सीमा पर टकराव और बहिष्कार के नारे बेअसर, चीन फिर बना भारत का नंबर वन ट्रेड पार्टनर

भारत और चीन के बीच साल 2020 में 77.7 अरब डॉलर का व्यापार हुआ, भारत ने पिछले साल इतना व्यापार किसी भी दूसरे देश के साथ नहीं किया है, 2019 में भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक सहयोगी अमेरिका था

Updated: Feb 23, 2021, 10:26 AM IST

File Photo Courtesy : DW.com
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नई दिल्ली। सीमा पर जारी तनाव, चीनी ऐप्स पर लगी पाबंदियों और चीनी सामानों के बहिष्कार की अपीलों के बावजूद चीन 2020 में एक बार फिर से भारत का नंबर वन ट्रेड 'पार्टनर' यानी व्यापारिक साझीदार बन गया है। जबकि 2019 में भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक सहयोगी अमेरिका था। भारत के कारोबारी रिश्तों में चीन की इस बढ़ी हुई हैसियत की तस्दीक कोई और नहीं बल्कि खुद भारत सरकार के वाणिज्य मंत्रालय के आंकड़े कर रहे हैं। जाहिर है कि सियासी तौर पर भले ही चीन के साथ करीबी रिश्ते दिखाने में नुकसान नज़र आता हो, कारोबार के मामले में मोदी सरकार के राज में चीन देश का सबसे बड़ा पार्टनर बन गया है।

अंग्रेजी के एक प्रमुख अखबार ने अपनी रिपोर्ट में वाणिज्य मंत्रालय के आंकड़ों के हवाले से बताया है कि भारत और चीन के बीच पिछले वर्ष करीब 77.7 अरब डॉलर का व्यापार हुआ है। लॉकडाउन और कोराना महामारी के कारण यह आंकड़ा 2019 के 85.5 अरब डॉलर के व्यापार के मुकाबले कम जरूर है, लेकिन बाकी तमाम देशों से यह तब भी ज्यादा है। इतना ही नहीं, 2020 में चीन के साथ व्यापार में भारत का व्यापार घाटा करीब 40 अरब डॉलर का रहा, जो किसी भी दूसरे देश के मुकाबले अधिक है। आसान भाषा में कहें तो चीन के साथ कारोबार करने में भारत को कम और चीन को कहीं ज्यादा फायदा हो रहा है।

2020 में दोनों देशों के बीच हुए 77.7 अरब डॉलर के व्यापार में भारत ने चीन से  58.7 अरब डॉलर का आयात किया, जबकि चीन ने भारत से सिर्फ 20 अरब डॉलर का इंपोर्ट किया। एक और दिलचस्प आंकड़ा यह है कि भारत ने इंपोर्ट के मामले में अपने दूसरे और तीसरे नंबर के ट्रेडिंग पार्टनर अमेरिका और संयुक्त अरब अमीरात से जितना आयात किया, उसे जोड़ दें, तो भी वह चीन से हुए आयात से कम ही होगा। चीन से भारत के आयात का 51 फीसदी हिस्सा हेवी मशीनरी का है। 

आसान शब्दों में कहें तो भारत अपने आयात के मामले में चीन पर बुरी तरह निर्भर बना हुआ है। उसमें भी औद्योगीकरण के लिए जरूरी हेवी मशीनरी के मामले में देश उसी चीन पर निर्भर है, जिसे भू-राजनैतिक तौर पर भारत का दुश्मन नंबर वन माना जाता है। चीन के बाद भारत ने सबसे ज़्यादा व्यापार अमेरिका के साथ किया है। भारत और अमेरिका के बीच करीबन 75.9 अरब डॉलर का व्यापार हुआ है। 

अंतरराष्ट्रीय व्यापार के यह आंकड़े बताते हैं कि मोदी सरकार भले ही आत्मनिर्भर भारत का नारा दे रही हो और मीडिया में होने वाले प्रचार के जरिए चीन के खिलाफ कड़े कदम उठाने का माहौल बनाया जाता हो, हकीकत उससे बिलकुल अलग है।