देवाशीष जरारिया के जल सत्याग्रह से खुली गोहद प्रशासन की नींद, पाइपलाइन से सप्लाई होगा पानी

कांग्रेस नेता देवाशीष जरारिया चार दिनों से जल सत्याग्रह पर बैठे हैं, उन्हें मिल रहे जन समर्थन को देखकर प्रशासन हरकत में आया, जरारिया ने गोहद की जनता को पानी मिलने तक आंदोलन जारी रखने का किया एलान

Updated: Mar 15, 2021, 10:43 AM IST

भोपाल। प्यास से तड़प रही गोहद की जनता की लड़ाई लड़ रहे देवाशीश जरारिया की मेहनत रंग लाई है। कांग्रेस के युवा नेता के आंदोलन को मिल रहे भारी जनसमर्थन को देखते हुए गोहद प्रशासन अब हरकत में आया है। प्रशासन ने लोगों तक पानी पहुंचाने के लिए अब पाइपलाइन द्वारा पानी लिफ्ट कर पहुँचाने की कवायद शुरू कर दी है।  

यह भी पढ़ें : देवाशीष जरारिया ने दी जल-सत्याग्रह की चेतावनी, पानी के लिए तरस रही है गोहद की जनता

हालांकि प्रशासन की इस पहल से गोहद की पूरी जनता अब भी जल संकट से उबर नहीं पाएगी। प्रशासन का कहना है कि सभी लोगों तक पानी पहुंचाने में अभी पांच से सात दिन का वक्त और लगेगा। दूसरी तरफ देवाशीष जरारिया का कहना है कि जब तक गोहद की संपूर्ण जनता को पानी मिलना शुरू नहीं हो जाता तब तक वे अपने इस जल सत्याग्रह से पीछे नहीं हटेंगे।

यह भी पढ़ें : गोहद में जारी है देवाशीष जरारिया का जल सत्याग्रह, पानी की कमी से बेहाल है इलाक़े की जनता

देवाशीष की मांग है कि जब तक बैसली डैम में पानी नहीं पहुँचता तब तक प्रशासन को डैम के भीतर से सिल्ट को हटाने का कार्य करना चाहिए। इससे डैम की गहराई बढ़ाई जा सकेगी। देवाशीष का कहना है कि लंबे अरसे से बैसली डैम को गहरा करने का काम नहीं हुआ है, जो मौजूदा जलसंकट का मुख्य कारण है। देवाशीष की मानें तो अगर बैसली डैम को गहरा कर दिया जाए, तो एक बार भरने के बाद गोहद की जनता की प्यास दो साल तक बुझाई जा सकेगी।  

यह भी पढ़ें : देवाशीष जरारिया का जल सत्याग्रह तीसरे दिन भी जारी, गोहद में पानी का इंतज़ाम करवाकर ही लेंगे दम

हालांकि समस्या यहीं समाप्त नहीं होती। डैम के सूखने का सबसे बड़ा कारण सिंचाई विभाग का रवैया है। देवाशीष का कहना है कि डैम में करोड़ों रुपए के मछली के ठेके दिए जाते हैं। ठेकेदारों को मछलियां पकड़ने में आसानी हो इसके लिए बड़ी मात्रा में डैम से पानी की निकासी कर दी जाती है। देवाशीष जरारिया ने इसके लिए सिंचाई विभाग की अधिकारी सीमा त्रिपाठी को ज़िम्मेदार ठहराया है। देवाशीष ने हमसमवेत को बताया कि डैम में न्यूनतम जल स्तर  बनाए रखना सीमा त्रिपाठी की ही ज़िम्मेदारी थी, लेकिन उन्होंने ऐसा करने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई। जिसका नतीजा यह हुआ कि डैम फरवरी महीने में ही सूख गया।