एयर इंडिया ने सरकार को किया टाटा बाय बाय, 68 साल बाद पुराने मालिक के पास

एयर इंडिया का स्वामित्व पहले टाटा ग्रुप के पास ही था, पहले यह टाटा एयरलाइंस के नाम से जाना चाहता था, 1953 में भारत सरकार को इसका मालिकाना हक मिल गया था, लेकिन 68 साल बाद एक बार फिर टाटा ग्रुप ने विमानन कंपनी पर अपना कब्ज़ा जमा लिया है

Updated: Oct 08, 2021, 12:56 PM IST

Photo Courtesy : Financial Express
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नई दिल्ली। 68 सालों के बाद एयर इंडिया अपने पुराने मालिक के पास पहुँच गया है। भारत सरकार द्वारा विमानन कंपनी को टाटा बाय बाय किए जाने के परिणामस्वरूप एयर इंडिया अपने पुराने मालिक यानी कि टाटा ग्रुप की झोली में चला गया है। एयर इंडिया की निलामी में सबसे अधिक बोली टाटा ग्रुप ने लगाई है।

टाटा ने 18 हज़ार करोड़ की सबसे अधिक बोली लगाकर एयर इंडिया को अपनी झोली में कर लिया है। इसे एयर इंडिया की घर वापसी के तौर पर देखा जा रहा है। रतन टाटा ने अपने ट्विटर हैंडल पर एयर इंडिया की बोली जीतने की जानकारी को साझा करते हुए लिखा भी है, वेल्कम बैक, एयर इंडिया।  

दीपम के सचिव तुहीन कांता पांडे ने टाटा सन्स द्वारा एयर इंडिया की सबसे अधिक बोली लगाए जाने की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि एयर इंडिया के लिए टाटा संस ने सबसे अधिक 18 हज़ार करोड़ की बोली लगाई है। हालांकि ऐसी खबरें पिछले हफ्ते ही सामने आ गई थीं कि एयर इंडिया की बोली को टाटा ग्रुप ने जीत लिया है। लेकिन तब केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने ऐसी किसी भी बात को सिरे से खारिज कर दिया था।  

अब एयर इंडिया और उसके दूसरे वेंचर एयर इंडिया एक्सप्रेस में टाटा संस की सौ फीसदी हिस्सेदारी होगी। एयर इंडिया करीब 68 साल के बाद टाटा ग्रुप की झोली में वापस पहुँचा है। पहले इसका मालिकाना हक टाटा के पास ही था। लेकिन 1953 में इस पर भारत सरकार का मालिकाना हक हो गया था।  

1932 में टाटा एयर सर्विसेज़ के तौर पर इसकी स्थापना हुई थी। जेआरडी टाटा ने इसकी स्थापना की थी। बाद में इसका नाम टाटा एयरलाइंस कर दिया गया था। 1953 में भारत सरकार ने टाटा एयरलाइंस को एयर कॉर्पोरेशन एक्ट के तहत खरीद लिया था। भारत सरकार ने शुरुआत में इसे एयर इंडिया इंटरनेशनल नाम दिया था। बाद में इसका नामकरण एयर इंडिया किया गया था। 

टाटा एयरलाइंस को खरीदने के बाद भारत सरकार ने विभिन्न देशों के लिए उड़ान सेवाओं को शुरु किया। टाटा एयरलाइंस के संस्थापक जेआरडी टाटा 1977 तक इसके चेयरमैन बने रहे। 2007 में एयर इंडिया और इंडियन एयरलाइंस का विलय हो गया। 

मोदी सरकार के कार्यकाल में निजिकरण का दौर आते ही एयर इंडिया को भी बेचने की कवायद शुरु की गई।मोदी सरकार ने एयर इंडिया को 2017 में ही बेचने की शुरुआत कर दी थी। लेकिन मोदी सरकार अपनी इस कोशिश में नाकाम रही। जनवरी 2020 में मोदी सरकार ने फिर एक बार एयर इंडिया के विनिवेश की कवायद तेज़ कर दी। इस मौके को तुरंत ही टाटा ग्रुप ने लपक लिया और एयर इंडिया को एक बार फिर अपने कुनबे में शामिल करने में कामयाबी पा ली।