नेपाल के पीएम केपी शर्मा ओली ने संसद में खोया बहुमत, राष्ट्रपति को सौंपेंगे इस्तीफा

नेपाली संसद में आज हुए विश्वास मत परीक्षण के दौरान केपी शर्मा ओली के समर्थन में मिले महज 93 वोट, विरोध में पड़े 124 वोट

Updated: May 10, 2021, 02:48 PM IST

Photo Courtesy: News18
Photo Courtesy: News18

काठमांडू। नेपाल में लंबे समय से चल रहे सियासी उठापटक के बीच प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने संसद में विश्वास मत खो दिया है। नेपाल के संसद में आज बहुमत परीक्षण हुआ जिसमें प्रधानमंत्री ओली के पक्ष में महज 93 वोट मिले, जबकि सदन के 124 सदस्यों ने उनके विरोध में वोट दिया। इस दौरान करीब 15 सदस्य तटस्थ रहे।

सदन में विश्वास मत खोने के बाद अब पीएम ओली को राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी को अपना इस्तीफा सौंपना होगा। साल 2015 में संवैधानिक तरीके से पहली बार नेपाल में सरकार बनी थी, जिसके बाद नेपाल में यह पहली बार बहुमत परीक्षण किया गया था जिसमें सत्तापक्ष सफल नहीं हो सका। नेपाल के 271 सदस्यों वाले सदन में केवल 231 सदस्य मौजूद थे। बहुमत परीक्षण के दौरान मौजूद नहीं रहने या वोटिंग न करने वालों में कम्युनिस्ट पार्टी के 28 बागी सदस्य भी शामिल हैं।

यह भी पढ़ें: चीन 2015 से कोरोना को जैविक हथियार बनाने के लिए कर रहा था शोध, ऑस्ट्रेलियाई मीडिया रिपोर्ट में खुलासा

सदन में विश्वासमत खोने के बाद प्रधानमंत्री ओली ने कहा, 'यह बेहद ही दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति है कि नेपाल सर्वांगीण विकास और राष्ट्र निर्माण के लिए प्रयासरत सरकार को संकीर्ण हितों के लिए निशाना बनाया गया। उन्होंने विपक्षी नेताओं से यह अपील भी किया कि वे किसी के खिलाफ कोई भी झूठे आरोप न लगाएं।

नेपाली पीएम ओली करीब 38 महीने तक देश में सरकार चलाने के बाद आज बहुमत साबित करने में असफल रहे हैं। कम्युनिस्ट पार्टी के बागी सदस्यों ने तो पार्टी द्वारा जारी व्हिप को दरकिनार करते हुए वोटिंग के दौरान उपस्थित नहीं रहने का फैसला लिया था। इसके लिए उन सभी की सदस्यता भी छीनी जा सकती है। पीएम ओली अब राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी को अपना इस्तीफा सौंपेंगे। इसके एक हफ्ते के भीतर नेपाल में नई सरकार बनाने की संभावनाएं तलाशी जाएगी।

यह भी पढ़ें: स्पेन में 6 महीने बाद खत्म हुआ लॉकडाउन, कोरोना ख़त्म मानकर सड़क पर जश्न मनाने उतर आए लोग

दरअसल, बीते आम चुनाव में नेपाल के कद्दावर नेता व पूर्व प्रधानमंत्री रहे पुष्प दहल प्रचंड की पार्टी ने सीपीएन ने ओली की पार्टी के साथ मिलकर चुनाव लड़ा था, जिसके बाद देश में बहुमत की सरकार बनी थी। हालांकि, कुछ आंतरिक विवाद के बाद ओली ने संसद भंग करने का फैसला लिया था। प्रचंड की गुट ने इसे अलोकतांत्रिक करार देते हुए कहा था कि इससे नेपाली संप्रभुता को खतरा उत्पन्न हुआ है। इसके बाद प्रचंड की पार्टी ने सरकार से समर्थन वापस ले लिया, नतीजतन ओली सरकार अल्पमत में आ गई।

बता दें कि नेपाली पीएम केपी ओली लगातार अपने विवादित बयानों को लेकर सुर्खियों में रहते हैं। ओली के प्रधानमंत्री बनने के बाद भारत और नेपाल के रिश्तों में भी कड़वाहट आई है। वे लगातार भारत विरोधी बयानबाजी करते रहे हैं। हाल ही में उन्होंने नेपाल का नया नक्शा जारी कर भारत के कई इलाकों को नेपाल का हिस्सा बताया था। इसके अलावा उन्होंने विवाह को लेकर भी विवादित निर्णय लिया था जिसकी वजह से सदियों से चल रहे भारत और नेपाल के बीच बेटी-रोटी के रिश्तों पर असर पड़ा। माना जाता है कि वे चीन के इशारों पर भारत विरोधी गतिविधियों में संलिप्त रहे।