लोग यूँ ही नहीं परेशान, खुदरा महंगाई दर 8 साल के उच्चतम स्तर पर पहुंची, महंगाई से जनता कर रही त्राहि-त्राहि  

खाद्य पदार्थों की कीमतों में बेतहाशा वृद्धि का असर, पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों ने महंगाई की आग और भड़काई

Updated: May 12, 2022, 04:37 PM IST

नई दिल्ली। 
सरकार के सांख्यिकी मंत्रालय की ओर से गुरुवार, 12 मई को जारी आंकड़ों के अनुसार उपभोक्ता मूल्य सूचकांक पर आधारित खुदरा महंगाई दर 7.79 फीसदी पर पहुंच गई है। खुदरा महंगाई दर का यह पिछले 8 साल का सर्वोच्च स्तर है। इसके पहले सितम्बर 2014 में खुदरा महंगाई दर इस स्तर पर पहुंची थी। जबकि पिछले महीने मार्च में खुदरा महंगाई दर 6.95 फीसदी दर्ज की गई थी। लगातार बढ़ती महंगाई ने आम आदमी का जीना मुहाल कर दिया है। सांख्यिकी मंत्रालय की ओर से जारी आंकड़ों के अनुसार अप्रैल महीने में खाने पीने के सामानों की कीमतों में बेतहाशा वृद्धि हुई है। अप्रैल महीने में खाद्य महंगाई दर मार्च के 7.68 फीसदी से बढ़कर 8.38 फीसदी पर पहुंच गई है। जिसका सीधा असर आम जनता की जेब पर पड़ रहा है। 

पेट्रोल-डीजल, एलपीजी, सीएनजी, पीएनजी, खाद्य तेल की कीमतों में अप्रैल माह में खूब बढ़ोत्तरी हुई। इससे ये आशंका बनी हुई थी कि उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित खुदरा महंगाई दर के आंकड़ों में बढ़ोत्तरी होगी। इसी आशंका में आज सेंसेक्स और निफ्टी में शुरूआती सत्र में ही तेज गिरावट दर्ज की गई और बीएसई सेंसेक्स 1158 अंक, निफ्टी 359 अंक गिरकर बंद हुआ। मंत्रालय की ओर से खुदरा महंगाई दर के जारी किये गए आंकड़ों से ये आशंका सच साबित हुई कि आम जनता यूँ ही नहीं त्राहि-त्राहि कर रही है।  दरअसल जनता की जेब महगाई के चलते ढीली हो गई है। 

भारतीय रिज़र्व बैंक ने 2  से 6 फीसदी तक महंगाई दर की लिमिट तय कर रखी है। लेकिन अप्रैल माह में देश में महंगाई दर आरबीआई की ओर से तय की गई लिमिट से बहुत आगे निकल गया। हालांकि ये लगातार चौथा महीना है जब देश में खुदरा महंगाई दर आरबीआई की तय की गई सीमा से आगे निकल गया है। ऐसे में खुदरा महंगाई को नियंत्रित करने का आरबीआई पर दबाव बढ़ गया है। आर्थिक क्षेत्र से जुड़े विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले समय में महंगाई को काबू में रखने के लिए रिज़र्व बैंक ब्याज दरों  में और बढ़ोत्तरी कर सकता है। जबकि इसी महीने आरबीआई ने रेपो रेट में बढ़ोत्तरी की है, जिसका असर ये हुआ है कि अधिकांश बैंकों ने होम लोन की दरें बढ़ा दी हैं। अब आने वाले समय में इसमें और वृद्धि की आशंका बढ़ गई है यानी इधर कुआं, उधर खाई।