अमेरिका में कामकाजी भारतीयों के लिए ख़ुशख़बरी, ख़त्म नहीं होंगे जीवनसाथियों के H-4 वर्क परमिट

अमेरिका के पिछले डेमोक्रेट राष्ट्रपति बराक ओबामा के कार्यकाल में H-1B वीजाधारकों के जीवनसाथियों को H-4 वीज़ा के आधार पर काम करने की छूट दी गई थी, जिसे डोनाल्ड ट्रंप ने ख़त्म करने का एलान किया था

Updated: Jan 28, 2021, 05:25 AM IST

Photo Courtesy : India Today
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अमेरिका के नए राष्ट्रपति जो बाइडेन ने एक ऐसा फ़ैसला लिया है, जिससे एच-1बी वीजा (H-1B Visa) के आधार पर अमेरिका में रहने वाले भारतीयों को बड़ी राहत मिलेगी। बाइडेन ने एच-1बी वीजाधारकों के जीवनसाथियों को दिए जाने वाले एच-4 वीज़ा (H-4 Visa) को ख़त्म करने के ट्रंप सरकार के फ़ैसले को रद्द कर दिया है।

एच-1बी वीजाधारकों के जीवनसाथियों को एच-4 वीज़ा के तहत अमेरिका में रहकर काम करने की छूट मिलती है। यह छूट उनके 21 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए भी लागू होती है। ट्रंप ने इसे अमेरिकी लोगों के हितों के ख़िलाफ़ बताते हुए इस पर रोक लगा दी थी। लेकिन अब बाइडेन ने ट्रंप के उस फ़ैसले को पलटते हुए भारतीयों समेत उन सभी लोगों को बड़ी राहत दी है, जिनके जीवनसाथी या बच्चे एच-4 वीज़ा के तहत अमेरिका में रह रहे हैं या आने वाले दिनों में वहाँ जाना चाहते हैं।

एच-1बी वीजाधारकों के जीवनसाथियों को एच-4 वीजा के तहत अमेरिका में काम करने की अनुमति ओबामा सरकार के ज़माने में दी गई थी, लेकिन ट्रंप की सरकार अपने एजेंडे के तहत इसे खत्म करना चाहती थी। ट्रंप सरकार की घोषित नीति यह थी कि अमेरिका में दूसरे देशों के लोगों को मिलने वाले रोज़गार को कम से कम किया जाए।

अमेरिका के साठ सांसदों के एक समूह ने जो बाइडेन के राष्ट्रपति चुने जाने के बाद ही उनसे ट्रंप सरकार के फ़ैसले को पलटने का अनुरोध किया था। अमेरिका में H-1B वीज़ा आमतौर पर उन लोगों को जारी किया जाता है जो रोज़गार के आधार पर अमेरिका में स्थायी निवासी का दर्जा हासिल करना चाहते हैं। जबकि H-1B वीज़ाधारकों के जीवनसाथियों या 21 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए H-4 वीज़ा जारी किया जाता है।

अमेरिका के सरकारी आँकड़ों के मुताबिक़ H-1B के लिए आवेदन करने वालों में सबसे बड़ा हिस्सा भारत के लोगों का ही होता है। 2019 में H-1B वीज़ा के लिए जितने भी एप्लीकेशन आए, उनमें 74 फ़ीसदी भारतीय और 11.8 फ़ीसदी चीनी नागरिक शामिल थे। इन आँकड़ों के साफ़ ज़ाहिर है कि ट्रंप के फ़ैसले को पलटने का सबसे ज़्यादा लाभ भारतीय लोगों को ही मिलेगा।