वैक्सीन के इमरजेंसी अप्रूवल पर वरिष्ठ वैज्ञानिक ने उठाए सवाल, ट्रायल डेटा सार्वजनिक करने को बताया ज़रूरी

प्रोफेसर गगनदीप कांग का कहना है कि डेटा सार्वजनिक करना इसलिए ज़रूरी है ताकि वैक्सीन के असर के बारे में हर तरह के संदेह को दूर किया जा सके

Updated: Jan 05, 2021, 05:09 PM IST

Photo Courtesy: The Wire Science
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नई दिल्ली। भारत में कोरोना महामारी से लड़ने के लिए जिन दो टीकों को इमरजेंसी अप्रूवल दिया गया है, वे हैं  ऑक्सफोर्ड आस्ट्राजेनेका की कोविशील्ड और भारत बायोटेक की कोवैक्सीन। लेकिन अब देश की एक मशहूर वैक्सीन वैज्ञानिक ने इन्हें दी गई मंज़ूरी के तौर-तरीकों पर गंभीर सवाल उठाए हैं। वैक्सीन वैज्ञानिक और वेल्लोर के क्रिश्चियन मेडिकल कॉलेज की प्रोफेसर गानगंदीप कांग ने खास तौर पर भारत बायोटेक की वैक्सीन के बारे में अब तक सामने आई जानकारी को कनफ्यूज़ यानी भ्रमित करने वाला बताया है। कांग्रेस के कई नेता भारत बायोटेक की वैक्सीन को दी गई मंज़ूरी पर पहले ही सवाल उठा चुके हैं। 

प्रोफेसर कांग ने अंग्रेजी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया से बातचीत में दोनों ही वैक्सीन्स को मंजूरी देने के लिए अपनाई गई प्रक्रिया और उनके ट्रायल डेटा के बारे में विस्तृत जानकारी सार्वजनिक न किए जाने पर भी हैरानी जाहिर की है। कांग का कहना है कि कोविशील्ड और कोवैक्सीन को डीसीजीआई ने इमरजेंसी अप्रूवल तो दिया है, लेकिन दोनों वैक्सीन को दिए गए अप्रूवल की भाषा में काफी अंतर है। उनका कहना है कि कोवैक्सीन को दिए गए अप्रूवल की भाषा खास तौर पर काफी उलझनों से भरी है। कांग ने कहा, 'मैं कोविशील्ड को मिले अप्रूवल की भाषा को तो समझ पा रही हूं लेकिन कोवैक्सीन को जिस भाषा में मंज़ूरी दी गई है, वह बेहद हैरान करने वाली है। मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा है। मैंने ऐसा पहले कभी नहीं देखा। मिसाल के तौर पर यह साफ नहीं है कि इसका क्लीनिकल ट्रॉयल चल रहा है या नहीं? मैं कंफ्यूज हूं।

गगनदीप कांग कहती हैं कि आप वैक्सीन बनाने वाली दूसरी कंपनियों का उदाहरण ले लीजिए। फ़ाइजर, एस्ट्रेजेनेका जैसी कंपनियां रेगुलेटर को डेटा सौंपने के साथ साथ जर्नल्स में भी प्रकाशित कर रही हैं। लेकिन भारत बायोटेक की बनाई कोवैक्सीन के मामले में ऐसा देखने को नहीं मिला है।

दरअसल कोवैक्सीन को जबसे आपातकालीन उपयोग की मंजूरी मिली है, तभी से वैक्सीन की प्रभावकारिता को लेकर सवाल उठ रहे हैं। सवाल उठाए जा रहे हैं कि वैक्सीन का अभी ट्रायल का तीसरा फेज़ पूरा नहीं हुआ है। ट्रायल के डेटा को सार्वजनिक किए बगैर इसके आपातकालीन मंजूरी दी गई है। गगनदीप कांग के अलावा देश के कई वैज्ञानिक और वायरोलॉजिस्ट पूरी प्रक्रिया पर सवाल उठा रहे हैं। वैज्ञानिकों का भी मानना है कि जिस तरह से वैक्सीन के उपयोग को मंजूरी दी गई है, उससे लोग नियामक प्रणाली में अपना विश्वास खो सकते हैं। 

कोवैक्सीन को मंजूरी दिए जाने को लेकर कांग्रेस नेता शशि थरूर, जयराम रमेश, दिग्विजय सिंह और आनंद शर्मा सवाल उठा चुके हैं। इनका कहना है कि ट्रायल का तीसरा फेज पूरा किए बिना वैक्सीन के आपातकालीन उपयोग को मंजूरी देना खतरे से ख़ाली नहीं है। कांग्रेस नेताओं ने इस पूरे मसले पर स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन से स्पष्टीकरण भी मांगा था। शशि थरूर ने कहा था कि फिलहाल ऑक्सफोर्ड-आस्ट्राजेनेका की वैक्सीन कोविशील्ड का उपयोग करना ही ठीक रहेगा। 

एम्स के डायरेक्टर डॉ रणदीप गुलेरिया इस मामले में कह चुके हैं कि भारत बायोटेक की कोवैक्सीन का उपयोग फिलहाल बैक अप के तौर पर ही किया जाएगा। जबकि स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन ने कहा है कि कोवैक्सीन को इमरजेंसी इस्तेमाल की मंज़ूरी महामारी से लड़ाई की रणनीति के तहत दी गई है औऱ यह मंज़ूरी क्लीनिकल ट्रायल की कैटेगरी के तहत दी गई है।