घुटनों से रिस रहा खून, असहाय चेहरे पर दर्द की असंख्य रेखाएं, MP में दिव्यांगजनों की स्वाभिमान यात्रा जारी

मध्य प्रदेश के गुना जिले में दिव्यांग जनों की पदयात्रा जारी, असहनीय पीड़ा के बावजूद नहीं टूटा संकल्प, यात्रा स्थगित करने का अनुरोध करते रहे कांग्रेस विधायक, सरकार की ओर से नहीं मिला कोई आश्वासन।

Updated: Nov 09, 2022, 12:54 PM IST

गुना। मध्य प्रदेश के गुना जिले से विचलित करने वाली तस्वीरें आ रही है। यहां असहाय दिव्यांगजन स्वाभिमान यात्रा पर निकले हैं। आज यात्रा का तीसरा दिन है। दिव्यांगजन जो चलने में असमर्थ हैं, वे कंक्रीट सड़क पर शरीर को घसीटते हुए आगे बढ़ रहे हैं। घुटनों से खून रिस रहा है, लेकिन आंखों में आसूं नहीं हैं। आंसू सुख चुके हैं। असहाय चेहरे पर दर्द की असंख्य रेखाएं परिलक्षित हो रही हैं। लेकिन स्वाभिमान यात्रा निरंतर जारी है।

दिव्यांगजनों की यात्रा और पीड़ा दोनों बढ़ती जा रही है। लेकिन उन्होंने ठान लिया है कि वे स्वाभिमान के साथ समझौता नहीं करेंगे। चल-फिर नहीं सकते, खड़े नहीं हो सकते... लेकिन एकजुट हैं, अपनी मांगों को लेकर खड़े हैं, हाथों में चप्पल पहने सड़क पर चल रहे हैं। टीवी मीडिया के कैमरों और अखबारों की हेडलाइन से काफी दूर हैं। सरकार भी शायद हेडलाइन मैनेजमेंट में व्यस्त है, इसलिए उनकी इस पीड़ा को महसूस नहीं कर पा रही।

राघौगढ़ से गुना मार्च के तीसरे दिन स्थानीय कांग्रेस विधायक जयवर्धन सिंह दिव्यांगों के पास पहुंचे। लेकिन विपक्षी दल के विधायक होने के नाते वे भी असहाय नजर आए। हाथ जोड़कर यात्रा स्थगित करने का आग्रह किया। साथ बैठकर आश्वासन दिया कि विधानसभा से लेकर संसद तक कांग्रेस आपकी मांगों को पुरजोर तरीके से उठाएगी। निजी स्तर पर भी जो मदद संभव है वह करने के लिए उन्होंने प्रतिबद्धता जताई। उन्होंने कहा यात्रा स्थगित कर दीजिए। लेकिन दिव्यांगों ने कहा कि हमारी मांग सरकार से है, हम सरकार के किसी मंत्री अथवा प्रतिनिधि से ही बात करेंगे।

कांग्रेस विधायक जयवर्धन सिंह दिव्यांग साथियों के लिए खाना लेकर पहुंचे थे। उन्हें खाना परोसा फिर साथ बैठकर भोजन भी किया। स्वाभिमान मार्च कर रहे दिव्यांगों का कहना है उनकी सिर्फ मांगें नहीं है, बल्कि उनकी पीड़ा है, उनकी तकलीफ है, उनका दर्द है। जिसे शासन सुनकर भी अनसुना कर रहा है।दिव्यांगजनों ने राज्य सरकार के प्रति आक्रोश व्यक्त करते हुए सवाल किया है कि जब विधायक, मंत्रियों के भत्ते बढ़ सकते हैं तो दिव्यांगजनों के पेंशन क्यों नहीं बढ़ सकते है? हमें मात्र 600 रुपए की पेंशन लेने के लिए 400 रुपए किराया लगाकर बैंकों तक जाना पड़ रहा है। 

इस यात्रा में 100 से अधिक दिव्यांग शामिल हैं।राघौगढ़ से शुरु हुई यह यात्रा 17 नवंबर को गुना पहुंचेगी। यहां वे अपनी 16 सूत्रीय मांगों का ज्ञापन कलेक्टर को सौंपेंगे। पदयात्रा में गुना सहित 20 जिलों के दिव्यांग शामिल हो रहे हैं। यात्रा के दौरान राष्ट्रभक्ति से प्रेरित गीत वातावरण में गुंजयामान हो रहे हैं। साथ ही भारत माता की जय और वंदे मातरम् का जयघोष भी हो रहा है। रुक-रुक कर दिव्यांग साथी अपनी मांगों को लेकर नारेबाजी भी कर रहे हैं।

