नहाय-खाय के साथ शुरू हुआ छठ महापर्व

आज से चार दिवसीय छठ महापर्व का शुभारंभ, भगवान सूर्य और छठ मैया की होगी पूजा

Updated: Nov 18, 2020, 08:49 PM IST

Photo courtesy: DNA India
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बुधवार से नहाय-खाय के साथ चार दिवसीय छठ महापर्व की शुरूआत हो गई है। व्रती संतान की सुख समृद्धि, दीर्घायु की कामना के लिए यह व्रत करते हैं। छठ की छटा पूरे उत्तर भारत में देखने को मिलती है, लेकिन बिहार, झारखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश में यह खास तौर पर मनाया जाता है। छठ व्रती इस मौके पर नदी और तालाब के घाटों पर ढलते और उगते सूर्य को अर्ध्य देते हैं।

छठ उत्सव चार दिनों तक चलता है। इस साल 18 नवंबर से 21 नवंबर तक छठ पूजा की परंपरा निभाई जाएगी। कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को छठ पूजा होती है, जो 20 नवंबर याने शुक्रवार को होगा। इसके पहले दिन नहाय-खाय, दूसरे दिन खरना, छठ पूजा के तीसरे दिन शाम को ढलते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है, वहीं चौथे दिन सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य देकर व्रत की समाप्ति होती है। यह पर्व सूर्य और प्रकृति के प्रति आभार प्रकट करने का पर्व है। छठ महापर्व हर वर्ग को लोग मनाते हैं।

छठ व्रत की शुरुआत चतुर्थी से होती है। व्रती अपने पूरे घर की साफ-सफाई करके व्रत करने के लिए तैयार होता है। इसे नहाय-खाय कहते हैं। इस दिन पूजा अर्चना के बाद सात्विक खाना खाया जाता है। छठ पर्व के दौरान लौकी और सरसों का साग बहुतायत में मिलता है इसलिए भी नहाय खाय में लौकी और सरसों का साग खाया जाता है।

महिलाओं का उपवास पंचमी के दिन खरना के बाद शुरू होता है। खरना के बारे में कहा जाता है यह तन और मन की पवित्रता और शुद्धीकरण के लिए होता है। खरना के दिन महिलाएं शाम को गुड़ या कद्दू की खीर खाकर व्रत की शुरुआत करती हैं।

छठ के दिन सुबह छठ माता को भोग लगाया जाता है और शाम किसी नदी तालाब में जाकर डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। वहीं दूसरे दिन सप्तमी की सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य देकर व्रत समाप्त किया जाता है। छठ का व्रत करने वाली महिलाएं करीब 36 घंटे तक निर्जल उपवास रखती हैं, सप्तमी की सुबह सूर्य को अर्घ्य देने के बाद ही अन्न-जल ग्रहण किया जाता है।

मान्यता है कि पौराणिक काल से ही छठ पूजा की जाती रही है। माता सीता, द्रौपदी ने भी छठ पूजन किया था। इसे सभी व्रतों में कठिन माना जाता है। छठ महोत्सव में नदी या तालाब के किनारे भव्य नजारा होता है।