महू अवैध खनन मामले में वन और राजस्व विभाग में ठनी, प्रशासन की रिपोर्ट को बताया इकतरफ़ा

वन विभाग का आरोप, बीजेपी नेता मनोज पाटीदार ने वन विभाग की ज़मीन पर कब्ज़ा जमा रखा है, बिना विभाग की अनुमति के वहां अवैध खनन किया गया

Updated: Jan 25, 2021, 05:17 AM IST

Photo Courtesy: Naidunia
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भोपाल। महू में हुए कथित अवैध खनन के मामले में वन विभाग और राजस्व विभाग के बीच विवाद बढ़ गया है। वन विभाग ने प्रशासन पर एकपक्षीय जांच का आरोप लगाया है। वन विभाग का कहना है कि जिस जगह पर रोड बनाई जा रही थी, वो वन विभाग के अंतर्गत आती है। मामले पर तैयार रिपोर्ट को लेकर विवाद बढ़ने के बाद तहसीलदार समेत सभी अफसरों ने अपना अपना कोना पकड़ लिया है। 

बीजेपी नेता के साथ साठगांठ का आरोप 

वन विभाग के एसडीओ आरके लहरी ने रिपोर्ट तैयार करने वाले आरआई शंकर डावर पर बीजेपी नेता मनोज पाटीदार से साठगांठ का आरोप लगाया है। मुख्य वन संरक्षक सीएस निनामा ने भी रिपोर्ट को खारिज किया है। दरअसल हाल ही में महू में वनरक्षक के पद पर तैनात राम सुरेश दुबे ने कथित तौर पर वन विभाग की ज़मीन पर अवैध खनन का मामला उठाया था। वन विभाग कथित ज़मीन पर सड़क निर्माण कार्य करने वाले स्थानीय बीजेपी नेता मनोज पाटीदार की जेसीबी, ट्रैक्टर और ट्रॉलियां भी वन विभाग ने ज़ब्त कर ली थी। लेकिन आरोप है कि  पर्यटन मंत्री उषा ठाकुर अपने समर्थकों के साथ आईं और ज़ब्त की गई ट्रॉलियों को जबरन ले गईं। 

इसके बाद वन रक्षक राम सुरेश दुबे ने पर्यटन मंत्री पर डकैती का आरोप लगा दिया। पूरे मामले में जांच की गई कि आखिर जिस भूमि पर निर्माण कार्य किया गया, वास्तव में उस ज़मीन का मालिकाना हक किसके पास है? ज़मीन की सर्वे रिपोर्ट में दावा किया गया है कि ज़मीन का मालिकाना हक वन विभाग के पास है ही नहीं। इसी बात को लेकर वन विभाग और राजस्व विभाग में ठन गई है।

वन विभाग का तो यहां तक कहना है कि अगर जंगल के पास की किसी ज़मीन पर भी निर्माण कार्य किया जाता है, तो वन विभाग की मंजूरी लेनी होती है। लेकिन यहां तो इस नियम का भी पालन नहीं किया गया। इस पूरे मामले में राजस्व विभाग के अफसर फिलहाल कुछ भी कहने से फिलहाल बच रहे हैं। हर बात का एक ही जवाब है कि मामले की जांच वन विभाग के सामने ही की गई।

वहीं इस पूरे मामले को उजागर करने वाले डिप्टी रेंजर राम सुरेश दुबे का कहना है कि विवादित भूमि वन विभाग की ही है। राम सुरेश दुबे बताते हैं कि अगर क्षेत्र का सर्वे किया जाए तो बड़गौंदा में 70 बीघा से ज़्यादा वन भूमि पर अवैध कब्ज़ा मिलेगा।