वन विहार के दर्शकों को मिला नया नजराना, 5 अफ्रीकी कछुओं के होंगे दीदार

सिवनी में तस्करों से दुर्लभ प्रजाति के कछुए बरामद हुए थे, जिन्हें कस्टम विभाग ने लेने से इनकार कर दिया था, अब कोर्ट के आदेश पर वन विहार में इनके डिस्प्ले का आदेश दिया है

Updated: Apr 03, 2021, 12:27 PM IST

Photo Courtesy: Aaj tak
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भोपाल। मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल के वन विहार में पर्यटकों के लिए एक नया आकर्षण का केंद्र बनने जा रहा है। यहां पांच दक्षिण अफ्रीकी कछुए पर्यटकों के देखने के लिए रखे जाने का फैसला लिया गया है। कोर्ट के आदेश पर इन कछुओं को वन विहार में दर्शकों के मनोरंजन के लिए डिस्प्ले किया जाएगा। ये दक्षिण अफ्रीकी कछुए चार साल पहले 2018 में एक तस्कर से पकड़े गए थे। जो की चोरी से बांग्लादेश के रास्ते लाए गए थे। इन्हें मुंबई ले जाया जा रहा था। जिसे पुलिस ने पकड़ लिया था। तब इन कछुओं को कस्टम विभाग ने लेने से इंकार कर दिया था।

मामला कोर्ट तक पहुंच गया था। कोर्ट ने इन्हें प्राकृतिक वातावरण में रखने का फैसला लिया था। तब से ये साउथ अफ्रीकी कछुए वन विहार में ही रखे गए थे। पहले इन्हें इनके मूल निवास अफ्रीका भेजा जाना था, जो कि संभव नहीं हो सका। जिसके बाद अब कोर्ट ने आदेश दिया है कि इन दुर्लभ प्रजाति के अफ्रीकी कछुओं को वन विहार के पर्यटकों के डिस्प्ले के लिए रखा जाए।

दरअसल साल 2018 में सिवनी से दो तस्करों के पास से 6 साउथ अफ्रीकी कछुओं को बरामद किया गया था। कोर्ट ने इन्हें प्राकृतिक आवास में रखने का आदेश दिया था। जिसके बारे में एसटीएफ वाइल्ड लाइफ ने केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण और कस्टम विभाग को चिट्ठी लिखी थी। कस्टम विभाग ने इन अफ्रीकी कछुओं को लेने से साफ तौर पर मना कर दिया था। इन कछुओं को रखने के बारे में केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण ने एसटीएफ वाइल्ड लाइफ को परमीशन दे दी है। अब कोर्ट की परमीशन मिलन के बाद इन कछुओं को दर्शकों के देखने के लिए रखा जाने का फैसला लिया गया है।

सुलकाटा प्रजाति के ये कछुए दुर्लभ प्रजाति के हैं। इनका परिवहन और शिकार जुर्म है। इन्हें अफ्रीका से चोरी से यहां लाया गया था। वन विहार में रह रहे इन कछुओं में से एक की मौत हो चुकी है। केवल 5 जिंदा बचे हैं। सुलकाटा प्रजाति के एक वयस्क कछुए का वजन 105 किलोग्राम तक होता है। जब ये कछुए यहां लाए गए थे तब अवयस्क थे। 2018 में उनका वजन 10 से 14 किलोग्राम था। फिलहाल इनका वजन 30 से 40 किलो है। वन विहार प्रबंधन का कहना है कि इन कछुओं को खाने में लौकी-कद्दू पसंद के साथ कई तरह की घास, एलोविरा और कैक्टस दिया जाता है।