किसानों पर महंगाई की दोहरी मार, डीजल के बाद अब खाद के दाम में हुआ भारी इजाफा

डीजल की कीमतों में बढ़ोतरी से पहले ही किसान परेशान है, इसी बीच अब केंद्र सरकार ने खाद को भी महंगा कर दिया है, इससे किसानों पर 3 हजार 600 करोड़ रुपए का सालाना बोझ बढ़ेगा

Updated: Apr 04, 2022, 03:29 PM IST

नई दिल्ली। कोरोना के बाद देशभर में आसमान छूती महंगाई ने आम लोगों को बुरी तरह प्रभावित किया है। देश में लगातार पेट्रोल, डीजल और गैस सिलेंडर की कीमतें बढ़ रही है। इसी बीच अब उर्वरक के भी दाम बढ़ गए हैं। डीजल की कीमतों में बढ़ोतरी से पहले ही किसान परेशान थे अब उनपर महंगाई की दोहरी मार पड़ी है।

केंद्र की मोदी सरकार ने किसानों द्वारा फसलों में सर्वाधिक इस्तेमाल होने वाले डीएपी खाद की कीमत 150 रुपये प्रति कट्टा बढ़ा दिया है। पहले 50 किलोग्राम के बैग की कीमत 1200 रुपये थी। जो अब 1350 रुपये हो गई है। इसके अलावा एनपीके खाद की कीमत 150 रुपये प्रति कट्टा बढ़ा दिया गया है। पहले 50 किलोग्राम के एनपीके खाद की बैग की कीमत 1290 रुपये थी। जो अब 1400 रुपये हो गई है।

मूल्यवृद्धि से देशभर के किसानों की जेब पर 3 हजार 600 करोड़ का अतिरिक्त बोझ बढ़ेगा। माना जा रहा है कि इसका सर्वाधिक असर छोटे किसानों को होगा, जिनकी आबादी करीब 84 फीसदी है। देश के 15 फीसदी किसान ही बड़ी रकबा जोत वाले हैं। बता दें डीजल की कीमत बढ़ने से किसान पहले ही परेशान हैं। किसान की खेती का ज्यादातर काम ईधन पर निर्भर है। खेत की जुताई से लेकर कटाई और फसल को मंडी ले जाने तक किसान ट्रैक्टर का इस्तेमाल करते हैं। ऐसे में डीजल के रेट में हुई बढ़ोतरी किसानों के सामने पहले से ही बड़ी समस्या बनी हुई है। 

मामले पर मध्य प्रदेश किसान कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष केदार शंकर सिरोही ने कहा कि, 'खेती की लागत लगातार बढ़ रही है, लेकिन किसानों का मुनाफा नहीं बढ़ रहा है। ये क्या हो रहा है मोदी राज में? फायदा डबल करने का वादा कर सरकार ने नुकसान डबल करवा दिया। दरअसल, सरकार किसानों से उनका खेत छीनकर कॉरपोरेट को देना चाहती है, इसीलिए किसानों पर सुनियोजित प्रहार किया जा रहा है।'