हाईकोर्ट ने MP की जर्जर सड़कों पर जताई नाराज़गी, केंद्र और राज्य सरकार से दो हफ्ते में रिपोर्ट मांगी

मध्य प्रदेश में खराब सड़कों और बढ़ते हादसों पर हाईकोर्ट ने सख्त रुख अपनाते हुए केंद्र व राज्य सरकार सहित कई विभागों को नोटिस जारी किया है। अदालत ने दो हफ्तों में सड़कों की स्थिति और सुधार कार्यों की रिपोर्ट मांगी है।

Updated: Nov 12, 2025, 03:28 PM IST

जबलपुर। मध्य प्रदेश में जर्जर और गड्ढों से भरी सड़कों पर बढ़ते हादसों को लेकर अब हाईकोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है। इंदौर निवासी सेवानिवृत्त कर्मचारी राजेंद्र सिंह की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकार सहित कई विभागों को नोटिस जारी कर दो सप्ताह के भीतर सड़कों की मौजूदा स्थिति और सुधार कार्यों की विस्तृत रिपोर्ट पेश करने के आदेश दिया है।

सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश संजय सचदेवा और न्यायमूर्ति विनय सराफ की डिविजन बेंच ने कहा कि मध्य प्रदेश अब देश का दूसरा राज्य बन चुका है जहां सड़क हादसों में सबसे अधिक मौतें हो रही हैं। अदालत ने यह भी टिप्पणी की है कि सड़कों की बदहाली अब आम जनता की सुरक्षा के लिए सीधा खतरा बन चुका है।

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राजेंद्र सिंह द्वारा दायर जनहित याचिका में सड़कों की खराब स्थिति और बढ़ते हादसों पर गंभीर चिंता जताई गई थी। याचिकाकर्ता ने अदालत से यह आग्रह किया कि जिन अधिकारियों की लापरवाही से सड़कें इस स्थिति में पहुंची हैं, उनकी जवाबदेही तय की जाए, ताकि भविष्य में ऐसी लापरवाही पर रोक लग सके।

हाईकोर्ट ने इस मामले में केंद्र सरकार, मध्य प्रदेश सरकार, राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI), मध्य प्रदेश सड़क विकास निगम (MPRDC), ग्रामीण सड़क विकास प्राधिकरण (MPRRDA) और नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग को नोटिस जारी करते हुए कहा है कि सभी विभाग दो हफ्तों के भीतर विस्तृत जवाब पेश करें। अदालत ने स्पष्ट किया कि अब समय आ गया है जब सड़क रखरखाव को लेकर जिम्मेदार एजेंसियों को अपनी भूमिका और कार्यों पर जवाब देना होगा।

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हाईकोर्ट की इस सख्ती से आम नागरिकों में उम्मीद जगी है कि अब प्रदेश में सड़कों की मरम्मत और रखरखाव को लेकर ठोस कदम उठाए जाएंगे। मानसून के बाद से प्रदेश के कई हिस्सों में सड़कें गड्ढों में तब्दील हो चुकी हैं जो कि आए दिन हादसे की वजह बनती जा रही है। अदालत का यह कदम न केवल प्रशासनिक जवाबदेही तय करने की दिशा में महत्वपूर्ण माना जा रहा है बल्कि यह सड़क सुरक्षा और शासन सुधार की ओर भी एक बड़ा संकेत है। जनता अब यह उम्मीद कर रही है कि अदालत की इस सख्ती के बाद प्रदेश की सड़कें सुरक्षित और सुगम बनेंगी और सड़क हादसे कम होंगे।

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