RBI Monetary Policy: रेपो रेट 4 फ़ीसदी पर बरकरार, 2021-22 में GDP 10.5 फ़ीसदी बढ़ने की उम्मीद

रिज़र्व बैंक (RBI) के गवर्नर शक्तिकांत दास को उम्मीद, मंदी से बाहर आ रही है इकॉनमी, वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान 10.5 फीसदी रहेगी जीडीपी विकास दर

Updated: Feb 05, 2021, 06:51 AM IST

Photo Courtesy: Financial Express
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नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने रेपो रेट 4 फीसदी पर बरकरार रखने का एलान किया है। मौद्रिक नीति समिति (MPC) की हर दो महीने में होने वाली बैठक में समिति के सभी सदस्यों ने एकमत से ब्याज दरों में बदलाव नहीं करने का फैसला किया है। रिज़र्व बैंक (RBI) के गवर्नर शक्तिकांत दास आज प्रेस कॉन्फ़्रेंस में कहा कि वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान जीडीपी विकास दर 10.5 फीसदी रहने का अनुमान है। साथ ही चालू वित्त वर्ष की चौथी तिमाही में खुदरा महंगाई दर का लक्ष्य संशोधित करके 5.2 फीसदी कर दिया गया है। रिवर्स रेपो रेट को भी 3.35 फीसदी पर ही रखा गया है।

बजट के बाद हुई पहली बैठक में एमपीसी ने पॉलिसी रेट्स में कोई बदलाव नहीं करने का फ़ैसला किया। शक्तिकांत दास ने प्रेस कॉन्फ़्रेंस में दावा किया कि भारत लगातार आर्थिक रिकवरी के रास्ते पर आगे बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी की दूसरी लहर का ख़तरा काफ़ी कम हो जाने से इसमें मदद मिल रही है। आरबीआई गवर्नर ने उम्मीद ज़ाहिर की है कि देश की अर्थव्यवस्था नए वित्त वर्ष के दौरान महामारी की वजह से हुए नुक़सान से उबर जाएगी।

रिज़र्व बैंक का पॉलिसी रेट्स में कोई बदलाव नहीं करने का फ़ैसला इसलिए भी अहम हो जाता है, क्योंकि हाल ही में पेश बजट में सरकार ने बड़े पैमाने पर क़र्ज़ लेने का इरादा ज़ाहिर किया है। बजट के एक दिन पहले दस साल के बॉन्ड पर रिटर्न की दर 5.93 फ़ीसदी थी, जो गुरुवार को बढ़कर 6.08 फ़ीसदी पर जा पहुँची। एमपीसी ने पिछले साल अर्थव्यवस्था में लिक्विडिटी बनाए रखने के मक़सद से रेपो रेट्स में कुल मिलाकर 1.15 फ़ीसदी की कटौती की थी। लेकिन पिछली तीन बैठकों से उसने पॉलिसी रेट्स में कोई बदलाव नहीं किया है। आर्थिक मंदी के दौर में आम तौर पर ब्याज दरें और कम होनी चाहिए। जीडीपी की नकारात्मक ग्रोथ रेट को देखते हुए भारत में ब्याज दरें अब भी काफ़ी ऊँची हैं। लेकिन मंदी के बावजूद देश में महंगाई भी बढ़ी हुई है, जिसके चलते रिज़र्व बैंक, रेपो रेट में और कटौती नहीं कर रहा है। रेपो रेट वह दर है, जिस पर रिज़र्व बैंक कॉमर्शियल बैंकों को लोन देता है।