दिग्विजय सिंह की पहल पर गोहद की जनता को मिलेगा पानी, प्रशासन ने दो दिन के भीतर समस्या को सुलझाने का दिया आश्वासन

गोहद में पिछले एक हफ्ते से कांग्रेस नेता देवाशीष ज़रारिया का जारी था जल सत्याग्रह, बैसली डैम के सूखने से जूझ रहे क्षेत्र के 80 हज़ार लोगों को नहीं मिल रहा पानी

Updated: Mar 18, 2021, 12:13 PM IST

भिंड। कांग्रेस के राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह की पहल पर अब जल्द ही गोहद की जनता तक पानी पहुँच जाएगा। पिछले डेढ़ महीने से जलसंकट से जूझ रही गोहद की जनता को दो दिन के भीतर पानी उपलब्ध होना शुरू हो जाएगा। गोहद प्रशासन ने पूर्व मुख्यमंत्री को इस बात का आश्वासन दिया है कि दो दिन के भीतर बैसली डैम तक पानी पहुँच जाएगा। जिसके बाद कई दिनों से जलसंकट की मार झेल रही गोहद की जनता को राहत मिल जाएगी।  

एसडीएम शुभम शर्मा और सीएमओ राम प्रकाश जगनीरिया ने कांग्रेस नेता को क्षेत्र के लोगों को पेयजल की व्यवस्था करने का आश्वासन दिया। एसडीएम शुभम शर्मा ने दिग्विजय सिंह को बताया कि इस समय पानी बैसली डैम से 7-8 किलोमीटर ही दूर है। दो दिन के भीतर पानी बैसली डैम में पहुँच जाएगा। जिसके बाद लोगों के पेयजल की व्यवस्था हो जाएगी। एसडीएम के आश्वासन के बाद दिग्विजय सिंह ने शुभम शर्मा से टैंकर से पानी सप्लाई के बदले पैसा वसूली के बारे में पूछा तो एसडीम ने कहा कि क्षेत्र के लोगों की ओर से पानी के टैंकर के बदले किसी तरह की वसूली की शिकायत नहीं आई है। कांग्रेस नेता ने एसडीएम से कहा कि केंद्र और राज्य सरकार की जल नीति के मुताबिक सबसे पहला अधिकार पेयजल का होता है। उसके बाद कृषि और उद्योग का अधिकारी होता है।  

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कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह को प्रशासनिक अधिकारीयों द्वारा आश्वासन दिए जाने के बाद पिछ्ले एक हफ्ते से कांग्रेस नेता देवाशीष जरारिया और उनके साथियों ने सत्याग्रह समाप्त कर दिया। दिग्विजय सिंह ने गोहद की जनता को संबोधित करते हुए कहा कि पिछले दिनों जब वे चेन्नई में थे तब देवाशीष ने उन्हें फोन किया था। कांग्रेस नेता ने कहा कि इस समय उनकी संसद चल रही है लेकिन गोहद की जनता को जलसंकट से जूझता देख उनसे रहा नहीं गया, इसलिए वे अपनी संसद के बीच में गोहद की जनता की समस्या को सुलझाने के लिए आज यहाँ पहुँच गए।  

दिग्विजय सिंह ने देवाशीष जरारिया और डॉ गोविन्द सिंह का उदाहरण देते हुए कहा कि भाजपा और कांग्रेस में यही फर्क है। दिग्विजय सिंह ने कांग्रेस के छोड़कर बीजेपी में गए रणवीर जाटव का ज़िक्र करते हुए कहा कि रणवीर को जनता ने 2018 में कांग्रेस के टिकट पर जिताया लेकिन रणवीर बीजेपी में चला गया। दिग्विजय सिंह ने कहा कि बीजेपी को इस बात का गुमान हो गया है कि अगर वो धर्म के नाम पर चुनाव में हार भी गई तो वो जनता से लूटे हुए पैसे के दम पर विधायक खरीद लेगी। दिग्विजय सिंह ने कहा कि लेकिन दूसरी तरफ कांग्रेस है, देवाशीष चुनाव में हार गया लेकिन इसके बावजूद यह आप लोगों के बीच बना रहा। गोहद की जनता को जलसंकट से उबारने के लिए देवाशीष ने यहां गोहद में तो मेवाराम जाटव (स्थानीय कांग्रेस विधायक) और डॉ गोविन्द सिंह ने विधानसभा में इस मुद्दे को उठाया। 

