भारी गिरावट के साथ खुला शेयर बाज़ार, रूपया भी अपने न्यूनतम स्तर 78 के पार

बाज़ार खुलते ही सेंसेक्स में 1800 अंकों की गिरावट दर्ज की गयी है..अब भी बाज़ार में जद्दोजहद जारी है.. इधर रूपया भी अपने न्यूनतम स्तर 78.29 के स्तर पर पहुँच गया है

Updated: Jun 13, 2022, 07:55 AM IST

Courtesy: The New Indian Express
Courtesy: The New Indian Express

नई दिल्ली। डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपया अबतक के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया है। सोमवार को शुरुआती कारोबार में रूपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 36 पैसे गिरकर 78.29 के निचले स्तर पर आ गया। इसका मतलब अंतराष्ट्रीय बाजार में एक अमेरिकी डॉलर के मुकाबले भारतीय रूपए की कीमत 78.29 तक पहुंच गयी। बीते कुछ दिनों से रूपये में लगातार गिरावट दर्ज की जा रही है।

डॉलर के मुकाबले रूपए की गिरती कीमत का असर भारतीय शेयर बाजार पर भी देखा गया। शुरुआती कारोबार में सेंसेक्स 1800 प्वाइंट गिर गया। हालांकि फिर कुछ संभला जरूर लेकिन खबर लिखने तक गिरावट 1400 प्वाइंट के करीब है। सेंसेक्स इस वक्त 52800 के आस पास पहुंच गया है। अगर बीते छह महीनों की गिरावट को देखें तो शेयर बाजार लगभग दस हजार प्वाइंट तक गिर चुका है। वहीं निफ्टी भी 400 पॉइंट गिरकर 15,700 के आसपास ट्रेंड कर रहा है।

सेंसेक्स में दर्ज होती लगातार गिरावट और विदेशी निवेशकों द्वारा भारतीय शेयर बाजार से पैसा निकालने के कारण शीर्ष 10 कंपनियों के बाजार पूंजीकरण यानि मार्केट कैप में पिछले सप्ताह सामूहिक रूप से 2.29 लाख करोड़ रुपए की गिरावट आई है। अक्टूबर, 2021 से विदेशी निवेशकों ने भारतीय शेयर बाजार से अब तक 2.5 ट्रिलियन रुपए निकाल लिए हैं। निवेशकों द्वारा ये पैसा यूएस ट्रेजरी बिल में लगाया गया बताया जा रहा है क्योंकि यूएस फेडरल रिजर्व ने ब्याज दरों में बढ़ोत्तरी कर दी है।

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फरवरी में यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद बढ़ती तेल की कीमतों के कारण भारतीय मुद्रा रुपए पर भी दवाब बढ़ा है। चालू वित्त वर्ष में डॉलर के मुकाबले भारतीय मुद्रा में 2.65 प्रतिशत की गिरावट आई है। अर्थशास्त्रियों की मानें तो अमेरिकी डॉलर के मुकाबले भारतीय रूपए में गिरावट का दौर अभी जारी रहेगा और आने वाले कुछ महीनों में रूपया 80 प्रति डॉलर के स्तर पर पहुंच सकता है।

अंतराष्ट्रीय बाजार में रुपए की गिरती कीमतों को असर भारत के आयात पर पड़ेगा और देश में कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोत्तरी हो सकती है। इससे स्थानीय बाजार में महंगाई बढ़ेगी। भारतीय रिजर्व बैंक ने बढ़ती मुद्रा स्फीति दर यानि मंहगाई को नियंत्रित करने के लिए अभी हाल ही में संपन्न हुई मौद्रिक नीति समीक्षा बैठक में रेपो दर को 0.50 फीसदी बढ़ाया था। इससे भी मध्यवर्गीय परिवारों पर लोन का दबाव बढ़ गया है।