New Wellness Trend: डिजिटल उपवास का चलन

गैजेट्स के लगातार उपयोग से नींद नहीं आने और बेचैनी की समस्या, डिजिटल उपवास से स्वस्थ रहने की कवायद

Updated: Aug 19, 2020, 08:23 PM IST

photo courtesy : The Hindu
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कोरोना काल में इंटरनेट का इस्तेमाल बहुत तेजी से बढ़ा है। वहीं लोगों को सोशल मीडिया की ऐसी लत लगी है कि फेसबुक, इंस्टाग्राम पर लाइक और कमेंट की बढ़ती संख्या से खुशी मिलती है, वहीं घटते लाइक से लोग तनाव ग्रस्त हो रहे हैं। लॉकडाउन में जहां लोग घरों में बंद रहे और घर पर रहकर भी बाहरी दुनिया से कनेक्ट रहे, इसलिए उन्हे फिजीकल दूरी का अहसास नहीं हुआ। लोग दिन भर मोबाइल के जरिए whats app, फेसबुक, ट्वीटर, इंस्टाग्राम के जरिए दुनिया से कनेक्टेड रहे और अपने विचार साझा करते रहे और दोस्तो से बतियाते रहे।

डिजिटल उपवास का चला ट्रेंड  

लेकिन क्या आप ने कभी गौर किया है कि यदि इसी तरह का लॉकडाउन आज से बीस साल पहले लगा होता तो आपका दिन कैसे गुजरता और आप लोगों से कैसे कनेक्ट रहते। इनदिनों क्या बड़े क्या बच्चे सभी के हाथ में मोबाइल है, और कोई मैसेज या फोन आए या ना आए बार-बार हर थोड़ी-थोड़ी देर में मोबाइल चेक करते रहते हैं। उन्हें इसकी लत लग चुकी है। वो चाहकर भी मोबाइल या सोशल मीडिया से खुद को अलग नहीं कर पा रहे हैं। इससे उनकी सेहत पर भी बुरा असर पड़ने लगा है। जिससे बचने के लिए आजकल डिजिटल उपवास किया जा रहा है।

अपनी इच्छा शक्ति पर काबू करना एक तरह से मानसिक और आध्यात्मिक क्रांति है। जैसे लड़कियों में ऑनलाइन शॉपिंग की लत होती है, वहीं लड़कों में ऑनलाइन गेमिंग का चस्का सबसे ज्यादा होता है, जिसे छुड़वाने के लिए इनदिनों डिजिटल उपवास का ट्रेड चल पड़ा है।

कैसे रखें डिजिटल उपवास

डिजिटल उपवास में सबसे पहले अपने फोन, लैपटॉप जैसी चीजों से दूरी बनाने की जरूरत होती है। ताकि आप वर्चुअल दुनिया की जगह असली दुनिया का अनुभव ले सकें। लोग इस उपवास के जरिए अपनी मोबाइल की लत को छुड़वाने की कोशिश कर रहे हैं। इसकी शुरुआत से पहले लोग अपने दोस्तों, ऑफिस और घर पर पहले ही मैसेज कर देते हैं कि वे कितनी देर तक फोन पर उपलब्ध नहीं रहेंगे। इसकी शुरुआत कुछ घंटों से की जा सकती है, जिसके बाद उसे बढ़ाया जा सकता है। अगर आप अपने जान पहचान वालों को पहले ही मैसेज कर देंगे तो संपर्क नहीं होने की स्थिति में कोई चिंतित नहीं होगा।

डिजिटल उपवास से परिवार को मिलेगा क्वालिटी टाइम

डिजिटल उपवास के दौरान लोग अपने लिए वक्त निकाल रहे हैं, परिवार के साथ बिना किसी डिस्टर्बेंस के बातचीत कर पा रहे हैं। अपनी पसंदीदा जगह पर, अपनी पसंद का कोई काम कर रहे हैं। जब आप डिजिटल उपवास पर होते हैं तो आप पर वर्चुअल दुनिया का कोई असर नहीं होता। आप पर किसी के मैसेज का रिप्लाय करने या किसी फोटो को बेवजह लाइक करने या कमेंट करने का दबाव नहीं होता।

 डिजिटल उपवास के आपको मोबाइल और सोशल मीडिया पर रोजना मिलने वाले सैकड़ों नोटिफिकेशन्स से मुक्ति मिलती है। सोशल मीडिया से कुछ घंटों की दूरी आपके मन, शरीर और यहां तक कि आत्मा को भी तरोताजा करने की शक्ति रखती है।

इंटरनेट की लत छुड़ाने में कारगर है डिजिटल उपवास

अगर आप अपनी इंटरनेट की लत छुड़ा चाहते हैं तो एक दिन के लिए अपने फोन से दूरी बना लें। अपने स्क्रीन फ्री संडे की शुरुआत करें। इंटरनेट फास्टिंग के दिन आप खुद से वादा करें की आप छुट्टी वाले दिन फोन का इस्तेमाल नहीं करेंगे। संभवत: यह डिजिटल उपवास पहले तो परेशान करे, लेकिन धीरे-धीरे इसके सकारात्म परिणाम सामने आने लगेंगे। कई बार महिलाओं की तरफ से भी समस्याएं आती हैं। इस डिजिटल उपवास से न सिर्फ उनकी आदत में बदलाव आ रहा है बल्कि उनके शरीर का वजन भी कम हो रहा है।

 मानसिक शांति देगा डिजिटल उपवास

आप मोबाइल लेकर कई घंटों एक ही स्थान पर नहीं बैठते आप मोबाइल से दूर होते हैं। तो आप फिजिकल वर्क करते हैं जिससे आपका कैलोरी बर्न होता है और एक समय बाद आपका वेट भी कम होने लगता है। 

डिजिटल उपवास कोई रेग्युलर फास्टिंग नहीं होती जिसे आप रोजाना कर रहे हो। यह आप अपनी सुविधा और काम के हिसाब से घंटे या दिन तय करके कर सकते हैं। बस आपको संयम रखने की आवश्यकता होती है। डिजिटल उपवास आपको अपने मानसिक कंफर्ट को ध्यान में रखकर ही करना चाहिए।'

इंटरनेट के बिना मार्डन वर्ल्ड की कल्पना करना असंवभ है। मनोवैज्ञानिक डिजिटल उपवास की सलाह दे रहे हैं। लोग इस सलाह को मान भी रहे हैं। लोग मोबाइल और इंटरनेट से दूर खुद से मिलकर इस डिजिटल उपवास को अब इन्जवाय भी करने लगे हैं।