कोरोना वैक्सीन के ट्रायल पर एक और विवाद, भोपाल के कुछ वॉलंटियर्स ने लगाए गंभीर आरोप

भोपाल के शंकर नगर और उड़िया बस्ती के वॉलंटियर्स का आरोप, वैक्सीन के पहले डोज़ के बाद बिगड़ी सेहत, ख़बर देने के बाद अस्पताल की गाड़ियों ने आना बंद कर दिया

Updated: Jan 10, 2021, 04:30 PM IST

Photo Courtesy: India Today
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भोपाल। मध्य प्रदेश की राजधानी में भारत बायोटेक की कोरोना वैक्सीन (Covaxin) के ट्रायल को लेकर अब एक नया विवाद खड़ा हो गया है। इसी वैक्सीन के ट्रायल में शामिल दीपक मरावी की मौत से शुरू हुआ विवाद अभी खत्म भी नहीं हुआ है कि राजधानी के शंकर नगर और उड़िया बस्ती में रहने वाले कई वॉलंटियर्स ने वैक्सीन का पहला इंजेक्शन दिए जाने के बाद सेहत बिगड़ने का आरोप लगाया है। इतना ही नहीं, उनका आरोप है कि जब उन्होंने टीका लगने के बाद अपनी तबीयत बिगड़ने की जानकारी अस्पताल प्रबंधन को दी, तो अस्पताल की गाड़ियों ने उनके इलाके में आना बंद कर दिया। यह खुलासा हिंदी अखबार दैनिक भास्कर की एक रिपोर्ट में किया गया है।

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दूसरा इंजेक्शन लगवाने से लोगों का इनकार 

राजधानी के शंकर नगर और उड़िया बस्ती में रहने वाले कई वॉलंटियर्स ने वैक्सीन का दूसरा इंजेक्शन लेने से इनकार कर दिया है, क्योंकि उनका है कि टीके का पहला इंजेक्शन लगने के बाद से उनकी सेहत बिगड़ गई है।हैरान करने की बात यह है कि सेहत बिगड़ने के बाद भी वॉलंटियर्स अपना इलाज़ कराने अस्पताल प्रबंधन के पास नहीं गए हैं। लेकिन कोरोना के टीके का दूसरा डोज लगवाने के लिए अस्पताल से लगातार उन्हें फोन आ रहे हैं। क्लीनिकल ट्रायल की टीम रोज़ाना उन्हें फोन कर रही है।

कोरोना वॉलंटियर्स ने मीडिया ने बातचीत में यही कहा कि टीका लगवाने के बाद से ही उनकी सेहत खराब रह रही है। हालांकि कुछ लोगों का कहना था कि उनकी सेहत अब ठीक है। लेकिन वे भी टीके का दूसरा डोज़ लेने से कतरा रहे हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक आरोप यह भी है कि भोपाल के गैस प्रभावित क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को 750 रुपए देने का लालच देकर उन्हें ट्रायल का वॉलंटियर बनाया गया है।

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किसी ने दूसरा डोज़ लगवाने से मना नहीं किया : पीपल्स मेडिकल कॉलेज

इस मामले में वॉलंटियर्स का टीकाकरण करने वाले पीपल्स मेडिकल कॉलेज के प्रबंधन का दावा बिलकुल अलग है। पीपल्स यूनिवर्सिटी के कुलपति राजेश कपूर ने तमाम मीडिया रिपोर्ट्स में किए गए दावों को गलत बताया है। राजेश कपूर का कहना है कि एक भी वॉलंटियर ने टीके का दूसरा डोज़ लगवाने से मना नहीं किया है।

दीपक मरावी की मौत से उठे कई सवाल

कोवैक्सीन के ट्रायल में शामिल होने के बाद जान गवांने वाले दिहाड़ी मज़दूर दीपक मरावी भी भोपाल के टीला जमालपुरा इलाके में रहते थे। दीपक मरावी की मौत भारत बायोटेक द्वारा निर्मित टीके Covaxin के ट्रायल के तहत इंजेक्शन लगाए जाने के नौ दिन बाद 21 दिसंबर को हो गई थी। हालांकि अब तक यह साबित नहीं हुआ है कि दीपक मरावी की मौत टीके के ही कारण ही हुई है, लेकिन अब तक इस मामले में जो भी आरोप और दावे सामने आए हैं, उनकी वजह से वैक्सीन के परीक्षण को लेकर कई गंभीर सवाल ज़रूर खड़े हो रहे हैं।