MP By Poll: सतीश सिकरवार के आने से ग्वालियर कांग्रेस में जश्न

Satish Sikarwar: सतीश सिकरवार परिवार का क्षेत्र में अच्छा प्रभाव, जातीय समीकरण के चलते कांग्रेस को आधा दर्जन सीटों पर लाभ की उम्मीद,

Updated: Sep 09, 2020, 08:53 AM IST

ग्वालियर। ग्वालियर चंबल क्षेत्र में बीजेपी प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ चुके कद्दावर नेता सतीश सिकरवार ने मंगलवार को अपने सैकड़ों कार्यकर्ताओं के साथ कांग्रेस कीत सदस्यता ग्रहण कर ली है। उनके कांग्रेस में आने पर  ग्वालियर कांग्रेस संगठन में ख़ुशियां छाई हैं। सिकरवार का जौरा, सुमावली, मुरैना, ग्वालियर तथा ग्वालियर पूर्व में अच्छा प्रभाव है। उनके कांग्रेस में आने के बाद ग्वालियर-चंबल क्षेत्र की राजनीति में उपचुनाव के समीकरण बदलने की संभावनाएं तेज हो गई है। ग्वालियर पूर्व सीट से कांग्रेस को दमदार उम्मीदवार की तलाश थी जो सतीश सिकरवार के आने के बाद पूरी होती दिखाई दे ऱही है। 

बीजेपी से अपनी राजनीति की शुरुआत करने वाले सतीश सिकरवार को 2018 में बीजेपी ने ग्वालियर पूर्व अपना उम्मीदवार बनाया था। इस चुनाव में वह तकरीबन 18 हजार वोट के अंतर से हार गए थे। सिकरवार के इस हार का सबसे बड़ा कारण 2 अप्रैल को हुए दलित आंदोलन माना गया जिसमें आरक्षण बचाने के लिए सड़कों पर उतरे दलितों पर गोलियां चला दी गई और कुछ लोगों की मौत हो गई। तत्कालीन शिवराज सरकार ने इसके बाद दलितों पर फर्जी एफआईआर दर्ज करवा दीं जिसके बाद दलितों ने भाजपा को सिरे से नकार दिया और उसका परिणाम 2018 के विधानसभा चुनाव में देखने को मिला। इस आंदोलन का असर यह था कि भाजपा 2 सीटों को छोडकर ग्वालियर चंबल की सभी सीटें गवां बैठी। यही आंदोलन सतीश सिकरवार के गले की फांस साबित हुआ नतीजतन वे चुनाव हार गए।

वहीं इस बार के उपचुनाव में कहा जा रहा है कि दलित वोट कांग्रेस की ओर रूख कर सकता है क्योंकि सरकार रहते कांग्रेस ने दलितों पर दर्ज फर्जी मुकदमें वापस ले लिए थे। स्थानीय लोगों का कहना है कि सिकरवार परिवार उन चुनिंदा परिवारों में है जो आज के समय भी एकजुट है। उनमें किसी तरह का कोई मतभेद नहीं है। इसके अलावा उनके परिवार का जनता के साथ लगाव भी गहरा है।

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राजनीतिक गलियारे में उनके कांग्रेस में आने की पूर्व से ही चर्चा थी। अब पूरे ग्वालियर-चंबल के लोग सतीश सिकरवार के आने के बाद कांग्रेस की जीत को लेकर पूरी तरह से आश्वस्त नजर आ रहे हैं। सतीश सिकरवार ग्वालियर चंबल के बडे राजनीतिक घराने से ताल्लुक रखते हैं जिनका ग्वालियर अंचल की ज्यादातर सीटों पर दबदब है।उनके परिवार में उनके पिता और भाई भी पूर्व में विधायक रह चुके हैं। उनके चाचा वृंदावन सिकरवार भी चंबल के माहिर राजनेताओं में गिने जाते हैं।

अब अटकलें लगाईं जा रहीं हैं कि सतीश सिकरवार को कांग्रेस ग्वालियर पूर्व से उतार सकती है। ग्वालियर-पूर्व ठाकुर बाहुल्य सीट मानी जाती है। जातिगत समीकरण के मद्देनजर इस सीट पर ठाकुर वोट बेहद अहम है और सतीश सिकरवार भी ठाकुर हैं। वे ग्वालियर की एक अन्य ठाकुर बाहुल्य सीट पर भी अपना असर डाल सकते हैं। इस ग्वालियर सीट से मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर जीते थे। अब वे बीजेपी में हैं। 

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सतीश सिकरवार के छोटे भाई सत्यपाल सिकरवार पूर्व में चंबल की सुमावली सीट से विधायक रह चुके हैं। ऐसे में जब सतीश सिकरवार कांग्रेस में शामिल हुए हैं तो सुमावली सीट भी कांग्रेस के खाते में जाती नजर आ रहीं है। वहीं सतीश सिकरवार के चचेरे भाई जो 2018 के विधानसभा के समय जौरा से चुनाव लड़ना चाह रहे थे परंतु टिकट न मिल पाने के चलते वे नहीं लड़ सके। वे भी भाजपा से नाराज बताये जा रहे हैं।ऐसी अटकलें लगाईं जा रहीं हैं कि अब वह भी कांग्रेस का दामन थाम सकते हैं।