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गोहद क्षेत्र में करीब 80 हज़ार जनता पानी के लिए बैसली डैम पर पूरी तरह से आश्रित है। लेकिन हर साल अप्रैल और मई महीने में बैसली डैम सूख जाता है। इस मर्तबा यह डैम फरवरी महीने में ही सूख गया। जिस वजह से लोगों को पानी के प्राइवेट टैंकरों से पानी खरीद कर अपनी रोज़मर्रा की ज़रूरतों को पूरा करना पड़ रहा है। दूसरी तरफ प्रशासन गोहद की जनता की समस्या के प्रति कोई दिलचस्पी नहीं दिखा रहा था। कांग्रेस नेताओं और क्षेत्र की जनता द्वारा कई मर्तबा प्रशासन से इस समस्या की शिकायत की  लेकिन अब तक प्रशासन ने इस समस्या के प्रति अपना उदासीन रवैया अपनाया हुआ था।

कई बार शिकायत करने के बावजूद जब इस मसले पर कोई सुनवाई नहीं हुई तो कांग्रेस नेता देवाशीष जरारिया इस समस्या के समाधान के लिए जल सत्याग्रह पर बैठ गए। जल सत्याग्रह के दौरान ही देवाशीष जरारिया ने हमसमवेत को बताया कि कैसे प्रशासन और राज्य सरकार की मश्निनरी उपचुनाव में कांग्रेस के उम्मीदवार मेवाराम जाटव को जिताने का बदला गोहद की जनता से निकाल रही है। देवाशीष ने बताया कि राज्य सरकार ने गोहद की जनता के लिए जारी किया हुआ अपना साढ़े आठ करोड़ का फंड भी वापस ले लिया। देवाशीष ने बैसली डैम सूखने के लिए स्थानीय प्रशासन के आनकानी और लापरवाही भरे रवैये को सबसे बड़ा कारण बताया है।

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देवाशीष की मांग है कि जब तक बैसली डैम में पानी नहीं पहुँचता तब तक प्रशासन को डैम के भीतर से सिल्ट को हटाने का कार्य करना चाहिए। इससे डैम की गहराई बढ़ाई जा सकेगी। देवाशीष का कहना है कि लंबे अरसे से बैसली डैम को गहरा करने का काम नहीं हुआ है, जो मौजूदा जलसंकट का मुख्य कारण है। देवाशीष की मानें तो अगर बैसली डैम को गहरा कर दिया जाए, तो एक बार भरने के बाद गोहद की जनता की प्यास दो साल तक बुझाई जा सकेगी।  

हालांकि समस्या यहीं समाप्त नहीं होती। डैम के सूखने का सबसे बड़ा कारण सिंचाई विभाग का रवैया है। देवाशीष का कहना है कि डैम में करोड़ों रुपए के मछली के ठेके दिए जाते हैं। ठेकेदारों को मछलियां पकड़ने में आसानी हो इसके लिए बड़ी मात्रा में डैम से पानी की निकासी कर दी जाती है। देवाशीष जरारिया ने इसके लिए सिंचाई विभाग की अधिकारी सीमा त्रिपाठी को ज़िम्मेदार ठहराया है। देवाशीष ने हमसमवेत को बताया कि डैम में न्यूनतम जल स्तर  बनाए रखना सीमा त्रिपाठी की ही ज़िम्मेदारी थी, लेकिन उन्होंने ऐसा करने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई। जिसका नतीजा यह हुआ कि डैम फरवरी महीने में ही सूख गया।