नाक और नकारेपन की लड़ाई में उलझी कोरोना की लड़ाई

मप्र में कोरोना पॉजिटिव की संख्‍या 13 सौ पार हो गई है। मौत के मामले में मप्र देश का दूसरा राज्‍य है। हजारों श्रमिक काम के अभाव में भूखे हैं। ऐसी विकट स्थिति में भी भाजपा और कांग्रेस के बीच जिम्‍मेदारी को लेकर झगड़ा चल रहा है।

Publish: Apr 19, 2020, 07:27 AM IST

kamalnath and CM shivraj singh chouhan
kamalnath and CM shivraj singh chouhan

कोरोना वायरस महामारी का संक्रमण थमने का नाम नहीं ले रहा है। मप्र में कोरोना पॉजिटिव की संख्‍या एक हजार पार हो गई है। यहां अब तक 1371 पॉजिटिव केस हो गए हैं। इस आंकड़ें के साथ मप्र देश में तीसरे नंबर पर आ गया है। इंदौर में 892 और भोपाल में 207 कोरोना संक्रमित पाए गए हैं। 4996 रिपोर्ट का इंतजार है। 69 मौत के साथ मप्र इस मामले में देश का दूसरा राज्‍य बन गया है। यह स्थिति 23 मार्च के बाद बिगड़ी है। इस महामारी ने आम आदमी से लेकर स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों को भी अपनी चपेट में ले लिया है। भोपाल में स्वास्थ्य विभाग के 90 से अधिक और पुलिस डिपार्टमेंट के 20 से ज्यादा कर्मचारियों में कोरोना पॉजिटिव पाया गया है। भोपाल में ही दो लोगों ने आर्थिक तंगी के कारण आत्‍महत्‍या कर ली है। हजारों श्रमिक काम के अभाव में भूखे हैं। सरकार द्वारा या तो राहत दी नहीं जा रही है या बांटे जा रहे आटे के पैकेट में 10 की जगह 8 किलो ही आटा निकल रहा है। दूसरे राज्‍यों में फंसे मजदूर सहायता की मांग कर रहे हैं।

ऐसी विकट स्थिति में भी सत्‍तारूढ़ भाजपा और कांग्रेस के बीच जिम्‍मेदारी को लेकर झगड़ा चल रहा है। मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह चौहान बिना मंत्रिमंडल अकेले ही मोर्चा संभाल रहे हैं। वे अधिकारियों के सहारे सरकार चला रहे हैं। कांग्रेस ने जब भाजपा न अक्षमता और घोटालों का आरोप लगाया और जब शिवराज राहत के मोर्चे पर कमजोर पड़ते दिखे तो भाजपा ने उनकी पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार पर ही लापरवाही का आरोप लगा दिया है।

भाजपा प्रवक्‍ता रजनीश अग्रवाल ने बयान जारी कर कहा कि विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन द्वारा 30 जनवरी, 2020 को कोरोना वायरस को सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल घोषित किए जाने से बहुत पहले 8 जनवरी 2020 को भारत में इसके लिए कार्रवाई की शुरुआत की गई थी। 17 जनवरी को  राज्यों को स्वास्थ्य क्षेत्र की तैयारियों के लिए निर्देश दिया गया था। उसी दिन इसकी निगरानी की भी शुरूआत की गई थी। केंद्र सरकार ने मध्य प्रदेश को सबसे पहले 17 जनवरी को अन्य राज्यों के साथ आवश्यक परामर्श कर दिशा निर्देश दिए। तब से लेकर कमलनाथ जी की सरकार के साथ लगभग हर दूसरे दिन वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से मात्र कोविड-19 के बारे में  संसाधनों की उपलब्धता से लेकर तमाम चिकित्सा प्रबंध पर आवश्यक दिशा निर्देश जारी किए गए। दुर्भाग्य से कांग्रेस की कमलनाथ सरकार में कोई आवश्यक कदम नहीं उठाए, जिस कारण इंदौर समेत कई स्थान चपेट में आ गए। जब प्रधानमंत्री कर्यालय की देखरेख में स्वस्थ्य मंत्रालय समेत कई विभाग राज्यों के साथ विमर्श करने 4 फरवरी को वीडियो कॉन्फ्रेंस कर रहे थे ठीक उसी दिन मुख्यमंत्री कमलनाथ व मुख्यसचिव समेत कई शासन प्रशासन के जिम्मेदार लोग सलमान और जैकलीन के साथ आइफा 2020 के आयोजन के रंगों में डूबे थे।

जवाब में कांग्रेस ने भी मोर्चा खोल दिया है। कांग्रेस ने बकायदा तस्‍वीरें जारी कहा है कि शिवराज का झूठ फिर बेनक़ाब हुआ है। कांग्रेस ने 3 फरवरी को समाचार पत्रों में प्रकाशित हुई अपील, 6 फरवरी को स्वास्थ्य मंत्री द्वारा की गई अपील, 16 फरवरी को सोशल मीडिया पर की गई अपील, 12 मार्च को समाचार पत्रों में जारी की गई अपील की तस्‍वीरें भेज कर कहा कि कमलनाथ जी काम कर रहे थे तब शिवराज विधायक ख़रीद रहे थे।