नहीं रहे रामायण के लंकेश, रावण के नाम से प्रसिद्ध अरविंद त्रिवेदी का निधन

एक्टर अरविंद त्रिवेदी ने 83 साल की उम्र में अंतिम सांस ली, दिल का दौरा पड़ने से निधन, दो-तीन दिन से खराब था स्वास्थ्य

Updated: Oct 06, 2021, 01:47 AM IST

Photo Courtesy:  twitter
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 दूरदर्शन में प्रसारित रामायण में रावण का किरदार निभाने वाले अरविंद त्रिवेदी का दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया। मुंबई में अपने घर में उन्होंने अंतिम सांस ली। वे 83 वर्ष के थे। अरविंद त्रिवेदी के भतीजे कौस्तुभ त्रिवेदी ने उनके निधन के खबर की पुष्टि की है। उन्होंने कहा कि पिछले दो-तीन दिनों से उनकी तबियत खराब चल रही थी। अरविंद त्रिवेदी उम्र संबंधी परेशानी से जूझ रहे थे। 83 साल की उम्र में भी वे काफी एक्टिव थे, उन्हें किसी तरह की कोई बड़ी बीमारी नहीं थी।
अरविंद त्रिवेदी के निधन से उनके फैंस दुखी है। रामायण के राम अरुण गोविल, दीपिका चिखलिया, दीपक लहरी समेत बड़ी संख्या में लोगों ने उनके निधन पर दुख जताया है।

अरविंद त्रिवेदी केनिधन की अफवाह कुछ महीने पहले भी उड़ी थी, जिसका खंडन उनके परिजनों ने किया था। दूरदर्शन  पर प्रसारित रामायण से उन्होंने घर-घर प्रसिद्धि पाई थी। टीवी के इतिहास में पहली बार रामायण का निर्माण  रामानंद सागर ने किया था। जिसके बाद रामायण के किरदार बेहद लोकप्रिय हो गए थे। स्क्रीन पर रावण का किरदार निभाने वाले अरविंद असल जिंदगी में राम भक्त थे। कोरोना लॉकडाउन के दौरान अप्रैल 2020 में एक बार फिर रामायण के प्रसारण के बाद वे एक बार फिर  चर्चा में आ गए थे। 
एक मीडिया इंटरव्यू में अरविंद त्रिवेदी ने कहा था कि वे  रामानंद सागर की रामायण में केवट के रोल के लिए आडिशन देने गए थे।  लेकिन नियति को कुछ और ही मंजूर था, उनकी रौबदार आवाज और पर्सनालिटी से प्रभावित होकर रामानंद सागर ने अरविंद को रावण के रोल के लिए फाइनल किया। इसके बाद उनके अभिनय का जादू ऐसा चला जो कि आज भी कायम है।

मध्यप्रदेश के उज्जैन में 8 नवंबर 1938 को अरविंद त्रिवेदी का जन्म हुआ था। 300 से ज्यादा फिल्मों में काम कर चुके एक्टर ने करियर की शुरुआत  गुजराती थिएटर से की थी। अरविंद त्रिवेदी के भाई  उपेंद्र त्रिवेदी गुजराती फिल्मों में एक्टिव थे। एक्टिंग के साथ साथ उन्होंने राजनीति में भी हाथ आजमाया। उन्होंने 1991 में बीजेपी ज्वाइन की और इसी साल गुजरात के साबरकथा से सांसद निर्वाचित हुए।

 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 

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 हिन्दी और  गुजराती फिल्मों में वे करीब 40 साल तक एक्टिव थे। उन्होंने धार्मिक और सामाजिक फिल्मों  में अपने अभिनय का सिक्का जमाया। गुजराती फिल्मों में  बेहतरीन प्रदर्शन के लिए गुजरात सरकार ने उन्हें 7 बार सम्मानित किया। वे 2002 में केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड के कार्यकारी अध्यक्ष के रूप में नामिनेट किया गया था।  वे 20 जुलाई 2002 से 16 अक्टूबर 2003 तक केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड CBFC के चीफ के तौर पर सक्रिय थे। वर्तमान समय में वे ज्यादातर समय घर पर ही बिताते थे, कोरोना काल में रामायण के प्रसारण के दौरान  रामायण देखते उनकी तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हुई थीं। भले ही वे रामायण में नकारात्मक किरदार निभाते नजर आए, लेकिन उनकी फैन फॉलोइंग गजब की थी।