पोत फंसने से स्वेज नहर में जाम के लिए भारतीय क्रू मेंबर्स बन सकते हैं बलि का बकरा

Ever Given जहाज के भारतीय क्रू मेंबर्स को किया गया नजरबंद, जांच रिपोर्ट आने के बाद हो सकती है गिरफ्तारी, जहाज फंसने को लेकर फोड़ा जा रहा है ठीकरा

Updated: Mar 31, 2021, 05:23 AM IST

Photo Courtesy: AP News
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मिस्र: स्वेज नहर में बीते दिनों फंसे कंटेनर जहाज 'एवर गिवेन’ को सात दिनों की मशक्कत के बाद निकाल तो लिया गया है लेकिन अब भारत की चिंताएं बढ़ गई हैं। भारत सरकार और भारतीय समुद्री चालक दल के संगठन के लिए अगली बड़ी चिंता यह है कि स्वेज नहर प्राधिकरण 25 भारतीय क्रू सदस्यों के खिलाफ क्या कार्रवाई कर सकता है। बताया जा रहा है कि दुर्घटना के कारणों की जांच पूरी होने तक उन्हें घर में नजरबंद रखा गया है। इतना ही नहीं जांच रिपोर्ट आने के बाद उनकी गिरफ्तारी भी संभव है।

रिपोर्ट्स के मुताबिक इस जहाज के फंसने के चलते हुए नुकसान का ठीकरा 25 सदस्यीय भारतीय चालक दल पर फोड़ा जा रहा है। शिपिंग उद्योग से जुड़े विशेषज्ञों का मानना है कि इस घटने को लेकर स्वेज नहर प्राधिकरण भारतीय क्रू टीम को ही बलि का बकरा बनाएगा। भारत सरकार को डर है कि भारतीय चालक दल को आपराधिक लापरवाही के चलते भारी नुकसान को लेकर जेल की सजा और अर्थदंड का सामना करना पड़ सकता है। 

दरअसल, दुनिया के सबसे व्यस्त कारोबारी समुद्री मार्ग मिस्र की स्वेज नहर में एक विशालकाय मालवाहक जहाज एवरग्रीन के फंस जाने से एक हफ्ते तक जाम लगा रहा था। कई देशों की कड़ी मशक्कत के बाद इस जहाज को निकाल कर रास्ता खोला गया। इस मामले में इस जहाज को चला रहे 25 सदस्यीय भारतीय चालक दल को बलि का बकरा बनाया जा रहा है और उन्हें नजरबंद कर दिया गया है।

बताया जा रहा है कि एवर गिवेन' जहाज चीन से माल लादने के बाद नीदरलैंड के पोर्ट रॉटरडैम जा रहा था। ये शिप स्वेज नहर से गुजर रहा था, लेकिन तेज और धूलभरी हवा की वजह से नहर में ही फंस गया था। 400 मीटर लंबे इस जहाज में 2 लाख टन से भी ज्यादा का माल लदे थे। रेत के तूफान और तेज हवाओं के बीच फंसे इस शिप को निकालना आसान नहीं था। इस काम के लिए एक विशेषज्ञ टीम ने 13 टगबोट का इंतजाम किया था, नतीजतन हफ्तों के कड़ी मशक्कत से इसे दुबारा बाहर निकाला गया। 

जांच रिपोर्ट के हवाले से कहा है कि इसके फंसने के पीछे हवा और खराब मौसम नहीं बल्कि मानवीय या तकनीकी गड़बड़ी जिम्मेदार है। मिस्र सरकार की ओर से एवरग्रीन जहाज फंसने और हुए नुकसान को लेकर जांच की जा रही है। हालांकि, शुरुआत में बताया गया था कि तेज हवा और खराब मौसम की वजह से यह जहाज फंस गया। मामले पर नेशनल शिपिंग बोर्ड (NSB) के सदस्य, कैप्टन संजय प्रहार ने बताया, 'सबसे पहले यह पता लगाना होगा कि विशालकाय जहाज कैसे फंसा था। जहाज के डेटा रिकॉर्डर में बातचीत की जांच और सुनने से तथ्यों की जांच की जा सकती है और किसी को समझ में आ सकता है कि दुर्घटना का कारण क्या है।

गौरतलब है कि दुनिया के सबसे विशाल मालवाहक कंटेनरों में से एम एमवी एवर गिवेन के मिस्र की स्वेज नहर में फंसने से समुद्र में लंबा जाम लग गया था। नहर के दोनों ओर करीब चार सौ छोटे-बड़े जहाज फंसे हुए थे। पोत के फंसे होने से समुद्री परिवहन में प्रतिदिन अरबों डॉलर का नुकसान हो रहा था। सोमवार को पोत के निकाले जाने के बाद विश्लेषकों का मानना है कि रुके हुए सभी पोतों को निकालने में 10 दिन का समय लग सकता है। 

स्वेज नहर से रोज लगभग 50 जहाज गुजरते हैं जिन पर करीब 70 हजार करोड़ तक का सामान लदा होता है। इस नहर की अहमियत इस बात से भी समझी जा सकती है कि इस मार्ग के सहारे सात हजार किलोमीटर की दूरी को महज 300 किलोमीटर में कवर किया जा सकता है। ऐसे में अब चिंता इस बात की है कि मिस्र सरकार और स्वेज नहर प्राधिकरण इस क्षति के लिए भारतीय चालक दल को गंभीर सजा न सुना दे।