मध्य प्रदेश के हर नागरिक पर लादा 34 हजार का बोझ, शिवराज सरकार के बेतहाशा क़र्ज़ लेने पर बरसी कांग्रेस

आर्थिक संकट से गुजर रही शिवराज सरकार 7 महीने में बाजार से 10 बार क़र्ज़ ले चुकी है, कांग्रेस ने कहा बजट का 15 प्रतिशत लोन चुकाने में खर्च हो रहा, कैसे होगा प्रदेश का विकास

Updated: Nov 05, 2020, 07:30 PM IST

Photo Courtesy: Amar Ujala
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भोपाल। मध्य प्रदेश की शिवराज सरकार के बार-बार बाज़ार से कर्ज़ लेने पर कांग्रेस ने निशाना साधा है। कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि शिवराज सिंह चौहान की सरकार ने अपने 7 महीने के कार्यकाल में दस बार बाजार से लोन लेकर प्रदेश के नागरिकों पर कर्ज़ का बोझ बढ़ा दिया है। कांग्रेस का आरोप है कि बीजेपी की सरकार ने प्रदेश के हर नागरिक पर 34 हजार रुपए के कर्ज़ का बोझ लाद दिया है। पूर्व मंत्री जीतू पटवारी ने इस बारे में प्रदेश कांग्रेस की तरफ से विशेष बयान जारी किया है।

पूर्व मंत्री जीतू पटवारी ने सरकार की माली हालत खस्ता बताते हुए कहा कि पिछले 15 साल के कार्यकाल में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने 2 लाख 5 हजार 993 करोड़ रुपए कर्ज लिया है। ऐसे में प्रदेश के हर नागरिक पर सरकार ने 34 हजार रुपए का कर्ज लाद दिया है। प्रदेश के बजट का 15 फीसदी से ज्यादा हिस्सा बाजार से लिए ऋण के ब्याज चुकाने में खर्च होता है। उन्होंने प्रदेश में बढ़ती बेरोजगारी और किसानों की आत्महत्याओं के मसले पर भी सरकार पर सवाल खड़े किए।

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2020 में शिवराज सरकार ने कब कितना कर्ज लिया

  • 30 मार्च - 1500 करोड़ रुपये
  • 7 अप्रैल - 500 करोड़ रुपये
  • 2 जून - 500 करोड़ रुपये
  • 7 जुलाई - 2000 करोड़ रुपये
  • 4 अगस्त - 2000 करोड़ रुपये
  • 10 सितंबर - 1000 करोड़ रुपये 
  • 7 अक्टूबर - 1000 करोड़ रुपये
  • 13 अक्टूबर - 1000 करोड़ रुपये 
  • 21 अक्टूबर - 1000 करोड़ रुपये 
  • 4 नवंबर - 1000 करोड़ रुपये

सरकार हर साल 16 हजार करोड़ ब्याज़ चुकाती है

पूर्व मंत्री जीतू पटवारी ने सरकार पर हमलावर होते हुए कहा कि अगर ऐसे ही आर्थिक हालात बदतर होते रहे तो आने वाली पीढ़ियों का भविष्य कैसे सुरक्षित होगा। ‘हम इस कर्ज पर हर साल करीब 16 हजार करोड़ रुपये ब्याज देते हैं। बजट का 15 फीसदी से ज्यादा हिस्सा ब्याज़ पर जाता है।

बेरोजगारी के कारण बढ़ रही आत्महत्या की घटनाएं

कांग्रेस नेता ने अपने ट्वीट में कहा है कि ‘मध्य प्रदेश में 40 साल के युवा बेरोजगारी की मार झेलने को मजबूर हैं। महंगी पढ़ाई के बाद भी नौकरी नहीं मिलने से युवाओं और परिजनों की मानसिक हालत पर प्रभाव पड़ रहा है। बेरोजगारी और किसानों की समस्या को लेकर आए दिन आत्महत्याएं की घटनाएं सामने आती हैं। उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश में करीब डेढ़ लाख सरकारी नौकरियों के पद खाली पड़े हैं।

छह महीने से स्कूल शिक्षा विभाग, नगरीय निकायों में वेतन नहीं बंटा है। ये लोग पेट्रोल डीजल में टैक्स बढ़ाकर इस भार को कम करने की कोशिश में हैं।मध्यप्रदेश की आर्थिक हालत पहले से ही खराब है, वहीं कोरोना संकट के कारण सरकार के राजस्व में गिरावट दर्ज की गई, वही जीएसटी में भी कमी की होने से सरकार पर आर्थिक संकट बढ़ता गया।

सरकार को मिली है 4440 करोड़ के अतिरिक्त ऋण लेने की पात्रता

गौरतलब है कि किसी भी राज्य की सरकारें आरबीआई के माध्यम से ऋण लेती हैं। ऋण लेने से पहले सरकार को यह राशि कहां और कैसे खर्च करना है इसकी जानकारी देनी पड़ती है। आरबीआई की अनुशंसा के बाद ही सरकार को रजिस्टर्ड वित्तीय संस्थाएं ऋण देती हैं। साल 2020 में जनवरी से लेकर नवंबर तक सरकार पर 22 हजार करोड़ का कर्ज बढ़ा है। मध्यप्रदेश सरकार को केंद्र से 4440 करोड़ के अतिरिक्त ऋण लेने की पात्रता भी मिली है।