विंध्य फतह के लिए कांग्रेस की व्यूहरचना तैयार, शुक्रवार से तीन दिवसीय विंध्याचल दौरे पर रहेंगे दिग्विजय सिंह

विधानसभा चुनाव में विंध्य बिगाड़ेगा भाजपा का खेल, विंध्य में कांग्रेस की वापसी के लिए दिग्विजय सिंह ने संभाला मोर्चा, संगठन को पुनर्जीवित करने की होगी चुनौती

Updated: Mar 09, 2023, 07:07 PM IST

भोपाल। कभी कांग्रेस का गढ़ रहा मध्य प्रदेश का पूर्वी इलाका विंध्य अब बीजेपी की ताकत है। विंध्य में कांग्रेस पिछले चार विधानसभा चुनावों से लगातार खराब प्रदर्शन कर रही है। लेकिन इस बार यही क्षेत्र भाजपा का खेल बिगाड़ेगा। दरअसल, विंध्य के लिए कांग्रेस ने इस बार खास व्युहरचना तैयार की है। विंध्य फतह के लिए खुद दिग्विजय सिंह ने मोर्चा संभाल लिया है। सिंह शुक्रवार से तीन दिवसीय विंध्य क्षेत्र के दौरे पर रहेंगे।

दिग्विजय सिंह के कार्यालय से मिली जानकारी के मुताबिक शुक्रवार सुबह पूर्व सीएम सतना पहुंचेंगे। यहां सर्किट हाउस में पत्रकारों को संबोधित करने के बाद वह जिले के कार्यकर्ताओं से वन टू वन मुलाकात करेंगे। इसके बाद वे सतना के रामपुर बघेलान में सेक्टर और मंडलम की बैठक लेंगे। इस बैठक के माध्यम से दिग्विजय सिंह कांग्रेस के सबसे निचले मोर्चे के अध्यक्षों से सीधा संवाद करेंगे। इसके बाद देर शाम वे रीवा पहुंचेंगे।

अगली सुबह यानी शनिवार को पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह रीवा विधानसभा के सेक्टर और मंडलम की बैठक लेंगे। दोपहर 12 बजे वह रीवा विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस के निर्वाचित जनपद सदस्यों, जिला पंचायत सदस्यों, पार्षदों, एनएसयूआई, यूथ कांग्रेस, महिला कांग्रेस और सेवा दल कार्यकर्ताओं के साथ एक अलग मीटिंग करेंगे। दोपहर ढाई बजे सिंह रीवा के पदमाधर पार्क में पूर्व सीएम विशाल जनसभा को संबोधित करेंगे। शाम पांच बजे सिंह पत्रकारों को भी संबोधित करेंगे।

रविवार को दिग्विजय सिंह रीवा के मनगंवा और त्यौंथर विधानसभा में सेक्टर और मंडलम की बैठक लेंगे। दोनों विधानसभा क्षेत्रों में वह कांग्रेस के निर्वाचित जनपद सदस्यों, जिला पंचायत सदस्यों, पार्षदों, एनएसयूआई, यूथ कांग्रेस, महिला कांग्रेस और सेवा दल कार्यकर्ताओं के साथ एक अलग मीटिंग करेंगे। सिंह का यह विंध्य दौरा आगामी विधानसभा चुनाव के लिहाज से कांग्रेस के लिए बेहद अहम माना जा रहा है।

समाजवादी विचारधारा से प्रभावित रहा यह अंचल लंबे अरसे तक कांग्रेस के पास रहा। यहां अर्जुन सिंह और श्रीनिवास तिवारी जैसे कांग्रेस के दिग्गज नेता हुए। लेकिन 2003 के बाद से विंध्य क्षेत्र में बीजेपी का दबदबा है। यहां तक कि 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को बहुमत मिलने के बाद भी पार्टी यहां ज्यादा सीटें नहीं जीत सकी थी। अब विंध्य फतह के लिए कांग्रेस ने दिग्विजय सिंह को मैदान में उतारा है इसलिए माना जा रहा है नतीजों में बड़ा फेरबदल देखने को मिल सकता है।

कांग्रेस प्रवक्ता आनंद जाट ने सिंह के दौरे को लेकर कहा कि, "कोई भी किला अभेद्य नहीं होता, बशर्ते भेदने की रणनीति अचूक हो। आगामी विभानसभा चुनाव में कांग्रेस इसी सोच को लेकर आगे बढ़ रही है। कांग्रेस ने उन विधानसभा सीटों को जीतने की लिए विशेष व्यूह रचना तैयार की है, जिन पर पिछले कुछ चुनावों के दौरान वह भाजपा से पीछे रह गई थी। इन सीटों पर दिग्विजय सिंह कार्यकर्ताओं को एकजुट करेंगे और बेहतर समन्वय स्थापित करेंगे। हमें पूर्ण विश्वास है कि कमलनाथ के नेतृत्व और दिग्विजय सिंह के जमीनी पकड़ के माध्यम से कांग्रेस 150 से ज्यादा सीटों पर विजय प्राप्त करेगी।"

पिछले कुछ विधानसभा चुनाव के आंकड़ों पर नजर डालें तो 2008 में बीजेपी को 34 सीटों में से 29 सीटें मिली थीं। वहीं कांग्रेस को दो और बसपा को तीन सीटें हासिल हुई थी। विंध्य में यह कांग्रेस का सबसे बुरा प्रदर्शन था। 2013 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने यहां अपने प्रदर्शन में सुधार किया और दो से उठकर 12 सीटों पर पहुंची। वहीं, बीजेपी को 9 सीटों पर नुकसान हुआ और बसपा तो केवल दो सीट जीत पाई थी। 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को विंध्य में महज 6 सीटें मिली थीं।

विंध्य के राजनीतिक इतिहास पर नजर डालें तो मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिवंगत अर्जुन सिंह और सफेद शेर के नाम से प्रख्यात स्व श्रीनिवास तिवारी की यह जन्म और कर्मस्थली रही है। इसलिए यह अंचल कांग्रेस के प्रभाव में रहा है। अब यदि कांग्रेस यहां वापसी करती है तो बीजेपी को सत्ता में वापस आने के लिए मुश्किल जरूर होगी। इसलिए कांग्रेस वापस अपने गढ़ को पाने की पूरी कोशिश कर रही है।