सिंदूर लगाना महिला का धार्मिक कर्तव्य, सिंदूर नहीं लगाना पति के साथ क्रूरता: इंदौर फ़ैमिली कोर्ट

मध्य प्रदेश के इंदौर में पारिवारिक विवाद के एक मामले में फैमली कोर्ट का फैसला सुर्खियों में हैं। यहां अदालत ने मामले की सुनवाई करते हुए महिला को न सिर्फ मांग में सिंदूर लगाने का आदेश दिया बल्कि उसे अपने पति के पास वापस लौटने को भी कहा।

Updated: Mar 28, 2024, 05:12 PM IST

इंदौर। मध्य प्रदेश के इंदौर में पारिवारिक विवाद के एक मामले में फैमली कोर्ट का फैसला सुर्खियों में हैं। यहां अदालत ने एक मामले की सुनवाई करते हुए महिला को न सिर्फ मांग में सिंदूर लगाने का आदेश दिया बल्कि उसे अपने पति के पास वापस लौटने को भी कहा। फैसला सुनाते हुए कोर्ट ने ये भी कहा कि सिंदूर लगाना पत्नी का धार्मिक कर्तव्य है। इस मामले में पत्नी पांच सालों ने अपने बच्चों के साथ मायके में रह रही थी और पति ने उसे वापस लौटाने के लिए याचिका दाखिल की थी।

प्रार्थी पवन यादव ने अधिवक्ता शुभम शर्मा के माध्यम से कुटुंब न्यायालय में हिन्दू विवाह अधिनियम की धारा 9 के तहत दांपत्य संबंधों की पुनर्स्थापना के लिए याचिका दायर की थी। याचिका में कहा था कि पत्नी ने पति का पांच वर्ष से बिना किसी वजह से परित्याग कर रखा है। पत्नी ने अपने बयान में पति द्वारा नशा करने, घूंघट करने के लिए परेशान करने, दहेज मांगने जैसे कई आरोप लगाए थे।

इस बारे में सवाल पूछने पर पत्नी ने यह बात स्वीकार की थी कि चूंकि वह अलग रह रही है इसलिए उसने सिंदूर लगाना बंद कर दिया है। न्यायालय ने प्रार्थी के तर्कों से सहमत होते हुए उसके पक्ष में आदेश पारित किया और पत्नी को आदेश दिया कि वह पति के पास लौटे।

11 पेज के फैसले में न्यायालय ने गुवाहाटी उच्च न्यायालय के एक आदेश का हवाला भी दिया। कोर्ट ने माना कि पति ने पत्नी का परित्याग नहीं किया बल्कि पत्नी ने अपनी मर्जी से खुद को पति से अलग किया है। उसने बगैर किसी वाजिब कारण के पति का परित्याग किया है।