New MSP Declared: केंद्र ने किया नए समर्थन मूल्य का एलान, गेहूं के दाम 50 रुपये प्रति क्विटंल बढ़ाए

कृषि बिल पर जारी है चौतरफा विरोध, क्या MPS बढ़ाने से खुश हो जाएंगे नाराज़ किसान

Updated: Sep 22, 2020, 06:55 AM IST

Photo Courtesy: Financial Express
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नई दिल्ली। कृषि विधेयकों के चौतरफा विरोध में घिरी मोदी सरकार ने सोमवार को लोकसभा में रबी की छह फसलों के लिए नए समर्थन मूल्यों का एलान कर दिया। इस एलान के तहत गेहूं का समर्थन मूल्य 50 रुपये बढ़ाकर 2975 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया गया है। इसके अलावा जौ का भाव 75 रुपये बढ़ाकर 1600 रुपये प्रति क्विंटल, चने का 225 रुपये बढ़ाकर 5100 रुपये प्रति क्विंटल, मसूर का 300 रुपये बढ़ाकर 5100 रुपये प्रति क्विंटल और सरसों का भाव 225 रुपये बढ़ाकर 4650 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया गया है। इन बढ़ी हुई दरों का एलान प्रधानमंत्री मोदी की अध्यक्षता वाली आर्थिक मामलों की कैबिनेट कमेटी से मंजूरी मिलने के बाद किया गया है।

केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने लोकसभा में यह एलान करते हुए कहा कि कांग्रेस पूरे देश को बता रही है कि MSP और APMC की व्यवस्था खत्म होने जा रही है। लेकिन आज इस एलान के जरिए मैं यह बात फिर से दोहराना चाहता हूं कि MSP और APMC, दोनों बने रहेंगे। कृषि मंत्री के बयान से साफ ज़ाहिर है कि समर्थन मूल्य में बढ़ोतरी का एलान करते समय सरकार का इरादा नाराज़ किसानों को मनाने का है, लेकिन उसकी यह कोशिश कितनी कामयाब होगी, इसका पता किसान संगठनों की प्रतिक्रिया देखने के बाद ही चलेगा। कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी ने भी लोकसभा में कृषि मंत्री से यही पूछा कि सरकार संसद में किसानों की हितैषी होने का दावा करने की जगह उन किसानों से बात क्यों नहीं कर रही, जो कृषि बिलों के विरोध में सड़कों पर उतरे हुए हैं।

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मोदी सरकार लगातार दावे कर रही है कि उसके लाए कृषि बिल किसानों के हक में हैं और उनसे समर्थन मूल्य या मंडी समितियों की व्यवस्था खत्म नहीं होने वाली है। लेकिन सरकार के इन दावों पर विपक्ष को ज़रा भी भरोसा नहीं है। कांग्रेस के बड़े नेता लगातार आरोप लगा रहे हैं कि मोदी सरकार अध्यादेश के रास्ते से लाए गए जिन विधेयकों को कानून की शक्ल देने में लगी है, वो किसान विरोधी हैं। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह भी संसद के भीतर और बाहर लगातार इस मसले को उठा रहे हैं। ट्विटर के जरिए भी उन्होंने एक बार फिर से मोदी सरकार पर तीखा हमला बोलते हुए उसके कृषि विधेयकों की तुलना ईस्ट इंडिया कंपनी के राज से की है। 

 

 

गौरतलब है कि मोदी सरकार कृषि के क्षेत्र में बड़े बदलाव करने वाले जिन तीन अध्यादेशों को संसद में पारित करके कानून की शक्ल देना चाहती है, उनका देश भर में विरोध हो रहा है। देश के प्रमुख विपक्षी दल और किसान संगठनों के अलावा शिरोमणि अकाली दल जैसे बीजेपी के पुराने सहयोगी और आरएसएस से जुड़े किसान संगठन भी इन बिलों को किसान विरोधी बताकर सरकार से दो-दो हाथ करने को तैयार हैं। ऐसे में बढ़े हुए समर्थन मूल्य का एलान सरकार के लिए एक बड़ा दांव है। सबसे बड़ा सवाल तो यह है कि क्या समर्थन मूल्य में बढ़ोतरी से किसानों की नाराज़गी दूर हो जाएगी?
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