खराब क्वालिटी के PDS चावल मामले में कांग्रेस ने लगाया CM शिवराज पर जिम्मेदारों को संरक्षण देने का आरोप

कांग्रेस ने कहा कि अगर साल भर पहले खराब चावल बांटने वालों पर सख्त कार्रवाई हो जाती तो दोबारा जानवरों के खाने का चावल गरीबों को नहीं बांटा जाता, शिवराज सरकार से मामले की उच्च स्तरीय जांच की मांग, जबलपुर से 2600 टन कीड़े लगा PDS चावल रतलाम भेजा गया है

Updated: Jul 26, 2021, 10:03 AM IST

Photo Courtesy: Bhaskar
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भोपाल। मध्यप्रदेश में खराब क्वालिटी के चावल मिलने का मामला एक बार फिर सामने आया है। इसे लेकर कांग्रेस ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह पर जिम्मेदारों को खुला संरक्षण देने का आरोप लगाया है। पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह पर आरोप लगाया है कि करीब 10 महीने पहले भी इसी तरह का मामला समाने आया था, लेकिन सरकार ने उस पर कोई खास एक्शन नहीं लिया। जिसकी वजह से दोबारा वही स्थिति बनी है। इस मामले को गंभीर बताते हुए कमलनाथ ने इसकी उच्च स्तरीय जांच की मांग की है। उनका कहना है कि सरकार ने अगर पहले ही इस मामले में ठोस कदम उठाए होते तो मामले पर रोक लग सकती थी।

 

हाल ही में रतलाम में 2600 टन कीड़े, घुन और इल्ली लगा चावल मिला है। यह चावल जबलपुर से भेजा गया था। जिसे रतलाम में सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत गरीबों को बांटा जाना था। मामला सामने आने पर अब कांग्रेस ने बीजेपी सरकार की मंशा पर सवाल उठाए हैं। प्रदेश सरकार को निशाने पर लेते हुए पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने इस मामले क उच्च स्तरीय जांच की मांग की है।

कहते हैं इतिहास दोहराया जाता है, लेकिन उसमें भी वक्त लगता है। मध्यप्रदेश में गरीबों के साथ छलावे का इतिहास दोहराने में मध्यप्रदेश सरकार को साल भर का वक्त भी नहीं लगा। एक बार फिर गरीबों को बांटे जाने वाले अनाज में कीड़े और इल्ली लगे होने का मामला सामना आया है। यह घुना और खराब क्वालिटी का 2600 टन चावल गरीबों को बांटने के लिए जबलपुर से रतलाम भेजा गया था। यह चावल सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत रतलाम के गरीब परिवारों को खाने के लिए दिया जाना था। इस चावल में इल्लियां रेंग रही थी। सीलन होने की वजह से इनमें फंगस लग गई थी, इनमें घुन साफ-साफ नजर आ रही थी। ऐसा चावल खाने से इंसानों की बीमार होना तय है। वहीं इस अनाज को देखकर तो लोग यह भी कह रहे हैं कि अब तो यह मुर्गियों को ही चुगने को दिया जा सकता है, बाकि यह किसी काम का नहीं है।

इससे पहले सितंबर 2020 में बालाघाट और मंडला में घटिया चावल बांटने का मामला उजागर हुआ था। मामले की उच्च स्तरीय जांच के बाद केंद्र ने कहा था कि यह चावल जानवरों को खिलाने लायक है।

दरअसर पिछले साल केंद्र के आदेश पर बालाघाट और मंडला में 32 सैंपल लिए गए थे, जिनमें से 31 डिपो और एक राशन की दुकान से लिया गया था। CGAL लैब में परीक्षण में इस बात का खुलासा हुआ था कि गरीबों का बांटे जाने वाले चावल के नमूने ना खराब क्वालिटी के थे, केंद्र ने इसे कहा था कि ये जानवरों को खिलाने के लायक है। तब इस मामले के दोषियों पर महज खाना पूर्ति के लिए कार्रवाई हुई थी। अब एक बार फिर खराब क्वालिटी का चावल मिला है, जिसे लेकर शिवराज सरकार और उनके जिम्मेदार अधिकारी विपक्ष के निशाने पर हैं। मामले की उच्च स्तरीय जांच की मांग की है।