गेंहूं खरीदी पर सरकार और विपक्ष आमने सामने 

मध्य प्रदेश में गेहूं खरीद पर उठे सवाल। बारदाने की कमी पर विपक्ष का तंज

Publish: May 25, 2020, 07:14 AM IST

courtesy:dabangdunia.co
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मध्य प्रदेश में गेंहू खरीदी को लेकर सरकार और विपक्ष आमने सामने आग गए हैं। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने प्रदेश में रिकॉर्ड गेंहू खरीदी का दावा किया है। शिवराज ने रविवार को ट्वीट करते हुए लिखा कि  

'चलिए, आज मैं मेरे प्रदेश के मेहनतकश किसान भाइयों-बहनों की तरफ़ से देश के साथ अच्छी खबर शेयर कर रहा हूँ। #COVIDー19 के बावजूद हमारी टीम मध्यप्रदेश ने गेहूं उपार्जन में एक नया कीर्तिमान स्थापित किया। ये पूरा मिशन किसी जेम्स बॉंड के मिशन से कम नहीं था! आज तक हमने 1.10 लाख मेट्रिक टन गेहूं को न्यूनतम सपोर्ट मूल्य पर ख़रीदा है, जो मार्केट रेट से 10% तक अधिक है।कोरोना के इस कठिन दौर में कम से कम ₹2500 करोड़ की अतिरिक्त राशि मेरे किसान भाइयों-बहनों के अकाउंट में जमा हो गई है। इससे ज़्यादा ख़ुशी की बात और क्या हो सकती है?मेरे हर एक किसान भाई-बहन ने हमारे प्रधानमंत्री श्री @narendramodiजी के दिए हुए ‘दो गज की दूरी’ के मंत्र का अक्षरशः पालन किया, और किसी भी उपार्जन केंद्र पर से अब तक किसी भी तरह के कोरोना संक्रमण का समाचार नहीं आया है'

एक तरफ शिवराज अपनी पीठ थपथपा रहे हैं तो दूसरी तरफ रोजाना मंडी के बाहर कई किलोमीटर तक किसानों के ट्रैक्टरों की कतारें सोशल मीडिया पर वायरल हो रही हैं।तुलाई में देरी को लेकर तो शिकायत है ही, किसान नेताओं का आरोप है कि िस बार मध्य प्रदेश में लगभग 3 लाख मिट्रिक टन गेहूं का उत्पादन हुा है। तो सरकार अगर १ लाख मिट्रिक टन खरीद भी लेती है तो भी आधे से ज्यादा किसान हाथ पर हाथ धरे रह जाते हैं।

ऊपर से सरकार के दावे पर सवाल उठाते हुए कांग्रेस विधायक कुणाल चौधरी ने बयान जारी करके कहा कि मध्य प्रदेश में  गेंहू की खरीद नहीं हो रही थी। और अब पता चला है की सरकार के पास पर्याप्त मात्रा में बारदाना ही नहीं है। कुणाल चौधरी ने कहा की किसान कई-कई दिन लाइनों में लगे रहते है फिर भी खरीद केन्द्रों पर गेंहू की तुलाई नहीं हो पा रही है। सीएम शिवराज सिंह चौहान कहते हैं कि किसानो का एक-एक गेंहू का दाना वो खरीदेंगे मगर ऐसा सच नहीं है। 

सरकार दावा कर रही है कि किसानो को एसएमएस के द्वारा जानकारी दी जा रही है कि कब गेंहू की तुलाई के लिए उसे केंद्र पर जाना है। मगर सच्चाई यह है  कि बेहद कम संख्या में ही  किसानों के पास एसएमएस पहुंच रहे है और जिनके पास पहुंच रहे हैं वो भी तुलाई के इंतज़ार मे हांफते नजर आ रहे हैं। ऊपर से अब प्रदेश में बारदानो की कमी के वजह से सब चौपट हो रहा है। 

कुणाल  चौधरी ने आरोप लगाया है कि सरकार और अधिकारियों की मिलीभगत के चलते ही ऐसे हालत पैदा हो रहे है। और बारदाने की कमी होना अब यह सवाल खड़े कर रहा है कि खरीद में भी कोई घोटाला तो नहीं  किया जा रहा है।  कुणाल चौधरी ने इस पूरे मामले में जाँच की मांग करते हुए सरकार से कार्रवाई करने की मांग  भी की है।

वहीं प्रदेश के किसान नेता भी खरीदी केंद्र पर अव्यवस्था, बारदाने की कमी और सही भाव न मिलने की शिकायत कर रहे हैं। पूर्व कृषि मंत्री सचिन यादव ने भी कहा है कि हताश किसान अब ट्रैक्टर में मिट्टी भरकर लाने लगा है। यह ेक कटाक्ष की तरह से ट्वीट किया गया है।