MP में डामर घोटाला, डामर में मिलाई जाती है मार्बल की डस्ट, पूर्व कॉन्ट्रेक्टर ने सीएम को लिखा पत्र

मध्य प्रदेश में पिछले कुछ वर्षों से सड़कें तो बनी हैं लेकिन गुणवत्तायुक्त डामर का उपयोग ना होने से सड़कें पहली बारिश में ही खराब हो जाती हैं।

Updated: Oct 02, 2023, 05:28 PM IST

भोपाल। विधानसभा चुनाव से पहले मध्य प्रदेश की शिवराज सरकार भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरी हुई है। प्रदेश के कॉन्ट्रैक्टर्स प्रदेश सरकार पर 50 फीसदी कमीशनखोरी के आरोप लगा चुके हैं। इसी बीच अब डामर में भ्रष्टाचार का मामला सामने आया है। उज्जैन के एक पूर्व ठेकेदार ने इस संबंध में सीएम चौहान को पत्र लिखकर शिकायत की है।

उज्जैन के रहने वाले ठेकेदार इकबाल हुसैन ने अपने शिकायती पत्र में लिखा है कि सड़क बनाने में बिटुमेन (डामर) सबसे जरूरी होता है। मध्य प्रदेश में पिछले कई सालों में कई सड़कें बनी हैं लेकिन गुणवत्तायुक्त डामर का उपयोग ना होने से सड़कें जल्दी खराब हो जाती हैं। मध्य प्रदेश के पीडब्ल्यूडी विभाग ने आज तक डामर की गुणवत्ता के लिए कोई गाइडलाइन नहीं बनाई। वर्तमान समय में जारी होने वाले टेंडर्स में सालों पूर्व जारी की गई MORTH (Ministry of road transport and Highway) की 5वीं रिवीजन गाइडलाइन का अनुसरण करने को कहा जाता है। इस गाइडलाइन में PSU का ही डामर उपयोग करने का प्रावधान है।

ठेकेदार का कहना है कि केंद्र सरकार ने पिछले सालों में अपनी गाइडलाइन कई बार बदली, लेकिन मध्य प्रदेश शासन ने इस तरफ ध्यान नहीं दिया। मध्य प्रदेश की अपनी कोई गाइडलाइन भी नहीं है। इस वजह से सड़क बनाने वाले ठेकेदार डामर के नाम पर जीएसटी की चोरी और फर्जीवाड़ा कर रहे हैं। ठेकेदार महाराष्ट्र, गुजरात के इंपोर्टर्स से डामर लेकर सरकारी क्षेत्र की कंपनियों के फर्जी बिल लगा रहे हैं।

ठेकेदार के मुताबिक सड़क बनाने में उपयोग होने वाला डामर रिफाइनरीज में तैयार होता है। प्रदेश की जरूरत की तुलना में रिफाइनरी से डामर नहीं मिल पाता है। ऐसे में ठेकेदार सस्ता डामर खरीदने के चक्कर में महाराष्ट्र और गुजरात से खरीदारी करते हैं। इसके बदले में वे सरकारी उपक्रमों की ऑइल कंपनियों के फर्जी बिल लगा देते हैं। इससे खराब क्वालिटी का डामर सड़क निर्माण में उपयोग होने है, और दूसरी तरफ बडे़ पैमाने पर जीएसटी की चोरी होती है।

ठेकेदार ने बताया कि रिफाइनरी के डामर की तुलना में इम्पोर्ट किए गए डामर की क्वालिटी अच्छी होती है क्योंकि इंपोर्ट किए जाने वाले डामर को पोर्ट पर इंडियन कस्टम डिपार्टमेंट द्वारा क्वालिटी टेस्ट कराना पड़ता है। रिफाइनरी से डामर लेकर निकलने वाले टैंकर में Ex MI सिस्टम होता है। रिफाइनरी से डामर लेकर निकलने वाले टैंकर को सील नहीं किया जाता है। इसका फायदा उठाकर टैंकर का स्टाफ और ट्रांसपोर्टर रास्ते में डामर में मार्बल की फाइन डस्ट मिला देते हैं, और उसी डस्ट मिक्स डामर को सड़क बनाने में इस्तेमाल करते हैं। बारिश के दौरान पानी से डस्ट अलग हो जाती है और रोड टूटने लगता है। जबकि प्राइवेट इम्पोर्टर टैंकर पर अपनी सील लगाकर देते हैं। यही नहीं प्राइवेट ऑपरेटर्स जीपीएस के जरिए टैंकर की मॉनिटरिंग करती है।