भारत में तेजी से बढ़ रही है असमानता, 1 फीसदी आबादी के पास देश की 40 फीसदी संपत्ति: रिपोर्ट

भारत में आर्थिक असमानता तेजी से बढ़ रही है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, देश के टॉप-1 फीसदी लोगों के पास 40 फीसदी वेल्थ है। कुल इनकम में इनका योगदान 22.6 फीसदी हो गई है।

Updated: Mar 21, 2024, 11:23 AM IST

नई दिल्ली। भारत में आर्थिक असमानता कि खाई लगातार बढ़ रही है। साल 2000 के बाद से देश में अमीरों की दौलत लगातार बढ़ती ही जा रही है। भारत की 1 फीसदी आबादी के पास देश की 40 फीसदी दौलत इकट्ठी हो गई है।जबकि देश की सबसे अमीर एक प्रतिशत आबादी की आय में हिस्सेदारी बढ़कर 22.6 प्रतिशत हो गई है।

बुधवार को जारी एक रिपोर्ट के अनुसार, साल 2014-15 से लेकर 2022-23 तक अरबपतियों की दौलत तेजी से बढ़ी है। पैसा एक विशेष समूह के पास इकठ्ठा हो जाने के चलते ही देश में असमानता भी तेजी से बढ़ी है। यह रिपोर्ट थॉमस पिकेटी (पेरिस स्कूल ऑफ इकनॉमिक्स), लुकास चांसल (हार्वर्ड कैनेडी स्कूल) और नितिन कुमार भारती (न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी) द्वारा तैयार की गई है।

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रिपोर्ट के अनुसार, साल 2022-23 तक सबसे अमीर 1 फीसदी लोगों का इनकम और वेल्थ में हिस्सा ऐतिहासिक रूप से बढ़ा है। भारत की शीर्ष 1 फीसदी लोगों की इनकम में हिस्सेदारी दुनिया में सबसे ज्यादा है। यह आंकड़ा दक्षिण अफ्रीका, ब्राजील और अमेरिका से भी ऊपर चला गया है।

इस रिपोर्ट में कहा गया कि यदि इन लोगों की संपत्ति के हिसाब से देखा जाए तो पता चलता है कि भारत का इनकम टैक्स सिस्टम नाकाफी है। भारत के आर्थिक आंकड़ों की गुणवत्ता भी काफी खराब है। हाल ही में इसमें गिरावट देखी गई है। भारत को अपने इनकम टैक्स सिस्टम में बदलाव करने चाहिए। साथ ही स्वास्थ्य, शिक्षा और पोषण पर निवेश बढ़ाना चाहिए। रिपोर्ट में 167 दौलतमंद परिवारों पर लगभग 2 फीसदी सुपर टैक्स लगाने की वकालत भी की गई है।

रिपोर्ट के अनुसार, 1922 में देश के टॉप 1 फीसदी रईसों की इनकम में हिस्सेदारी 13 फीसदी थी। यह आंकड़ा 1982 तक गिरकर 6.1 फीसदी पर आ गया था। इसका जिम्मेदार तत्कालीन सरकारों की सामाजिक नीतियों को माना जाता है। साल 1991 में आर्थिक उदारीकरण का दौर शुरू होने के बाद यह आंकड़ा लगातार बढ़ता ही गया है। यह साल 2022 में सपने सर्वोच्च आंकड़े 22.6 फीसदी को छू गया था।

बता दें कि बुधवार को ही वर्ल्ड हैप्पीनेस रिपोर्ट सामने आई है। इस रिपोर्ट के मुताबिक भारत खुशहाली के मामले में 126वें स्थान पर है। रिपोर्ट में कहा गया है कि आर्थिक असमानता के कारण भारत में लोग खुशहाल नहीं हैं।