एमपी में बदहाल किसान, 6 बोरी प्याज लेकर आया था मंडी, 2 रु लेकर लौटा घर

मध्य प्रदेश में प्याज उपजाने वाले किसानों का बुरा हाल, 6 बोरी प्याज लेकर शाजपुर मंडी गया था किसान, 2 रुपए का सिक्का लेकर लौटा घर, स्थिति ये है कि व्यापारी नोट छाप रहे हैं, लेकिन किसानों की किस्मत सिक्कों में अटक कर रह गई है

Updated: Sep 25, 2022, 02:31 AM IST

शाजापुर। मध्य प्रदेश में प्याज उत्पादक किसानों का बुरा हाल है। आंसू बहाना उनकी नियति हो गई है। स्थिति ये है कि किसान लागत मूल्य तो दूर बमुश्किल ट्रांसपोर्ट का खर्च निकाल पा रहे हैं। शाजापुर जिले की मंडी से किसानों की बदहाली की एक जीवंत तस्वीर आई है। यहां कृषि उपज मंडी में एक किसान 6 बोरी प्याज लेकर पहुंचा लेकिन दुर्भाग्य देखिए कि दो रुपए का एक सिक्का थमाकर उसे घर भेज दिया गया। 

मामला शाजापुर स्थित शासकीय कृषि उपज मंडी का है। यहां एक किसान 6 बोरी प्याज लेकर बेचने आया था। व्यापारी ने उसे 1 बोरी का रेट 60 रुपए, दो अन्य बोरी का रेट 75 रुपए प्रति बोरी के हिसाब से 150 रुपए और बाकी की तीन बोरियों का रेट 40 रुपए प्रति बोरी के हिसाब से 120 रुपए दिए। मंडी में उसकी उपज का भाव 330 रुपए हुआ। इसमें 280 रुपए ट्रांसपोर्ट और 48 रुपए हम्माली और तुलाई का खर्च आया। कुल 328 रुपए खर्च के काटने के बाद किसान के हिस्से में बचे 2 रुपए, जिसे थमाकर उसे वापस भेज दिया गया।

किसान दो रुपए के उस सिक्के से अपनी किन जरूरतों और सपनों को पूरा कर पाएगा यह तो नहीं पता। लेकिन इतना जरूर है कि दोगुनी आय का आश्वासन देकर उसे "दो टके" का बना दिया गया। पूरे प्रदेश में हालात इसी तरह के हैं। धार के किसान सुनील पाटीदार कहते हैं कि हमारे पास अब आंसू के सिवाय बचा ही क्या है। सुनील बताते हैं कि उन्हें दो रुपए किलो के भाव से प्याज बेचना पड़ा। सुनील ने जब अपना दुखड़ा कृषि मंत्री को सुनाया तो वे कहने लगे कि ऐसी फसल लगाते ही क्यों हो? 

किसान नेता केदार सिरोही ने बताया कि पूरे प्रदेश के लहसुन और प्याज उत्पादक किसानों की स्थिति यही है। सभी मंडियों में किसानों को निराशा ही हाथ लग रही है। उन्होंने कहा कि, 'भाजपा सरकार ने किसानों की आय दोगुनी करने का वादा किया था। लेकिन कोई सुनिश्चित प्लान नहीं होने की वजह से किसानों का सबकुछ बर्बाद होता जा रहा है। इनकम बढ़ने की बजाए घट रहे हैं। उत्पादन भी घट रहा है। कमीशनखोरी के कारण शिवराज सरकार ने खेती को घाटे का सौदा बना दिया है।'

सिरोही ने कहा कि, 'यह कितनी शर्मनाक बात है कि आज अन्नदाता के बच्चे दाने-दाने को मोहताज हैं। दो रुपए में किसान क्या कर लेगा? मोदी जी और शिवराज जी बताएं कि 2 रुपए में आज क्या होता है। दो रुपए तो ट्रांसपोर्टर को कॉल करने का मोबाइल चार्ज लग जाता है। शिवराज जी के बच्चे की भी डेयरी है। उनका दूध तो 65 रुपए किलो बिकता है। लेकिन आम किसानों का क्या? उनकी खून-पसीने की कमाई कॉरपोरेट के पास चली जा रही है।'

जानकारों के मुताबिक, ऐसा इसलिए हो रहा है कि व्यापारी रेट बढ़ने ही नहीं दे रहे हैं। सभी जिलों के व्यापारियों का आपस में गठजोड़ है और वे किसानों की मजबूरी का भरपूर फायदा उठा रहे हैं। हाल ही में प्रदेश के कृषि मंत्री कमल पटेल ने दावा किया कि मध्य प्रदेश देश का पहला ऐसा राज्य है जो किसानों की आय दोगुनी करने में सफल रहा है। लेकिन वास्तविक स्थिति ये है कि व्यापारी नोट छाप रहे हैं और किसानों की किस्मत सिक्कों में अटक कर रह गई है।