पन्ना के 14 वर्षीय सक्षम नामदेव ने 4 सेकेंड में A-Z तक की टाइपिंग, इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में दर्ज हुआ नाम

पन्ना जिले के मध्यमवर्गीय परिवार से संबंध रखने वाले 14 वर्षीय सक्षम नामदेव ने अपनी अद्वितीय टाइपिंग गति से प्रदेश और जिले का नाम गर्व से ऊंचा कर दिया है। उन्होंने महज 4 सेकेंड में अंग्रेजी के A से Z तक के अल्फाबेट्स को टाइप करके एक ऐसा रिकॉर्ड बनाया है, जिसे इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में दर्ज किया गया है।

Updated: Oct 07, 2024, 03:23 PM IST

पन्ना जिले के मध्यमवर्गीय परिवार से संबंध रखने वाले 14 वर्षीय सक्षम नामदेव ने अपनी अद्वितीय टाइपिंग गति से प्रदेश और जिले का नाम गर्व से ऊंचा कर दिया है। उन्होंने महज 4 सेकेंड में अंग्रेजी के A से Z तक के अल्फाबेट्स को टाइप करके एक ऐसा रिकॉर्ड बनाया है, जिसे इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में दर्ज किया गया है। यह उपलब्धि न केवल पन्ना जिले के लिए गर्व का विषय है, बल्कि पूरे प्रदेश के लिए भी प्रेरणादायक है।

सक्षम इस समय कक्षा 11वीं में पढ़ाई कर रहे हैं और अपनी मां लक्ष्मी नामदेव के साथ रहते हैं। लक्ष्मी सिलाई का काम करती हैं और भगवान जुगलकिशोर जी के पकड़े बनाकर बेटे की पढ़ाई का खर्च उठाती हैं। सक्षम अपने नाना-नानी के पास रहकर पढ़ाई करते हैं। अपनी मेहनत और लगन से उन्होंने यह साबित कर दिखाया कि साधारण पृष्ठभूमि से भी असाधारण उपलब्धियां हासिल की जा सकती हैं।

सक्षम ने टाइपिंग की कला अपने मामा राहुल नामदेव के इंटरनेट कैफे में सीखी, जहां वे अक्सर बैठा करते थे और मामा की मदद करते थे। सक्षम की तेज टाइपिंग क्षमता को देखकर उनके मामा ने उन्हें इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में नाम दर्ज कराने की सलाह दी। सक्षम ने इस सुझाव पर गंभीरता से काम किया और महज एक महीने की तैयारी में 4 सेकेंड में A से Z तक टाइप करके रिकॉर्ड बना दिया।

इस रिकॉर्ड की आधिकारिक पुष्टि 6 अगस्त को ऑनलाइन वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से हुई। इसके बाद सक्षम 14 साल की उम्र में यह कीर्तिमान स्थापित करने वाले पहले व्यक्ति बने। यह उपलब्धि विशेष रूप से कठिन इसलिए है क्योंकि इतनी तेज गति से टाइपिंग करना एक चुनौतीपूर्ण कार्य होता है। सितंबर माह में सक्षम को पोस्ट के माध्यम से उनकी इस उपलब्धि का प्रमाण पत्र और पुरस्कार प्राप्त हुआ।

सक्षम ने अपनी इस सफलता का श्रेय अपने मामा राहुल नामदेव को दिया, जिन्होंने न केवल उन्हें टाइपिंग सिखाई, बल्कि इस प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए भी प्रेरित किया। राहुल ने बच्चे की रुचि को पहचानकर उसे सही दिशा में मार्गदर्शन दिया। उन्होंने बताया कि मई में ही आवेदन किया गया था, लेकिन कुछ तकनीकी त्रुटियों के कारण रिकॉर्ड अगस्त में दर्ज किया गया।

सक्षम की इस सफलता पर उनके परिवार और रिश्तेदारों ने ढेरों शुभकामनाएं दीं और उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना की। इस उपलब्धि ने यह साबित कर दिया है कि सही मार्गदर्शन, मेहनत और दृढ़ संकल्प के साथ कोई भी बड़ी उपलब्धि हासिल की जा सकती है, चाहे उम्र छोटी ही क्यों न हो।