मांओं की करुण पुकार बच्चों से मिलने की लगाई गुहार, बच्चों के बदले जाने की जताई आशंका

7 बच्चों की मौत के बाद रो-रोकर परिजनों का बुरा हाल, प्रबंधन पर लगाया आंकडे छिपाने का आरोप, बच्चों के DNA टेस्ट की मांग, नर्स औऱ वार्ड ब्याय के झगड़े के बाद आग लगने को बताया साजिश

Updated: Nov 09, 2021, 10:11 AM IST

Photo Courtesy: bhaskar
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भोपाल। हमीदिया कैंपस स्थित कमला नेहरू अस्पताल के पीडियाट्रिक वार्ड के बाहर खड़े परिजनों का आरोप है कि वार्ड में आग लगने से कुछ मिनटों पहले ही वहां पर ड्यूटी कर पर तैनात नर्स और वार्ड बाय में झगड़ा हुआ था। दोनों ने किसी बात को लेकर धमकी दी थी कि देखेंगे कि यहां से कोई कैसे हंसते हुए जाता है। उनके  

इस विवाद के बाद अचानक लगी आग को लेकर दावा किया जा रहा है कि एक दूसरे को नीचा दिखाने के लिए आग का खेल खेला गया। जिसमें 7 माओं की गोद उड़ज गई। वार्ड में 40 बच्चे भर्ती थे। कई बच्चे इन्क्यूबेटर में थे, तो कुछ को वेंटीलेटर लगा हुआ था। बच्चे दुनिया देखने से पहले ही काल के गाल में समा गए। इनमें से दो बच्चे ऐसे भी हैं, जिनकी माओं ने इनका चेहरा तक नहीं देखा था।

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मां सुल्तानिया अस्पताल में भर्ती है, बच्चों के काम्पलीकेशन की वजह से कमला नेहरू अस्पताल में भर्ती किया गया था। उन्हें क्या पता था कि वे कभी अपने बच्चे का मुंह नहीं देख पाएंगी। एक बच्चे की नानी का आरोप है कि अस्पताल प्रबंधन मौत के आंकड़े छिपा रहा है। महिला का कहना है कि कई साल की मन्न्त के बाद उनके घर में बेटे ने जन्म लिया था, लेकिन अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही ने उनके घर की खुशियां छीन लीं। वहीं एक अन्य परिजन का कहना है कि बच्चा कल शाम तक ठीक था, रात में कहा जा रहा है कि कमजोर होने के वजह से उसने दम तोड़ दिया।

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बच्चे के पिता का आरोप है कि बच्चे की मौत आग लगने और दम घुटने की वजह से हुई है, लेकिन यहां का स्टाफ अपनी गल्ती छिपाने के लिए तरह-तरह के बहाने बना रहा है। इस अस्पताल में दूर दराज के मरीज इलाज के लिए आत हैं। इस मल्टी स्टोरी बिल्डिंग में आग से निपटने की कोई व्यवस्था नहीं थी। और तो और जब परिजन बच्चों के पास जाने लगे तो उन्हें रोक दिया गया। वहीं परिजनों के हंगामें के बाद अस्पताल को छावनी में तब्दील कर दिया गया है। परिसर में किसी को आने नहीं दिया जा रहा है। वहां करीब दो सौ पुलिसकर्मियों की तैनाती की गई है। हमीदिया के मेन गेट से कमला नेहरू अस्पताल तक सुरक्षा घेरा बनाया दिया गया है। किसी को अंदर जाने की परमीशन नहीं है।

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बच्चों की चिंता में कई घंटों से खड़े माता पिता को बच्चों की अदला-बदली का डर सता रहा है। एक परिजन ने तो यहां तक कह दिया की अस्पताल प्रबंधन जिस मृत बच्‍चे को उनका बता रहे हैं, वह उनका नहीं है। उनका कहना है कि अस्पताल बच्चों का DNA टेस्ट करवाए तब बच्चों के परिजनों को शव सौंपे जाएं।