दो अलग कंपनियों का वैक्सीन लगाना ज्यादा प्रभावी, मिश्रण से 30-40 गुना ज्यादा बनते हैं एंटीबॉडीज़ 

स्पेन के शोधकर्ताओं ने एक स्टडी में पाया कि एस्ट्राजेनेका वैक्सीन की एक डोज के बाद फाइजर की दूसरी डोज देना ज्यादा सुरक्षित और प्रभावी है

Updated: May 19, 2021, 07:55 PM IST

Photo Courtesy: Market watch
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मैड्रिड। स्पेन में एस्ट्राजेनेका यानी कोविशिल्ड वैक्सीन की पहली डोज लेने वाले लोगों को अब दूसरा डोज फाइजर का दिया जाएगा। स्पेन के स्वास्थ्य मंत्रालय ने इसकी मंजूरी दे दी है। स्पेन के शोधकर्ताओं ने एक स्टडी में पाया है कि ऐसा करना ज्यादा सुरक्षित और प्रभावी है। वैज्ञानिकों का दावा है कि मिश्रण करने से 30 से 40 गुना ज्यादा एंटीबॉडी तैयार होती हैं।

स्पेन के सरकार समर्थित कार्लोस III हेल्थ इंस्टीट्यूट 18 से 59 वर्ष के आयुवर्ग के लोगों पर यह अध्ययन किया था। इन सभी लोगों ने पहला डोज एस्ट्राजेनेका द्वारा विकसित की गई वैक्सीन का लिया था। इनमें से 450 लोगों को फॉलोअप डोज फाइजर का दिया गया। अध्ययन में पाया गया कि इनमें एंटीबॉडी की मात्रा उन लोगों की तुलना में 30 से 40 गुना ज्यादा थी, जिन्हें सिर्फ एस्ट्राजेनेका की एक डोज दी गई थी। इतना ही नहीं फाइजर के दूसरे डोज लेने के बाद न्यूट्रलाइजिंग एंटीबॉडी की मात्रा सात गुना ज्यादा बढ़ गई जो एस्ट्राजेनेका के दूसरे डोज लेने वालों के शरीर में दो गुना ही बढ़ती है।

खास बात यह है कि बेहद कम लोगों में ही इसके साइड इफेक्ट्स देखे गए। शोधकर्ताओं में शामिल डॉ. मागडालेना कैंपिन्स ने बताया कि महज 1.7 फीसदी लोगों में सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द, बदन दर्द और सामान्य बेचैनी जैसे लक्षण दिखे। उन्होंने कहा कि ये लक्षण गंभीर श्रेणी में नहीं आते हैं। इस अध्ययन का असर स्पेन के करीब 15 लाख लोगों पर पड़ेगा जिन्होंने पहली डोज एस्ट्राजेनेका की ली थी। इसके तहत 60 वर्ष से कम उम्र के सभी ऐसे लोगों को दूसरा डोज फाइजर वैक्सीन का दिया जाएगा, जिन्हें पहला डोज एस्ट्राजेनेका वैक्सीन का दिया गया है। 

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बता दें की कार्लोस III हेल्थ इंस्टीट्यूट के एक अध्ययन के बाद एस्ट्राजेनेका कि वैक्सीन लेने के बाद खून का थक्का जमने की चिंता जाहिर की थी। इसी के बाद स्पेन ने एस्ट्राजेनेका वैक्सीन को 60 साल से कम उम्र के लोगों के लिए बैन कर दिया था। ऐसे में 60 साल से कम उम्र के जिन 15 लाख लोगों को वैक्सीन दी गई थी, उन्हें दूसरे डोज के तौर पर दूसरी कंपनी की वैक्सीन में से चुनाव और ट्रायल करना था। बता दें कि इसके पहले ब्रिटेन के वैज्ञानिकों द्वारा की गई एक स्टडी में भी यह सामने आया था कि दो अलग-अलग वैक्सीन लेना सुरक्षित है।