Singrauli: कलेक्टर का आदेश बना हजारों किसानों की मुसीबत

Shivraj Singh Chouhan: CM चौहान का वादा अधूरा, रजिस्ट्री के बाद भी नहीं हुआ नामांतरण

Updated: Aug 05, 2020, 07:52 AM IST

भोपाल। सिंगरौली जिले के देवसर और चितरंगी तहसील के अंतर्गत हजारों किसानों का आरोप है कि वे राजस्व विभाग के एक आदेश से छले गए हैं।  यहाँ नामांतरण में रोक के बाद किसानों को न अधिग्रहण की गई जमीन का मुआवजा मिल पा रहा है और न ही वादे के मुताबिक रेलवे में नौकरी मिल पा रही है। अब सिंगरौली के हजारों किसानों ने लामबंद होकर आंदोलन की तैयारी करनी शुरू कर दी है। किसानों का कहना है कि वे इस मामले को लेकर हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट तक जाएंगे। आक्रोशित किसानों का कहना है कि वे कलेक्टर, मुख्य सचिव और मुख्यमंत्री को भी इस मामले में पार्टी बनाएंगे, और आने वाले चुनाव में सबक सिखाएंगे l

क्या है पूरा मामला

सिंगरौली जिले के देवसर, चितरंगी तहसील के कई गांवों के किसानों की जमीन ललितपुर सिंगरौली रेल लाइन के प्रोजेक्ट से प्रभावित हुई है। 2018 में किसानों के घर,खेत, बगीचे, तालाब रेलवे द्वारा अधिग्रहित किए गए। कुछ किसानों ने अपनी संयुक्त जमीनों का बंटवारा कर दिया और अपने वारिसों के नाम अपनी जमीनों की रजिस्ट्री करवा दी। साल 2018 में ही किसानों ने इसकी पूरी प्रक्रिया कर दी। इसके पीछे किसानों की यह मंशा थी कि जिसकी जमीने होगी उसे रेलवे में नौकरी मिल जाएगी। संयुक्त जमीन होने से किसी एक को ही नौकरी मिल पति। लेकिन राजस्व विभाग ने नामांतरण पर रोक लगा दी। जिन किसानों ने नामांतरण पर रोक लगने के पहले ही रजिस्ट्री करवा ली थी, उनकी जमीनों का नामांतरण भी नहीं हुआ है। इस कारण किसानों को मुआवजा और रेलवे में नौकरी दोनों अधर में लटकी हुई है।

नामांतरण पर रोक से पहले ही करवा ली थी रजिस्ट्री

किसानों का कहना है कि ये रजिस्ट्रियां कलेक्टर के आदेश के पहले ही हो चुकी हैं ऐसे में इन रजिस्ट्रियों के आधार पर जमीनों का नामांतरण होना चाहिए। किसानों का कहना है कि यदि राज्य शासन का आदेश प्रभावित माना जाए तो आदेश के पहले हुई रजिस्ट्रियां कैसे मान्य नहीं की गई?

किसानों ने शिवराज पर लगाया वादा खिलाफी का आरोप

किसानों का आरोप है कि करीब दो हजार से ज्यादा किसानों की अविवादित जमीनों का नामांतरण नहीं किया गया है। जबकि एक पत्रकार वार्ता में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने कहा था कि अगर सिंगरौली ललितपुर रेलवे प्रोजेक्ट में किसानों के अविवादित नामांतरण, बंटवारा का कोई मामला उनके संज्ञान में आएगा तो वे अधिकारियों पर कार्रवाई करेंगे। लेकिन सरकार ने किसी भी संबंधित अधिकारी पर कोई कार्रवाई नहीं की। अब किसान सरकार पर वादा खिलाफी का आरोप लगा रहे हैं।

गुस्साए किसानों ने साधा राजनातिक पार्टियों पर निशाना

किसानों का कहना है कि चाहे सत्ता पक्ष हो या विपक्ष किसी ने उनकी कोई सुध नहीं ली, दोनों ही पार्टियां अपना-अपना हित साधने में लगी रहीं। उल्टा राजनीतिक पार्टियां पूरे मामले में मूक दर्शक बनी हुई हैं। इसलिे हारकर उन्हें खुद आंदोलन करने की तैयारी करनी पड़ रही है।