India gdp growth 11 सालों में सबसे निचले स्‍तर पर

अनुमान था कि जीडीपी 4 प्रतिशत से कम पर होगी मगर यह 3.1 फीसदी तक पहुंच गई है।यह है भाजपा का आर्थिक प्रबंधन - पी. चिदंबरम याद रखें, यह प्री-लॉकडाउन है। Q4 के 91 दिनों में से केवल 7 दिनों के लिए लॉकडाउन लागू हुआ। यह भाजपा सरकार के आर्थिक प्रबंधन पर एक टिप्पणी है।

Publish: May 30, 2020, 08:52 AM IST

Photo courtesy : pymnts
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भारत के सकल घरेलू उत्‍पाद यानि जीडीपी की बढ़ोतरी दर बीते वित्त वर्ष यानी 2019-20 के दौरान बीते 11 वर्षों में सबसे कम रही है। 2019-20 में जीडीपी की बढ़ोतरी दर 4.2 फीसदी रही है जबकि 2018-19 के दौरान यह आंकड़ा 6 फीसदी था। 2019-20 की आखिरी तिमाही यानी जनवरी से मार्च 2020 के दौरान जीडीपी की बढ़ोतरी दर 3.1 फ़ीसदी रही है। बीते वित्त वर्ष की आखिरी तिमाही के इस आंकड़े के साथ ही पूरे वित्त वर्ष की बढ़ोतरी दर महज 4.2 फीसदी रही है जो कि बीते 11 साल के दौरान सबसे कम है।

केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय ने वित्त वर्ष 2019 - 20 के ग्रोथ रेट के आंकड़े जारी कर दिए हैं। वित्त वर्ष 2019 - 20 में जीडीपी के आंकड़े रिकॉर्ड निचले स्तर पर हैं। इससे पहले 2008-09 में आई आर्थिक मंदी की वजह से भारत की जीडीपी ग्रोथ रेत 3.9 फीसदी रही थी।

जीडीपी सरकार के अनुमान से भी कम

वित्त वर्ष 2019 - 20 में जीडीपी ग्रोथ रेट 11 साल में अपने निचले स्तर पर है। जीडीपी ग्रोथ रेट के आंकड़े सरकार के अनुमानित आंकड़े से भी कम रहा है। केंद्र सरकार ने वित्त वर्ष 2019-20 में जीडीपी ग्रोथ रेट 5 फीसदी रहने का अनुमान लगाया था। लेकिन केंद्र सरकार के अनुमान के मुकाबले जीडीपी ग्रोथ रेट लगभग एक फीसदी कम है।

लगातार गिर रहा था ग्रोथ रेट

ऐसा नहीं है कि केवल जीडीपी ग्रोथ रेट ने 11 सालों का आंकड़ा अचानक से तोड़ा है। पिछले वित्त वर्ष की सभी तिमाहियों में ग्रोथ रेट लगातार गिर रहा था। 2019 - 20  वित्त वर्ष की पहली, दूसरी और तीसरी तिमाही में ग्रोथ रेट क्रमशः 5.7 %, 5.1%,4.7% रही थी। ऐसे में पूरे वित्त वर्ष की जीडीपी ग्रोथ रेट 4.2 फीसदी पर रुक जाना आश्चर्यचकित नहीं करता है। देश की अर्थवयवस्था खराब रहने का अनुमान कहीं न कहीं दिसम्बर तिमाही से लगाया जा रहा था। वित्त वर्ष 2029-20 की चौथी और आखिर तिमाही में ग्रोथ रेट महज़ 3.1 फीसदी ही दर्ज की गई है। चौथी तिमाही में अर्थव्यवस्था में सस्ती आने की वजह कोरोना के प्रकोप को माना जा रहा है। ऐसे में जीडीपी ग्रोथ रेट ने पिछले 11 सालों का रिकॉर्ड तोड़ दिया है। अर्थव्यवस्था रिकॉर्ड अपने निचले पायदान पर है।

आगे भी सुधार होने की गुंजाइश कम

भारत की जीडीपी ग्रोथ रेट में आगे भी सुधार होने की गुंजाइश कम ही नज़र आ रही है। ज्ञात हो कि हाल ही में आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने प्रेस कांफ्रेंस के माध्यम से वित्त वर्ष 2020-21 की पहली छमाही में ग्रोथ रेट निगेटिव रहने की बात कही है। ऐसे में अर्थव्यवस्था में आगे किसी भी सुधार होने की सम्भावना फिलहाल न के बराबर है। अर्थव्यवस्था पर कोरोना का प्रकोप और अर्थव्यवस्था के नीचे स्तर पर जाने में कोरोना की भूमिका चालू वित्त वर्ष में रहेगी।

चिदंबरम ने सुस्त अर्थव्यवस्था पर सरकार को घेरा

पूर्व वित्तमंत्री पी चिदंबरम ने जीडीपी के आंकड़े जारी होने के बाद ही सरकार को घेरना शुरू कर दिया है। चिदम्बरम ने वित्त वर्ष 2019 - 20 में गिरी अर्थव्यवस्था में कोरोना की भूमिका होने की बात को सिरे से ख़ारिज कर दिया है। पूर्व वित्तमंत्री चिदंबरम ने कहा है कि जनवरी - मार्च की चौथी और आखिरी तिमाही में केवल 7 दिनों ( 24 - 31 मार्च ) का लॉक डाउन हुआ था। ज़ाहिर सी बात है ऐसे में सरकार अपनी आर्थिक विफलताओं का सारा ठीकरा कोरोना पर फोड़ना चाहती है, जो कि सारासर अनुचित है। पूर्व वित्तमंत्री चिदंबरम ने इससे पहले कहा कि पिछले वित्त वर्ष की चौथी तिमाही में उनका व्यक्तिगत अंदाज़ा जीडीपी ग्रोथ रेट के 4 फीसदी से कम रहने का था।जो कि एकदम सही साबित हुआ।