महंगाई दर चालू वित्त वर्ष में 6.7 प्रतिशत रहने का अनुमान बरकरार रखा है। उन्होंने कहा कि सामान्य मानसून और कच्चे तेल का दाम 105 डॉलर प्रति बैरल पर रहने की संभावना के आधार पर वित्त वर्ष 2022-23 के लिये मुद्रास्फीति अनुमान को 6.7 प्रतिशत पर बरकरार है।

डॉलर के मुकाबले रिकॉर्ड निचला स्तर पर आ चुके भारतीय रुपये को लेकर गवर्नर ने कहा कि रुपया व्यवस्थित तरीके से कारोबार कर रहा है। चार अगस्त तक यह 4.7 प्रतिशत टूटा है। रिजर्व बैंक की रुपये के उतार-चढ़ाव पर नजर है। दास ने कहा कि रुपये में गिरावट की बड़ी वजह डॉलर का मजबूत होना है, न कि इसमें घरेलू अर्थव्यवस्था में आई किसी कमजोरी का हाथ है। उन्होंने कहा कि हालांकि, आरबीआई की नीतियों की वजह से रुपया कई अन्य मुद्राओं के मुकाबले डॉलर के आगे कहीं बेहतर स्थिति में है।