सिविल जज को कानून की समझ नहीं, दोबारा ट्रेनिंग लेने की आवश्यकता, ग्वालियर हाईकोर्ट की तल्ख टिप्पणी
ग्वालियर हाईकोर्ट ने 6वीं सिविल जज सीनियर डिवीजन वर्षा भलावी की कार्यप्रणाली पर कड़ी नाराजगी जताई है। कोर्ट ने कहा कि सिविल जज को कानून का ज्ञान नहीं है, उन्हें प्रशिक्षण की आवश्यकता है।

ग्वालियर। MP हाईकोर्ट की ग्वालियर बेंच ने बुधवार को एक सिविल जज की योग्यता को लेकर तल्ख़ टिप्पणी की है। कोर्ट ने कहा कि जज को ट्रेनिंग की जरूरत है। यह पहला मौका है जब हाईकोर्ट ने किसी जज की योग्यता पर सवाल उठाए हैं। उच्च न्यायालय न केवल जज की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए, बल्कि उनके कानूनी ज्ञान क़ो लेकर तल्ख टिप्पणी की है।
मामला ग्राम बिल्हेटी की जमीन से जुड़ा है। मुन्नीदेवी ने सिविल सूट दायर कर पैतृक संपत्ति में एक तिहाई हिस्सा देने की मांग की थी। सुनवाई शुरू होती, इससे पहले 12 मई 2024 को उनकी मृत्यु हो गई। 4 मई को उन्होंने वसीयत की थी। जिसमें बेटे पवन को केस में वारिस (उक्त प्रकरण में उत्तराधिकारी) बनाया था।
बेटे ने वसीयत का हवाला देते हुए पक्षकार बनाने के लिए न्यायालय में आवेदन दिया, लेकिन आवेदन खारिज कर दिया। तर्क दिया कि आवेदक के अतिरिक्त मृतक के अन्य वारिसान भी हैं, जिनका उल्लेख आवेदन में नहीं किया। 8 जनवरी 2025 को आवेदन निरस्त कर दिया। इसके खिलाफ एडवोकेट अनिल श्रीवास्तव ने हाई कोर्ट में याचिका पेश की। उन्होंने बताया कि हाई कोर्ट ने सिविल जज का आदेश निरस्त कर पक्षकार बनाने का निर्देश दिया है।
मामले में हाईकोर्ट ने 6वीं सिविल जज सीनियर डिवीजन वर्षा भलावी की कार्यप्रणाली पर कड़ी नाराजगी जताई है। कोर्ट ने कहा कि सिविल जज को कानून का ज्ञान नहीं है, उन्हें प्रशिक्षण की आवश्यकता है। यही नहीं हाई कोर्ट ने आदेश की कॉपी संबंधित प्रधान जिला न्यायाधीश के साथ ही ट्रेनिंग सेंटर के निदेशक और मप्र हाई कोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल को भी भेजने का निर्देश दिया है।