दिव्यांजनों ने प्रतिदिन 3 से 4 किलोमीटर चलना तय किया है। रास्ते में स्थानीय लोग और दुकानदार अपने स्तर से जगह-जगह पर उनके लिए स्वल्पहार, पानी, विश्राम आदि की व्यवस्था कर रहे हैं। कुछ स्थानीय नागरिक उन्हें भावनात्मक समर्थन देने के लिए साथ भी चल रहे हैं। संसाधनों के अभाव में उनका अगला पड़ाव भी निर्धारित नहीं होता। जहां कोई रुकने की व्यवस्था कर देता है वे वहीं रात्रि विश्राम करते हैं। उन्होंने कहा है कि गुना में ज्ञापन सौंपने के बाद भी यदि उनकी मांगें नहीं मानी गई तो वे इसी तरह भोपाल तक आएंगे।

क्या है उनकी मांगें 

1) पेंशन को 5000 रुपए प्रतिमाह किया जाए।
2) सभी दिव्यांग भर्तीयों में बैकलॉग के रिक्त पद दिये जायें।
3) दिव्यांगो के लिये 5 लाख तक का लोन अनिवार्य रूप से दिया जाये। इसके लिये प्रत्येक जिले में एकल खिड़की की व्यवस्था की जाये। 
4) यदि दोनों दिव्यांग है तो 2 लाख और यदि एक दिव्यांग है तो 5 लाख रूपये दिव्यांग विवाह प्रोत्साहन राशि दी जाये एवं जिला स्तर पर ऐसे दम्पत्तियों को सम्मानित किया जाये ताकि दिव्यांग व्यक्ति से विवाह के प्रति समाज में एक सकारात्मक संदेश पहुंच सकें।
5) केन्द्र सरकार के द्वारा दिव्यांग अधिनियम 2016 के तरह म.प्र. दिव्यांग अधिनियम 2017 में अत्याचारों के अपराध के लिये दण्ड की व्यवस्था की धारा जोड़ी जायें।
6) सामाजिक न्याय एवं निशक्त जन कल्याण मंत्रालय से निसक्त जन कल्याण मंत्रालय को अलग किया जाए। 
7) पंचायत, नगरीय निकाय, विधानसभा, संसद के सभी पटलो पर दिव्यांगो को अलग से प्रतिनित्धिव दिया जाए। 8) दिव्यांगो के लिये आयुक्त एवं मुख्य आयुक्त के पद पर दिव्यांग व्यक्ति को ही नियुक्त किया जाए।
9) आवासहीन दिव्यांगो के लिये पट्टा वितरण कर आवास एवं शौचालय उपलब्ध कराया जायें। 
10) आउटशॉर्स भर्ती में दिव्यांगो के लिये 20 प्रतिशत अनिवार्य रूप से आरक्षण दिया जायें। 
11) दिव्यांगो के यू.डी.आई.डी. कार्ड को हर विभाग में व्यवाहारिक रूप से लागू किया जायें।
12) ग्रामीण शहरी अंचल की दिव्यांग खेल प्रतिभाओं को आगे बढ़ाने हेतु निःशुल्क खेल सामग्री एवं ट्रेनिंग सेन्टर तहसील एवं जिला स्तर पर स्थापित हो। जिससे की वह प्रदेश के दिव्यांग खिलाड़ी भी राष्ट्रीय एवं अर्न्तराष्ट्रिय स्तर पर मेडल जीतकर अपने जिले एवं राज्य को गौरावंति कर सकें ।
13) दिव्यांगो का आरक्षण हॉरीजोनटल से वर्टिकल किया जाये।
14) शिक्षा एवं उच्च शिक्षा के सभी क्षेत्रों में दिव्यांगो को निःशुल्क शिक्षा एवं निःशुल्क छात्रावास का प्रावधान हो। छात्रावास उपलब्ध न होने की स्थिति में क्षेत्रवार आवास भत्ता उपलब्ध कराया जाये।
15) सभी जिलों में दिव्यांग सहायता केंद्रों की स्थापना हो जो कि दिव्यांगो को शासन की योजनाऐं समझाकर उनका समुचित क्रियान्वयन कर करे। 
16) दिव्यांग दम्पत्ति के दो बच्चों की नर्सरी से उच्च शिक्षा तक की पढ़ाई निःशुल्क हो।